“मिशन अमेरिका” फाऊंडेशन के सदस्यों को संत पापा का संदेश
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 11 मार्च 2023 (रेई) – मिशन अमरीका अपनी स्थापना का 30वाँ वर्षगाँठ मना रहा है। संत पापा ने याद दिलाया कि इसी उम्र में येसु ने मिशन में प्रवेश करते हुए दुःखभोग और मृत्यु को पार किया। उन्होंने कहा, “इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप संत पेत्रुस के सिंहासन का दौरा करना चाहते हैं ताकि विश्वव्यापी कलीसिया के साथ अपनी प्रतिबद्धता को नवीकृत कर सकें जो अमरीका एवं अफ्रीका में आपके मिशन कार्यों के माध्यम से प्रकट होता है।”
संत पापा ने उनके मिशन के लिए बधाई देते हुए, उन्हें पुनः निमंत्रण दिया कि वे येसु के साथ आगे बढ़ें, जिन्होंने कहा है : “जिस तरह पिता ने मुझे भेजा है उसी तरह मैं तुम्हें भेजता हूँ।” (यो.20:21) इस तरह उन्होंने कलीसिया को मिशन के लिए खोल दिया है।
इस बात पर गौर करते हुए कि मिशन अमरीका फाँडेशन इस प्रेरिताई को पहले ही शुरू कर चुका है उन्हें इस रास्ते पर आगे बढ़ने का प्रोत्साहन देते हुए संत पापा ने कहा कि यह चार चीजों का प्रस्ताव रखता है : दृश्यता, सम्मान, स्वयंसेवा और सहयोग।
शिष्यों को मिशन के लिए भेजने से पहले येसु ने उन्हें अपना हाथ और बगल दिखाया। संत पापा ने कहा कि यह छवि रोचक है क्योंकि यह पिता द्वारा येसु के भेजे जाने और अब उनके द्वारा हमें भेजने का सार प्रस्तुत करता है, जिसमें दर्द, पाप, मृत्यु की वास्तविकता है। जो किसी की निंदा नहीं करते बल्कि सब कुछ को अपने आप में लेते हुए मानवता को गहराई से चंगा करते हैं। उसी तरह, लातीनी अमरीका की वास्तविकता को जानने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के द्वारा, हमारा क्षितिज ख्रीस्त के फैले हाथ को दिखायेगा, जो अपने घावों में हमें उत्तम शरण प्रदान करते हैं।
सुसमाचार में हम पाते हैं कि संत थॉमस उस समय अनुपस्थित था जब येसु ने शिष्यों को अपने हाथ और अपनी बगल दिखायी। संत पापा ने कहा कि येसु आवश्यकताओं के प्रति हमेशा सचेत रहते हैं लेकिन सबसे बढ़कर व्यक्ति पर ध्यान देते हैं। “सच्ची समानता, सच्चा न्याय, हर किसी के लिए एकल एवं एकात्मक मार्ग को थोपना नहीं चाहिए, बल्कि हर किसी की स्वतंत्रता और उनकी जरूरतों में साथ देने में सक्षम होना चाहिए, ताकि हरेक व्यक्ति ईश्वर की बुलाहट का जवाब दे सके एवं उनके प्रेम की योजना का प्रत्युत्तर दे सके।”
उसी घटना में हम पाते हैं कि येसु शिष्यों को पवित्र आत्मा प्रदान करते हैं और इस वरदान के साथ उन्हें शक्ति और अधिकार देते हैं ताकि वे उत्साह के साथ उनके मिशन को आगे ले सकेंगे। उसी समय से शिष्य अधिक सक्रिय हो गये। इस तरह हमारी शक्ति भी ईश्वर पर निर्भर करती है। संत पापा ने सदस्यों से कहा कि वे स्पेन की कलीसिया से शुरू करते हुए, सक्रिय स्वयंसेवक के रूप में इस बुलाहट को बढ़ावा देने का प्रयास करें। यह उन लोगों को प्रार्थना, कार्य और एकात्मता द्वारा सहयोग करना है जो इस भावना से प्रेरित होकर दुनिया भर में स्वर्ग राज्य के सुसमाचार की घोषणा करते हुए आगे बढ़ते हैं।
अंततः संत पापा ने पुनरूत्थान के बाद ख्रीस्त के वरदान “तुम्हें शांति मिले” पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा, “इसका अर्थ है कि शांति जिसको ईश्वर ने मानव के साथ और लोगों के बीच स्थापित किया है, हमारे अस्तित्व को बदल देता है, ठीक उसी तरह जिस तरह बंद कमरे में येसु के दर्शन के बाद शिष्यों का जीवन बदल गया था। और यह एक साथ चलने, भलाई की खोज करने, प्रेम एवं सौहार्द फैलाने, नई सच्चाई की खोज करने, सेतु का निर्माण करने, डर एवं शिकायतों को समाप्त करने का हमारा दिनचर्या बन जाता है।
संत पापा ने “मिशन अमेरिका” फाऊंडेशन के सदस्यों को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि येसु द्वारा कलीसिया को मिशन के लिए प्रेषित करना उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बने। अंत में, संत पापा ने उनकी यात्रा में माता मरियम के सहचार्य और येसु की आशीष की कामना की।
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