खोज

संत पापा फ्रांसिस देवदूत प्रार्थना में संत पापा फ्रांसिस देवदूत प्रार्थना में  (ANSA)

संत पापाः दूसरों के लिए संजीवन जल बनें

संत पापा ने देवदूत प्रार्थना के संदेश में दूसरों के लिए संजीवन जल बनने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने चालीसा के तीसरे रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में  देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस रविवार का सुसमाचार हमारे लिए येसु के एक अति सुन्दर और मनमोहक मिलन को प्रस्तुत करता है जहां हम उन्हें एक समारी नारी से वार्ता करते हुए पाते हैं। येसु और उनके शिष्यगण समारिया में एक कुआ के निकट रुकते हैं। वहाँ एक नारी पहुंचती है और येसु उसे कहते हैं, “मुझे पानी पिला दो”। मैं इस अभिव्यक्ति- मुझे पानी पिला दो पर चिंतन करना चाहूँगा।

येसु की प्यास

यह दृश्य हमें येसु को प्यासा और थका हुआ दिखलाता है, जहाँ समारी नारी उसे दिन को कड़ाके धूप में कुआ के निकट, दोपहर को पाती है, और एक भीखारी की तरह वे तरोलताजा होने की चाह रखते हैं। यह ईश्वर के मूलभूत रूप को व्यक्त करता है, येसु ख्रीस्त हमारे संग एक बनते हैं, हमारी तरह प्यासे, उन्हें हमारी तरह प्यास लगती है। इस दृश्य पर चिंतन करते हुए हम अपने में कह सकते हैं, ईश्वर जो मेरे स्वामी हैं, “वे मुझ से बातें करते हुए पानी पिलाने की मांग करते हैं। अतः वह मेरी तरह प्यासे हैं। उन्हें मेरी प्यास है। तू सचमुच मेरे निकट रहता है प्रभु। तु मेरी निर्धनता से संयुक्त है...तू मुझे, मेरे कुछ नहीं से बुलाता है, मेरे सबसे नीचले स्तर से, जहाँ मेरे निकट कोई नहीं पहुंच सकता है। वस्ताव में, येसु की प्यास केवल भौतिक नहीं है यह हमारे लिए उनकी सबसे गहरी चाह को व्यक्त करती है, यह सारी चीजों के बढ़ कर हमारे प्रेम की प्यास को व्यक्त करता है। यह हमारे लिए उसके जीवन की चरमसीमा में उनके दुःखभोग, क्रूस में अपने मरण के पहले प्रकट होता है, जहाँ येसु कहते हैं, “मैं प्यासा हूँ” (यो.19.28)।

येसु हमें प्रेम से तृप्त करते हैं

लेकिन येसु, जो पानी की मांग करते हैं, वे हमें स्वयं पीने को देते हैं, जिसे वे समारी नारी से मिलने पर उसे संजीवन जल के बारे में कहते हैं जो पवित्र आत्मा से प्रवाहित होता है, और जिसे वे क्रसू से लोहू और पानी के रुप में अपनी बगल से बहाते हैं। येसु जो प्रेम के प्यासे हैं हमें अपने प्रेम से तृप्त करते हैं। वे हमारे लिए वैसा ही करते हैं जैसे कि उन्होंने समारी नारी के साथ किया- वे हमारे दैनिक जीवन में हम से मिलने आते हैं, वे हमारी प्यास में अपने को साझा करते हैं, वे हमें संजीवन देने की प्रतिज्ञा करते हैं जो हममें अनंत जीवन का स्रोत बनता है।

मुझे पीने को दो। यह दूसरा पहलू है। ये शब्द केवल समारी नारी को किया गया एक आग्रह मात्र नही है बल्कि यह एक निवेदन है जिसे हम बहुत बार गुप्त पाते हैं, यह हमारे प्रतिदिन के जीवन में उठाता और हमें दूसरों अपने प्यासे भाइयों की चिंता करने को कहता है। पानी पीलाने की मांग हमारे बहुत सारे परिवारों के बारे, कार्यस्थल में, दूसरे स्थानों में जिन्हें हम बहुधा देखते- जिन्हें हमारी निकटता, ध्यान, सुनने की प्यास की आवश्यकता के बारे में कहती है। वे जो ईश्वरीय वचन के प्यासे हैं और जो कलीसिया में मरूधान की खोज करते हुए पूछते हैं कि पानी कहाँ से पिया जाये हमें बतलाएये। मुझे पानी पिला दो हमारे समाज की एक पुकार है, जहाँ हम एक जल्दबाजी, भौतिकता हेतु अतिशीघ्रता और उदासीनता में शुष्कता और आंतरिक शून्यता को पाते हैं। और हम इस बात को न भूलें- मुझे पानी पिला दो हमारे बहुत से भाई-बहनों की पुकार है जो जीवन पानी की कमी का अनुभव करते हैं, जबकि हम अपने सामान्य निवास को दूषित और कुरूप करते हैं, जिसके फळस्वरुप वह स्वयं अपने को थकी और सूखी, “प्यासी पाती है”।

संजीवन जल बनें

इन सारी चुनौतियों के समक्ष, आज का सुसमाचार हम प्रत्येक जन को संजीवन जल प्रदान करता है जिसके फलस्वरुप हम दूसरों के लिए उमंग का स्रोत बन सकते हैं। इस तरह, उस समारी नारी की भांति, जो अपने घड़े को कुएं के पास छोड़कर गांव के दूसरे लोगों को बुलाने हेतु जाती है, हम भी केवल अपनी प्यास बुझाने तक सीमित होकर नहीं रहेंगे, जहाँ हम अपने को भौतिक, बैद्धिक या सांस्कृतिक रुप में प्यासे पाते हैं, बल्कि येसु से मिलन की खुशी से हम दूसरों की प्यास को बुझने में सक्षम होंगे। हम दूसरे के जीवन को अर्थपूर्ण बना पायेंगे, मालिकों की भांति नहीं लेकिन सुसमाचार के सेवक की तरह जो हममें निरंतर प्यास जगाता है, हम दूसरों की प्यास को समझने के योग्य होंगे और उस प्रेम को उनके साथ साझा करेंगे जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। संत पापा ने कहा कि मैं स्वयं से और दूसरों से यह सवाल पूछता हूँ, क्या हम दूसरों की प्यास को समझते हैंॽ लोगों की प्यास को, परिवारों की प्यास को, पड़ोस के प्यास कोॽ आज हम स्वयं से पूछें, क्या मैं ईश्वर के लिए प्यासा हूँॽ क्या मैं उनके प्रेम की जरुरत महसूस करता हूँ जो जीवन जीने के लिए पानी की तरह हैॽ और तब मैं जो प्यसा हूँ, क्या मैं दूसरों के प्यास की चिंता करता हूँ, जो आध्यात्मिक और भौतिक रुप में प्यासे हैंॽ

माता मरियम हमारे लिए निवेदन करें और इस मार्ग में बढ़ने हेतु हमारी सहायता करें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

12 March 2023, 12:22