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मार्च के लिए पोप की प्रार्थना का मनोरथ : यौन दुराचार के शिकार लोगों के लिए

“सुसमाचार में येसु अपने हृदय की गहराई से कहते हैं, यदि कोई उन नन्हें लोगों के लिए ठोकर का कारण बनता है जो मुझपर विश्वास करते हैं, तो उसके लिए अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का पाट बांधकर उसे समुद्र में फेंक दिया जाता। (मती. 18:6) यह असहनीय अपराध के सामने येसु के दुःख को प्रकट करता है। इस पतन के जवाब में शब्द पाना मुश्किल है।”

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

“यौन दुराचार मामलों के जवाब में, विशेषकर जो कलीसिया के सदस्यों के द्वारा हुई हैं, इसके लिए माफी मांगना काफी नहीं है।

माफी मांगना आवश्यक है, लेकिन यह काफी नहीं है। क्षमा मांगना पीड़ितों के लिए अच्छा है लेकिन वे ही हैं जिन्हें “सब कुछ के केंद्र” में होना चाहिए। उनके दर्द और उनके मनोवैज्ञानिक घाव ठीक हो सकते हैं यदि वे उत्तर पायेंगे – यदि उन्होंने जो दहशत झेली है उसे ठीक करने के लिए ठोस कदम उठाये जायेंगे और उन्हें फिर से घटित होने से रोका जाएगा। 

कलीसिया किसी तरह के दुराचार की त्रासदी को छिपाने की कोशिश नहीं कर सकती। न ही उस समय, जब दुराचार घर में, क्लब में या अन्य तरह के संस्थानों में होता है।

कलीसिया को एक मॉडल के रूप में मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए और इसे समाज एवं परिवार के आलोक में लाया जाना चाहिए। 

कलीसिया को चाहिए कि वह पीड़ितों के लिए सुरक्षित स्थान बनाये, जहाँ उन्हें सुना जा सके, मनोवैज्ञानिक रूप से समर्थन दिया जा सके और उनकी रक्षा की जा सके।  

आइये, हम उनके लिए प्रार्थना करें, जिन्हें कलीसिया के सदस्यों की गलती के कारण दुःख सहना पड़ा है; वे कलीसिया के भीतर ही अपनी पीड़ा एवं दुःख के लिए ठोस जवाब पा सकें।”

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पोप के विश्वव्यापी प्रार्थना नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय निदेशक फादर फ्रेडरिक फोरनोस एस. जे ने कहा, “सुसमाचार में येसु अपने हृदय की गहराई से कहते हैं, यदि कोई उन नन्हें लोगों के लिए ठोकर का कारण बनता है जो मुझपर विश्वास करते हैं, तो उसके लिए अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का पाट बांधकर उसे समुद्र में फेंक दिया जाता। (मती. 18:6) यह असहनीय अपराध के सामने येसु के दुःख को प्रकट करता है। इस पतन के जवाब में शब्द पाना मुश्किल है।” ‘ईश प्रजा के नाम अपने पत्र में’ संत पापा फ्राँसिस ने याद दिलाया कि वे चाहते हैं कि मार्च के महीने में कलीसिया यौन दुराचार के शिकार लोगों के लिए प्रार्थना करे। वे पीड़ितों के लिए ‘देखभाल की संस्कृति’ के प्रति चेतना एवं प्रतिबद्धता जगाना चाहते हैं। साथ ही वे हर प्रकार के यौन दुराचार के खिलाफ दृढ़ता से लड़ने का प्रोत्साहन देते हैं।

यह प्रार्थना हमें उन संरचनात्मक और वैचारिक कारणों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है जिनके कारण ये दुर्व्यवहार हुए हैं और उन्हें अदृश्य बना दिया गया है। प्रार्थना हमारे दिलों को खोलती है, हमें सुनने और देखने के लिए प्रेरित करती है, और हमें इन अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने की ओर ले जाती है जो येसु ख्रीस्त के सुसमाचार और कलीसिया के चेहरे को विकृत करते हैं, इसलिए पोप की प्रार्थना का इरादा है, पीड़ितों के दर्द और पीड़ा का ठोस जवाब देना।”

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02 March 2023, 16:13