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रोम के डॉक्टरों से पोप की मुलाकात रोम के डॉक्टरों से पोप की मुलाकात  (ANSA)

डॉक्टरों से पोप : निराश न हों

संत पापा फ्राँसिस ने रोम धर्मप्रांत के स्वास्थ्य देखभाल प्रेरिताई में लगे डॉक्टरों को प्रोत्साहन दिया कि वे कभी निराश न हों तथा येसु की सेवा करते रहें जो उन बीमार लोगों के चेहरों में उपस्थित होते हैं जिनकी वे सेवा करते, क्योंकि प्रभु हमेशा कमजोर लोगों के करीब रहते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 9 फरवरी 2023 (रेई) – संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को रोम धर्मप्रांत के प्रेरितिक स्वास्थ्य कार्यालय के डॉक्टरों से मुलाकात की तथा उन्हें पीड़ितों के करीब रहने का प्रोत्साहन दिया। डॉक्टरों ने आगामी विश्व रोगी दिवस की पृष्टभूमि पर संत पापा से मुलाकात की, जिसको ११ फरवरी को मनाया जाएगा।

दोनों घायल  

इस वर्ष इस दिवस की विषयवस्तु है, "उनकी देखभाल करें।" संत पापा ने कहा कि यह वाक्य भले समारितानी के दृष्टांत से लिया गया है। भला समारी सराय के मालिक से आग्रह करता है कि वे पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करें।

संत पापा ने दृष्टांत की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि डाकुओं द्वारा लूटा गया और समारी व्यक्ति दोनों ही घायल थे। डाकुओं द्वारा लूटा गया व्यक्ति डाकूओं की मार से घायल था और समारी व्यक्ति उन लोगों से चोटिल था जो उन्हें तिरस्कार भरी नज़रों से देखते एवं केवल एक अवांछित विदेशी समझते थे। किन्तु यहाँ हम पीड़ित व्यक्ति के द्वारा दूसरे पीड़ित व्यक्ति की मदद को देखते हैं, जो एक एकात्मता एवं आशा की कहानी है जो उनकी मुलाकात से शुरू होती और भय एवं एकाकीपन की दीवार को तोड़ देती है।

पीड़ितों के करीब रहें

रोम के मेडिकल विभाग के सदस्यों की प्रेरिताई पर गौर करते हुए संत पापा ने कहा कि उनकी प्रेरिताई पीड़ा को दूसरों की पीड़ा में सामीप्य के रूप में बदलने के लिए हुई है। संत पापा ने उनके सामने तीन सलाहें रखीं, पहला, पीड़ित लोगों के करीब रहने; दूसरा, आवाजहीन पीड़ितों के लिए आवाज बनने; और तीसरा, परोपकार का एक मोहक खमीर बनने की।

उन्होंने कहा, “आइए सबसे पहले याद रखें कि सुनने, प्यार और स्वीकृति देने के लिए पीड़ित लोगों के करीब जाना कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन ऐसा करने के लिए, हमें अपने भाई के दर्द में "प्राथमिकता का संकेत" देखने सीखना चाहिए, जो हमें अपने दिल की गहराई में रुकने के लिए मजबूर करता और आगे बढ़ जाने नहीं देता है।”

उन्होंने कहा कि यह संवेदनशीलता है जो बढ़ता है जब हम पीड़ित लोगों से मिलते हैं। इस तरह आगे बढ़ते हुए यह हमें मदद करता है कि हम जीवन के सच्चे अर्थ को समझ सकते हैं, जो प्रेम है।

संत पापा ने उन पीड़ितों के लिए आवाज उठाने का प्रोत्साहन दिया जो अपनी बीमारी की स्थिति में अकेले छोड़ दिये गये हैं, आर्थिक एवं नैतिक समर्थन से वंचित हैं, सहज ही निराशा एवं विश्वास खोने की स्थिति में हैं जैसा कि फाइब्रोमाइल्गिया और पुराने दर्द से पीड़ित लोगों के साथ हो सकता है।"

संत पापा का प्रोत्साहन

यह गौर करते हुए कि पीड़ितों के निकट रहना आसान नहीं है संत पापा ने सदस्यों को प्रोत्साहन दिया कि वे निराश न हों, यदि उन्हें बाधा या गलतफहमी का सामना करना पड़े, तब वे अपने पीड़ित भाई या बहन की आँखों में नजर डालें और भले समारी के उन शब्दों को याद करें, “उनकी देखभाल करें।” उनके चेहरों में स्वयं येसु हैं जो उन्हें देखते हैं। जिन्होंने हमारी कमजोरियों को मरने तक साझा किया और जो जी उठे एवं हमें कभी नहीं छोड़ते हैं।

उन्होंने कहा, “वे ही हैं जिनमें हम अपनी शक्ति प्राप्त कर सकते हैं ताकि सबसे कठिन समय में भी हम न छोड़ दें।” अंत में संत पापा ने बीमार भाई बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा, “आपकी पीड़ा जिसको आपने विश्वास के साथ सहा है हमें आज यहाँ एक साथ लाया है कि हम इस महत्वपूर्ण समय को एक- दूसरे को साझा कर सकें। आपकी दुर्बलता में आप ईश्वर के हृदय के करीब हैं।” संत पापा ने कहा, “अतः मैं आपसे प्रार्थना का आग्रह करता हूँ ताकि हमारे बीच पीड़ितों के प्रति सामीप्य एवं ठोस समर्पण की भावना बढ़ सके। इस तरह पीड़ा की कराह को कभी अनसुनी न किया जाए।” अंत में, संत पापा ने सभी सदस्यों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया तथा उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया।     

 

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09 February 2023, 17:06