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बेल्जियम काथलिक साप्ताहिक पत्रिका "तेर्सियो" संत पापा को भेंट करते पत्रिका के सम्पादक (18.9.20) बेल्जियम काथलिक साप्ताहिक पत्रिका "तेर्सियो" संत पापा को भेंट करते पत्रिका के सम्पादक (18.9.20)  (� Vatican Media)

पोप : हमें एक अलग अर्थव्यवस्था का सपना देखने का साहस होना चाहिए, सभी की सेवा के लिए

इस लेख में, आज प्रकाशित बेल्जियम काथलिक साप्ताहिक पत्रिका "तेर्सियो" के साक्षात्कार के कुछ अंश प्रकाशित किये जा रहे हैं। साक्षात्कार में संत पापा फ्राँसिस ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की है, जैसे - द्वितीय वाटिकन महासभा से वर्तमान की सिनॉडल प्रक्रिया तक, यूक्रेन में जारी युद्ध से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में भूला दिए गये युद्ध तक। खासकर, उन्होंने आर्थिक विकास के एक नये मॉडल का विस्तार करने का आह्वान किया है जो किसी को पीछे नहीं छोड़ता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

"तेर्सियो" को पहले भी 17 नवम्बर 2016 को संत पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार करने का सौभाग्य मिला था। उस समय साक्षात्कार का कारण था; एक ओर, प्रथम विश्व युद्ध का सौ साल और दूसरी ओर, नवंबर 2015 में पेरिस में और 22 मार्च, 2016 को ब्रसेल्स में आतंकवादी हमले। चार साल बाद यह उचित है कि दूसरा साक्षात्कार के लिए आग्रह किया जाए, इस समय उनका साक्षात्कार परमाध्यक्षीय काल के दस साल पूरा होने के उपलक्ष्य में किया गया है जो 13 मार्च 2023 को होगा। पोप फ्राँसिस के 86वें जन्मदिन के दो दिन बाद और फुटबॉल विश्व कप में अर्जेंटीना की जीत के बाद सोमवार, 19 दिसंबर 2022 को नया साक्षात्कार निर्धारित किया गया था। हम पोप को दोहरी शुभकामनाओं के साथ बधाई देते हैं... एक बार रिकॉर्डिंग के लिए माइक्रोफोन का परीक्षण हो जाने के बाद, साक्षात्कार शुरू हो सकता है।

द्वितीय वाटिकन महासभा में आपके परमाध्यक्षीय काल को समझने के लिए एक लाल धागा है। उस महासभा के कार्यान्वयन की निरंतरता आपके दिल के इतने करीब क्यों है? दांव पर क्या है?

इतिहासकारों का कहना है कि एक महासभा के निर्णयों को पूर्ण रूप से प्रभावी होने और कार्यान्वित होने में एक सदी लग जाती है। हमें करीब 40 साल आगे जाना है ...महासभा उन चीजों में से एक थी जिसे ईश्वर ने इतिहास में घटित होने दिया। शायद उस समय जब संत पापा जॉन 23वें ने उसके लिए आह्वान किया। किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। कहा जाता है कि खुद उन्होंने भी यही सोचा था कि यह एक महीने में समाप्त हो जाएगा। लेकिन एक कार्डिनल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा : "फर्नीचर खरीदना शुरू कीजिए और बाकी दूसरी चीजों के लिए वर्षों लग जायेंगे।“ पोप जॉन तेइसवें ने इसपर ध्यान दिया, वे प्रभु के आह्वान के लिए एक खुले व्यक्ति थे। इसी तरह ईश्वर अपने लोगों से बातें करते हैं। वास्तव में, उन्होंने वहीँ हमसे बातें कीं। महासभा ने न केवल कलीसिया के नवीनीकरण के लिए बात की लेकिन कलीसिया को हमेशा जीवित रखने के लिए चुनौती भी दी। महासभा नवीनीकरण नहीं लाती बल्कि यह कलीसिया को फिर युवा बनाती है। कलीसिया एक माता है जो हमेशा आगे बढ़ती है। महासभा ने अधिक परिपक्वता, समय के चिन्ह को पहचानने का द्वार खोला है। उदाहरण के लिए, लुमेनजेन्सियुम जो कलीसिया का धर्मसिद्धांत संबंधी संविधान है, सबसे पारंपरिक और एक ही समय में सबसे आधुनिक दस्तावेजों में से एक है, क्योंकि कलीसिया की संरचना में, पारंपरिक - अगर ठीक से समझा जाए - हमेशा आधुनिक होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि परंपरा का विकास और प्रगति होता है ...

