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डीआर कोंगो के धर्माध्यक्षों को सम्बोधित करते संत पापा फ्राँसिस डीआर कोंगो के धर्माध्यक्षों को सम्बोधित करते संत पापा फ्राँसिस  

डीआर कोंगो के धर्माध्यक्षों से पोप : मेल-मिलाप और शांति के नबी बनें

संत पापा फ्राँसिस ने कोगों लोकतांत्रिक गणराज्य के काथलिक धर्माध्यक्षों से मुलाकात की एवं उनके आग्रह किया कि वे याद रखें कि ईश्वर उनकी प्रेरिताई में उनके नजदीक है ताकि वे कोंगो के लोगों के लिए नबी की आवाज बन सकें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने शुक्रवार को धर्माध्यक्षों को सम्बोधित कर कहा, “प्यारे धर्माध्यक्ष भाइयो, मैं आप से मुलाकात कर खुश हूँ और आपके हार्दिक स्वागत के लिए कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। ... आपने जिस साहस के साथ प्रभु की सांत्वना की घोषणा की है, अपने लोगों के बीच जाकर उनकी कठिनाइयों एवं आशा को साझा किया है, उसके लिए मैं आभारी हूँ।“  

लालच एवं स्वार्थ के कारण हुए घावों से ठीक करने के लिए बुलाये गये

यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मैं इन दिनों को आपके देश में व्यतीत कर रहा हूँ जिसका अपना घना जंगल है, जो अफ्रीका के हरे-भरे हृदय, पूरे विश्व के लिए एक फेफड़े को दर्शाता है। इस प्राकृतिक विरासत का महत्व हमें याद दिलाता है कि हम सृष्टि की सुंदरता की रक्षा करने और लालच एवं स्वार्थ के कारण हुए घावों से बचाने के लिए बुलाये गये हैं। यह विशाल हरियाली जो आपका जंगल है एक छवि है जो हमारे ख्रीस्तीय जीवन के बारे बोलता है।

एक कलीसिया के रूप में हमें सुसमाचार की शुद्ध हवा को सांस लेना है, दुनियादारी की दूषित हवा को दूर करने के लिए, विश्वास के युवा हृदय की रक्षा करनी है। मैं अफ्रीकी कलीसिया की कल्पना इसी तरह करता हूँ और कोंगो की कलीसिया को भी देखता हूँ: एक जवान, गतिशील और आनन्दमय कलीसिया, मिशनरी उत्साह से प्रेरित, सुसमाचार से अनुप्राणित कि ईश्वर हमें प्यार करते हैं और कि येसु ही प्रभु हैं। संत पापा ने उन्हें विश्वव्यापी कलीसिया की मदद करने के लिए धन्यवाद दिया।

कलीसिया येसु के समान आँसूओं को पोंछना चाहती है

उन्होंने कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य की कलीसिया के दूसरे चेहरे को भी सामने रखते हुए कहा, “दुःख की बात है कि इस देश के ख्रीस्तीय समुदाय का एक और चेहरा भी है। वास्तव में, आपका युवा, चमकदार और नेक चेहरा, दर्द और थकान, तथा कभी-कभी डर एवं निराशा भी दिखाता है। यह कलीसिया का चेहरा है जो अपने लोगों के लिए तड़पता है। कलीसिया जो ख्रीस्त का दृश्यमान चिन्ह है, किन्तु आज भी बहिष्कृत है, निंदित एवं हमारी दुनिया के कई क्रूसित लोगों में अपमानित है। कलीसिया जो रोती और आँसू बहाती है, येसु के समान उन आँसूओं को पोंछना चाहती है। कलीसिया जो लोगों के भौतिक एवं आध्यात्मिक घावों के लिए चिंता करती एवं ख्रीस्त की बगल से बहनेवाले जीवित एवं चंगा करनेवाले जल को प्रवाहित करती है।

ईश्वर के निकट रहें एवं लोगों के लिए नबी का काम करें

संत पापा ने कहा, “स्थानीय कलीसिया अपने लोगों की कठिनाइयों से पीड़ित होती और उनके आनन्द से आनन्दित होती है।“  उन्होंने कहा, “मैं इन लोगों के इतिहास में येसु को पीड़ित देखता हूँ, क्रूस पर चढ़ाया गया और उत्पीड़ित, निर्मम हिंसा से तबाह, निर्दोष पीड़ा से पीड़ित, भ्रष्टाचार और अन्याय के दूषित जल के साथ जीने के लिए मजबूर, जो समाज को प्रदूषित करता, और इसके कई बच्चों में गरीबी झेलते हैं।”

