खोज

डीआर कोंगो में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस डीआर कोंगो में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस  (Vatican Media)

डीआर कोंगो के हिंसा पीड़ितों से पोप, ईश्वर आपको प्यार करते हैं

संत पापा फ्राँसिस ने डीआर कोंगो की प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन किंशासा के प्रेरितिक राजदूतावास में देश के पूर्वी हिस्से के पीड़ितों से मुलाकात की तथा हिंसा से पीड़ित लोगों के दिल दहलाने वाले साक्ष्य सुनने के बाद सभी हिंसक कृत्यों की कड़ी निंदा की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने पूर्व के निवासियों को सम्बोधित कर कहा, “जिस अमानवीय हिंसा को आपने अपनी आंखों से देखा और व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया, उसे सुनकर हम स्तब्ध हैं। हम शब्द विहीन हो गए हैं; हम सिर्फ चुपचाप रो सकते हैं। बनिया, बेनी-बुटेम्बो, गोमा, मसीसी, रुतशुरु, बुकावु, उविरा: ये ऐसी जगहें हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय मीडिया शायद ही कभी जिक्र करता हो। उन जगहों पर, और अन्य जगहों पर, हमारे एक मानव परिवार के इतने सारे भाई-बहन, बेटे और बेटियाँ, शक्तिशाली लोगों की सनक के लिए बंधक बना लिए गए हैं, जिनके पास सबसे शक्तिशाली हथियार हैं, हथियार जिनको अब भी बांटा जा रहा है। आज मेरा हृदय इस विशाल देश के पूरब में है। देश में शांति तब तक नहीं होगी जब तक कि उसके पूर्व में शांति नहीं होगी।

पूर्व के हिंसा पीड़ितों को सांत्वना

संत पापा ने कहा, “पूर्व के प्रिय निवासियों, मैं आप से कहना चाहता हूँ: मैं आपके करीब हूँ। आपके आंसू मेरे आंसू हैं; आपका दर्द मेरा दर्द है। गाँवों के जलने और अन्य युद्ध अपराधों से दुःखी या विस्थापित हुए हर परिवार, यौन हिंसा से पीड़ित और हर घायल बच्चे एवं वयस्क से मैं कहता हूँ: मैं आपके साथ हूँ; मैं आपके लिए ईश्वर का दुलार लाता हूँ। वे आपको कोमलता और करुणा से देखते हैं। जबकि हिंसक आपके साथ बंधक के रूप में व्यवहार करते हैं। हमारे स्वर्गीय पिता आपकी गरिमा को देखते हैं, और आप में से प्रत्येक से कहते हैं: "तुम मेरी दृष्टि में अनमोल और प्रतिष्ठित हो, और मैं तुम से प्रेम रखता हूँ" (इसायस 43:4)। भाइयों और बहनों, कलीसिया हमेशा आपके साथ है और रहेगी। ईश्वर आप सभी को प्यार करते है; वे आपको नहीं भूले हैं।

हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

ईश्वर के नाम पर, पीड़ितों और शांति, न्याय एवं भाईचारे के लिए काम करनेवाले सभी लोगों के साथ, मैं सशस्त्र हिंसा, नरसंहार, बलात्कार, गांवों के विनाश और कब्जे, एवं खेतों और मवेशियों की लूट की निंदा करता हूँ, जो कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हो रहे हैं। देश की सम्पति पर अवैध शोषण और इसपर नियंत्रण करने के लिए देश को विभाजित करने का प्रयास जारी है। यह जानकर दुःख होता है कि असुरक्षा, हिंसा और युद्ध जो इतने सारे लोगों को दुखद रूप से प्रभावित करते हैं, निजी हितों और लाभ के लिए न केवल बाहरी ताकतों द्वारा, बल्कि भीतर से भी अपमानजनक रूप से प्रेरित होते हैं। मैं स्वर्ग में हमारे पिता ईश्वर की ओर मुड़ता हूँ, जो चाहता है कि हम सभी पृथ्वी पर भाई-बहन बने रहें: मैं विनम्रतापूर्वक अपना सिर झुकाता हूँ और अपने दिल में दर्द के साथ, मनुष्य के खिलाफ मनुष्य की हिंसा के लिए क्षमा मांगता हूँ। पिता, हम पर दया कर! पीड़ितों और दुखियों को सांत्वना दें। उन लोगों के दिलों को बदल दे जो क्रूर अत्याचार करते हैं, जो पूरी मानवता को शर्मसार करते! और उनकी आंखें खोल दें जो इन घिनौने कामों को देखने से इन्कार करते हैं अथवा उन से दूर हो जाते हैं।

हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

लहू की पुकार सुनें

संत पापा ने सभी लोगों से खासकर, डीआर कोंगो में युद्ध भड़काने वालों से जोरदार अपील करते हुए कहा, “उनके खून की पुकार सुनें, ईश्वर की आवाज और अपने अंतःकरण की आवाज सुनें। अपना हथियार रख दें, युद्ध का अंत करें!”

"बस! गरीबों की कीमत पर अमीर बनना बंद करें, संसाधनों और खून से सने पैसों से अमीर बनना बंद करे!