प्रश्न- परिषद के कार्यान्वयन और कार्यान्वयन की निरंतरता में सिनॉडालिटी को प्रोत्साहन देना शामिल है। इसका वास्तव में क्या अर्थ है?

एक बिंदु है जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। परिषद के अंत में, पोप पौल छठवें यह देखकर बहुत प्रभावित हुए कि पश्चिमी कलीसिया ने अपने सिनॉडल आयाम को लगभग खो दिया था, जबकि पूर्व की काथलिक कलीसिया इसे सुरक्षित करने में सक्षम थी।

इसलिए उन्होंने कलीसिया में एक बार फिर धर्मसभा को बढ़ावा देने के लिए धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के सचिवालय के निर्माण की घोषणा की। पिछले साठ वर्षों में, यह काफी विकसित हुआ है। धीरे-धीरे कुछ बातें स्पष्ट हुईं। उदाहरण के लिए, चूँकि केवल धर्माध्यक्षों को वोट देने का अधिकार था। कभी-कभी यह स्पष्ट नहीं होता था कि महिलाएँ मतदान कर सकती हैं या नहीं...अक्टूबर 2019 में अमाजोन पर हुई पिछली धर्मसभा में इस मायने में परिपक्वता आई...अब हम यहां हैं और हमें आगे बढ़ना चाहिए। वर्तमान सिनॉडल प्रक्रिया के माध्यम से हम यही कर रहे हैं, और सिनॉडालिटी पर दो धर्मसभाएँ हमें कलीसिया में निर्णय लेने के अर्थ और पद्धति को स्पष्ट करने में मदद करेंगी।

2016 में हमारे पहले साक्षात्कार में, उन्होंने तीसरे विश्व का जिक्र किया कि हम इसे टुकड़ों में झेल रहे हैं। आज भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है बल्कि यह बदतर हो गयी है, यूक्रेन में जारी युद्ध जैसी स्थिति में, वाटिकन कूटनीति क्या भूमिका अदा कर सकती है?

वाटिकन ने इस संघर्ष को पहले दिन से ही अपने हृदय में ले लिया है। आक्रमण शुरू होने के एक दिन बाद, मैं व्यक्तिगत रूप से रूसी दूतावास गया। मैंने कुछ ऐसा किया जो किसी पोप द्वारा कभी नहीं किया गया था ... मैंने मास्को जाने और यह देखने की इच्छा भी व्यक्त की कि संघर्ष आगे न बढ़े। इसके शुरू होने से लेकर आज तक, वाटिकन हमेशा कार्रवाई के केंद्र में रहा है। कई कार्डिनल यूक्रेन की यात्रा कर चुके हैं...इसके साथ ही हमने रूसी लोगों के साथ बात करना भी नहीं छोड़ा है ताकि हम कुछ कर सकें।

कुछ लोग बहुत क्रूर हैं, अत्यन्त निर्दयी। वहाँ अत्याचार किये जा रहे हैं; कुछ बच्चों को भी प्रताड़ना दी जा रही है। कई बच्चे जो इटली में अपनी माताओं के साथ हैं, वे शरणार्थी हैं, वे मुझे देखने आते हैं। मैंने कभी किसी यूक्रेनी बच्चे को हँसते नहीं देखा। क्यों, क्या ये बच्चे नहीं हंसते? उन्होंने क्या देखा है? यह खौफनाक है, सचमुच भयावाह।