प्रार्थना में ईश्वर से सामीप्य

संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा कि वे “ईश्वर के निकट रहें एवं लोगों के लिए नबी का काम करें।”  

उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे ईश्वर के सामीप्य में सांत्वना प्राप्त करें ताकि दूसरों को भले चरवाहे के निकट आने में मदद कर सकेंगे। संत पापा ने धर्माध्यक्षों के बीच सत्ता के लिए ताम-झाम और खुद की प्रगति पर अधिक ध्यान देने की निंदा की और कहा कि इस प्रकार का मनोभाव उन्हें प्रार्थना में ख्रीस्त के साथ संबंध को दरकिनार करेगा।  

“जब हम ईश्वर के साथ हमारे सामीप्य को अधिक मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं, तब हम लोगों की ओर खींचे गये महसूस करते हैं और हमारी देखभाल के लिए सौंपे गए लोगों के लिए हमेशा करुणा महसूस करेंगे।”

उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षों की प्रेरिताई होनी चाहिए “घावों को छूना और ईश्वर के सामीप्य को प्रकट करना है जिससे कि कोंगो के लोग अपने अपमान एवं शोषण से ऊपर उठाये जा सकें।”

अन्याय को उखाड़ने के लिए नबी बनें

इसके बाद संत पापा ने भविष्यवाणी के विषय की ओर रुख किया, जिसे धर्माध्यक्षों को अपनाना चाहिए ताकि यह शब्द दूसरों को ईश्वर की ओर ले जाने के लिए उनके भीतर एक "स्वतंत्र बेचैनी" जगा सके।

उन्होंने कहा, “ईश्वर का वचन एक आग है जो अंदर धधकती है और बाहर निकलने के लिए दबाव डालती है। धर्माध्यक्ष के रूप में हमें ऐसा ही होना है, ईश वचन द्वारा प्रज्वलित, ईश प्रजा की ओर प्रेरितिक उत्साह से भेजे गये।”   

संत पापा ने कहा कि ईश्वर अपने नबियों को बुलाते हैं ताकि अन्याय और दुराग्रह से भरी दुनिया के इतिहास में नया अध्याय जोड़ने में मदद करने के लिए उन्हें भेज सकें।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और शोषण के साथ-साथ नफरत, आक्रोश और हिंसा के जहर को समाज से जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।

ईशवचन की घोषणा, राजनीति की नहीं

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को सलाह दी कि ख्रीस्तीय घोषणा को राजनीतिक सक्रियतावाद से नहीं मिलाना चाहिए क्योंकि धर्माध्यक्ष ईशवचन की घोषणा करने, चेतना जगाने, बुराई का बहिष्कार करने, टूटे हृदयों एवं निराश लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए बुलाये गये हैं।

उन्होंने धर्माध्यक्षों को अपने पुरोहितों और प्रेरितिक कार्यकर्ताओं के करीब रहने तथा क्षमाशीलता एवं सुसमाचारी सरलता का अच्छा उदाहरण देने का निमंत्रण दिया।

उन्होंने कहा, “मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि ईश्वर के साथ संवाद की उपेक्षा न करें अथवा भविष्यवाणी की लौ को शक्तियों के अस्पष्ट संबंध से, या एक आत्मसंतुष्ट और नियमित जीवन से बुझाने न दें।"

हिंसा के सामने करुणा का साक्ष्य

अंत में संत पापा ने कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि वे स्वर्गीय महाधर्माध्यक्ष क्रिस्टोफ मुनजिहिरवा के आदर्शों को अपनायें।

जेस्विट महाधर्माध्यक्ष एक साहसी चरवाहे एवं नबी की आवाज थे और सन् 1996 में लोगों को बचाने के क्रम में शहर के चौक पर मार डाले गये थे।

संत पापा ने कहा, “आप हिंसा के बीच करुणा और मेल-मिलाप के साक्षी बनें, जो न केवल संसाधनों के दोहन एवं जनजातीय एवं आदिवासी संघर्षों के कारण फैल रहा है किन्तु सबसे बढ़कर बुराई की अंधकारमय शक्ति, ईश्वर एवं मानव के शत्रु के द्वारा फैलाया जा रहा है।”

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कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के धर्माध्यक्षों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
03 February 2023, 15:35