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लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस   (VATICAN MEDIA Divisione Foto) संपादकीय

एक कलीसिया अपने लिए प्राप्त करुणा को प्रतिबिम्बित करती है

संत पापा फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय काल के 10 वर्ष पूरा होने पर वाटिकन न्यूज के संपादकीय निदेशक अंद्रेया तोरनियेली ने उनके मूल संदेश – करुणा - पर चिंतन किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एक कलीसिया जो आगे बढ़ती और "पहल करती है", क्योंकि उसने पहले प्रभु के पहल का अनुभव किया है और उनसे "पहले प्रेम" की गई महसूस की है।

13 मार्च 2013 को जॉर्ज मारियो बेरगोलियो के पोप चुने जाने के 10 साल बाद पीछे मुड़कर देखना महत्वपूर्ण है। यह याद रखने योग्य है कि संत पापा फ्राँसिस किन प्रस्तावों को रखते और कलीसिया के किस चेहरे का साक्ष्य देते हैं, जैसा कि हम एवंजेली गौदियुम में पाते हैं, कलीसिया पहला कदम लेना जानती है, दृढ़ता पूर्व पहल करती, दूसरों के लिए बाहर निकलती, पतित की खोजने जाती, चौराहों पर खड़े होकर निर्वासितों का स्वागत करती और करुणा प्रकट करने की असीम चाह रखती है, यह उस अनुभव को बांटना चाहती है जिसको उसने पिता के असीम करुणा की शक्ति में महसूस किया है।”    

संत पापा फ्राँसिस ख्रीस्तीय समुदाय के चेहरे को प्रकट करते हैं जो स्व-संदर्भ के अभिशाप से मुक्त हैं, जो जानते हैं कि वे वास्तव में मिशनरी तभी हो सकते हैं जब वे स्वयं को प्रकाश का स्रोत समझे बिना, प्रभु के प्रकाश को प्रतिबिम्बित करते हैं।

इस समुदाय ने कभी भी आश्रय और धर्मांतरण तकनीकों का सहारा नहीं लिया है, और उन लोगों के उदासीन निराशावाद से मुक्त है जो एक ऐसा "ख्रीस्तीय धर्म" चाहते हैं जो अस्तित्व में है ही नहीं। यह पापियों को क्षमा देनेवाला समुदाय है – जैसा कि स्वयं रोम के धर्माध्यक्ष ने कहा है, जो निरंतर ईश्वर की असीम दया का अनुभव करते हुए इसे एक प्रतिध्वनि की तरह दूसरों के साथ बांटता है।  

"करुणा" वास्तव में वह शब्द है जो अर्जेंटीना के पोप के धर्म सिद्धांत का सबसे अच्छा सार प्रस्तुत करता, जब वे अपने परमाध्यक्षीय कार्यकाल के दूसरे दशक में प्रवेश कर रहे हैं। यह हर गिरावट के बाद लगातार प्यार किए जाने और उठाए जाने की चेतना है। यह हमारे बदलते युग में प्रेरिताई की कुंजी है।

विश्वपत्र एवंजेली गौदियुम में हम पुनः पढ़ते हैं, “सुसमाचार प्रचार करनेवाला समुदाय लोगों के दैनिक जीवन में कथनी और करनी से शामिल होता है; यह दूरियों को पाटता है, यदि आवश्यक हो तो यह खुद को नीचा दिखाने के लिए तैयार रहता, और वह मानव जीवन को गले लगाता है, दूसरों में मसीह के पीड़ित शरीर को छूता है।"

यह समुदाय स्वागत करने, सुनने, साथ देने, यानी "सहभागी होने" के लिए तैयार है, जैसा कि येसु ने अपने शिष्यों के साथ किया जब वे उनके पैर धोने के लिए झुके। यह एक धैर्यवान समुदाय है, जिसे इसकी स्थिरता के लिए दुश्मनों की जरूरत नहीं होती, लेकिन यह "अनाज की परवाह करता और मातम पर अधीर नहीं होता है।"

पोप फ्राँसिस ने अपनी सेवा के पहले दस वर्षों में इसी संदेश को प्रकट किया है। उन शब्दों को खुद जीया है जिनको उन्होंने कॉन्क्लेव से पहले महासभा के लिए अपने संक्षिप्त भाषण में कहा था।

उन्होंने कहा था कि “अगले पोप के बारे सोचते हुए, एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो येसु ख्रीस्त पर चिंतन और आराधना द्वारा कलीसिया को अपने आपसे बाहर निकलने एवं सुदूर क्षेत्रों में जाने में मदद कर सके, ताकि वह सुसमाचार प्रचार के मीठे और सुकून देनेवाले आनंद की एक फलदायी माँ बन सकें।”

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14 March 2023, 16:46