ये लोग आक्रमण के कारण पीड़ा सह रहे हैं। मैं कई यूक्रेनी लोगों के सम्पर्क में भी हूँ। राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मुझसे बात करने के लिए कई प्रतिनिधियों को भेजा है। हम यहाँ से जितना बन पड़ता है लोगों की सहायता करने की कोशिश करते हैं। लेकिन पीड़ा बहुत अधिक है। मैं याद करता हूँ कि मेरे माता-पिता जो बतलाया करते थे :  “युद्ध पागलपन है।” हम इस युद्ध में बहुत अधिक सहभागी महसूस करते हैं क्योंकि यह हमारे नजदीक हो रहा है। लेकिन वर्षों से दुनिया के कई जगहों में युद्ध हो रहे हैं, जिनपर हमने ध्यान नहीं दिया है : म्यांमार में, सीरिया में -13 साल से जारी है – यमन में, जहाँ बच्चों के लिए न शिक्षा है और न रोटी, जहाँ वे भुखमरी के शिकार हैं। दूसरे शब्दों में : दुनिया में, वास्तव में, हमेशा युद्ध जारी रहा है। इस संबंध में, एक चीज है जिसकी निंदा की जानी चाहिए: वह है बड़े हथियारों का उद्योग। जब एक अमीर देश कमजोर होने लगता है, तो कहा जाता है कि उसे आगे बढ़ने और फिर से मजबूत होने के लिए युद्ध की जरूरत है। और इसके लिए हथियार तैयार किये जाते हैं।

हमारे देशों में - घटते पुरोहितों और कम विश्वासियों के साथ - कलीसिया का नेतृत्व, पूजन पद्धति और उद्घोषणा पर ध्यान केंद्रित करता है। यदि कलीसिया आज प्रासंगिक होना चाहता है तो क्या कलीसिया को अपना सामाजिक और नबी होने का चेहरा नहीं दिखाना चाहिए?

वे परस्पर विरोधी नहीं हैं। प्रार्थना, आराधना और उपासना का अर्थ साक्रेस्टी से दूर जाना नहीं है। एक कलीसिया जो ख्रीस्तयाग अर्पित नहीं करती, वह कलीसिया नहीं है। लेकिन ऐसा कोई कलीसिया नहीं है जो खुद को साक्रेस्टी में छिपाती। साक्रेस्टी में बस जाना सही उपासना नहीं है। यूखरिस्त समारोह का परिणाम होता है। उसमें रोटी तोड़ी जाती है, जिसके लिए सामाजिक दायित्व होते हैं, दूसरों की चिंता करने का दायित्व। प्रार्थना एवं प्रतिबद्धता एक साथ चलते हैं। ईश्वर की आराधना एवं भाई-बहनों की सेवा एक साथ आगे बढ़ते हैं क्योंकि हम हरेक भाई और बहन में येसु ख्रीस्त को देखते हैं।  

नवउदारवादी बाजार मॉडल अपनी सीमा तक पहुंच गया है। "फ्रांसिस की अर्थशास्त्र" कैसे एक विकल्प प्रदान करता है?

हमारे पास ऐसी अर्थव्यवस्थाओं का सपना देखने का साहस होना चाहिए जो पूरी तरह से उदार नहीं हैं ... हमें अर्थव्यवस्था से सावधान रहना चाहिए: यदि यह केवल वित्त पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करती है, साधारण आंकड़ों पर जिसके पीछे कोई वास्तविक संस्था नहीं है, इस तरह की अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है और एक गंभीर विश्वासघात का कारण बन सकती है। अर्थव्यवस्था को एक सामाजिक अर्थव्यवस्था होनी चाहिए।

"बाजार अर्थव्यवस्था" की अभिव्यक्ति के लिए, जॉन पॉल द्वितीय ने "सामाजिक", एक सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था को जोड़ा। व्यक्ति को हमेशा सामाजिकता को ध्यान में रखना चाहिए। अभी आर्थिक संकट निस्संदेह गंभीर है, संकट भयानक है। दुनिया में अधिकांश लोगों के पास - बहुसंख्यक - के पास खाने के लिए पर्याप्त नहीं है, जीने के लिए पर्याप्त नहीं है। दौलत चंद लोगों के हाथ में है जो बड़े कारोबार चलाते हैं, जो कभी-कभी शोषण के लिए प्रवृत होते हैं। समाज की सेवा में, अर्थव्यवस्था को हमेशा सामाजिक होना चाहिए।

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28 February 2023, 16:57