उन्होंने फिर पूछा कि हम क्या कर सकते हैं और हम शांति को बढ़ावा देने के लिए कहाँ से शुरुआत कर सकते हैं? उन्होंने जवाब में, प्रस्ताव रखते हुए कहा, हम "'नहीं' कहने के दो तरीकों से और 'हाँ' कहने के दो तरीकों से शुरू कर सकते हैं।"

हिंसा और त्याग को "नहीं"

उन्होंने कहा, हमें बिना किसी अपवाद के "हमेशा और हर जगह हिंसा को नहीं" कहना चाहिए। साथ ही, उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा को "नहीं" कहने का मतलब हिंसा से बचने से बढ़कर है; इसमें हिंसा की जड़ों को खत्म करना शामिल है, अर्थात् "लालच, ईर्ष्या और सबसे बढ़कर, नाराजगी" को खत्म करना है। सभा में उपस्थित जीवित बचे लोगों को संबोधित करते हुए, पोप फ्राँसिस ने कहा, "मैं आप सभी लोगों से, हमारे साहसी गवाहों के सुझाव जैसा व्यवहार करने के लिए कहना चाहूँगा: हृदय को हथियार रहित करने का साहस रखें।"

संत पापा ने नहीं त्यागने के लिए सभी का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “मैं पुनः एक बार उन सभी को निमंत्रण देता हूँ जो डी आर कोंगो में रहते हैं, आप बेहतर भविष्य का निर्माण करने की प्रतिबद्धता का त्याग न करें।”

“पूर्व में भी शांति संभव है। आइये हम इसपर विश्वास करें। हम इसके लिए काम करें। दूसरों को सौंपे बिना खुद इसके लिए काम करें।”

हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

मेल-मिलाप और आशा को “हाँ” कहें

उसके बाद संत पापा ने दो तरीके से हाँ कहने पर चर्चा की। उन्होंने मेल-मिलाप को हाँ कहने का प्रोत्साहन दिया। पीड़ितों को पुनः सम्बोधित करते हुए संत पापा ने एक-दूसरे को माफ करने और विभाजन का हल करने के लिए युद्ध का बहिष्कार करने हेतु उनकी प्रतिबद्धता की चाह की सराहना की।  

उन्होंने कहा, “ख्रीस्तीय धर्म के नबी की आवाज का अर्थ है बुराई का जवाब अच्छाई से देना, घृणा का जवाब प्रेम से और विभाजन का जवाब मेल-मिलाप से देना। ये सभी चीजें बुराई से अधिक शक्तिशाली हैं क्योंकि ये इसे बाहर से नष्ट करने के बजाय अंदर से बदल देती हैं।”

उन्होंने कहा, “सिर्फ इसी तरह हम बुराई पर जीत पा सकते हैं जैसा कि येसु ने क्रूस पर किया, उन्होंने इसे अपने लिए स्वीकार करते हुए प्रेम में बदल दिया।”

अंततः संत पापा ने "निर्णायक 'हाँ', आशा करने के लिए हाँ" पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, आशा का एक स्रोत है, येसु। येसु के साथ जीवन पर बुराई का बोलबाला नहीं है। येसु ने मृत्यु और कब्र पर विजय पायी है।

हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
हिंसा पीड़ितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

संत पापा ने देश के पूर्वी हिस्से के लोगों को सम्बोधित कर कहा, “देश के पूर्वी हिस्से के भाइयो एवं बहनो, ये आशा आपके लिए है और इसपर आपका अधिकार है। लेकिन यह भी अधिकार है कि आप इसे हासिल करें, खासकर, हर दिन शांति के बीज बोने के द्वारा। शांति के बीज बोना हमारे लिए उचित है, यह हमें व्यक्तिगत लाभ हासिल करने के संकीर्ण विचार से मुक्त करता है और अधिक से अधिक ईश्वर के समान बनाता है जो धीरज पूर्व आशा के बीज बोते हैं।”

शांति के बीज बोने वाले

तब संत पापा ने उन लोगों को धन्यवाद दिया एवं उन्हें आशीष प्रदान की जिन्होंने शांति के बीज बोने के लिए काम किया है एवं अपना जीवन दिया है। वे आशा के बीज बोने वाले थे उनकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी।

अंपने संदेश के अंत में उन्होंने पुनः पूर्व के लोगों के प्रति अपना सामीप्य व्यक्त किया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया, “येसु, हमारे भाई और मेल-मिलाप के ईश्वर जिन्होंने पाप और पीड़ा के अंधकार के बीच, जीवन रूपी वृक्ष क्रूस रोपा, आशा के ईश्वर जो आप पर, आपके देश पर और आपके भविष्य पर विश्वास करते हैं, आप सभी को आशीष एवं सांत्वना प्रदान करें।” वे आपके हृदयों, “आपके परिवारों और समस्त लोकतांत्रिक गणराज्य कोंगो में शांति भर दें।”

डीआर कोंगो के पूर्वी हिस्से में हिंसा के शिकार लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

02 February 2023, 15:44