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वाटिकन स्थित परमधर्मपीठीय प्रेस कार्यालय में प्रेस सम्मेलन, फाईल तस्वीरः 09.05.2019 वाटिकन स्थित परमधर्मपीठीय प्रेस कार्यालय में प्रेस सम्मेलन, फाईल तस्वीरः 09.05.2019 

परमधर्मपीठ की सम्पत्ति सार्वभौमिक सम्पत्ति, सन्त पापा फ्राँसिस

वाटिकन ने गुरुवार को "इल दीरित्तो नातिवो" शीर्षक से सन्त पापा फ्राँसिस के नवीन "मोतु प्रोप्रियो" अर्थात स्वप्रेरणा से रचित प्रेरितिक पत्र की प्रकाशना कर दी। इसमें सन्त पापा ने इस तथ्य पर बल दिया है कि परमधर्मपीठ की सम्पत्ति सार्वभौमिक सम्पत्ति है तथा इसका लक्ष्य जनकल्याण है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 फरवरी 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन ने गुरुवार को "इल दीरित्तो नातिवो" शीर्षक से सन्त पापा फ्राँसिस के नवीन "मोतु प्रोप्रियो" अर्थात स्वप्रेरणा से रचित प्रेरितिक पत्र की प्रकाशना कर दी। इसमें सन्त पापा ने इस तथ्य पर बल दिया है कि परमधर्मपीठ की सम्पत्ति सार्वभौमिक सम्पत्ति है तथा इसका लक्ष्य जनकल्याण है।      

20 फरवरी को हस्ताक्षरित एवं गुरुवार को प्रकाशित अपने नवीन मोतु प्रोप्रियो "इल दीरित्तो नातिवो" अर्थात् "जन्मजात अधिकार" में सन्त पापा फ्राँसिस लिखते हैं कि परमधर्मपीठीय अधिकारी "निजी मालिकों के रूप में, अपने लिए नहीं, बल्कि, कलीसिया के परमाध्यक्ष के नाम और अधिकार में, उनके संस्थागत उद्देश्यों की खोज के लिए, सामान्य भलाई और सार्वभौमिक कलीसिया की सेवा के लिए" परमधर्मपीठ एवं कलीसियाई सम्पत्ति का उपयोग करते हैं। वे लिखते हैं कि परमधर्मपीठ की अचल और चल सम्पत्तियों का एक "सार्वभौमिक गंतव्य" है।

कलीसिया का मिशन

सन्त पापा फ्राँसिस की प्रेरणा और पहल पर प्रकाशित नवीन "मोतु प्रोप्रियो" में संत पापा इस बात की पुनरावृत्ति करते हैं कि जिन संस्थाओं और संघों ने इस तरह की सम्पत्ति का अधिग्रहण किया है अथवा उनके लिए जिम्मेदार हैं, वे "न्यासी" हैं, "निजी मालिक" नहीं, क्योंकि वे उनके सिपुर्द किये गये कार्यों का सम्पादन करते हैं,  और उन्हें सदैव "कलीसिया के परमाध्यक्ष के नाम और अधिकार के तहत" इस कार्य को करना चाहिए।

मोतू प्रोप्रियो "इल दीरित्तो नातिवो" में कहा गया है कि " नागर शक्ति से मुक्त, अस्थायी एवं लौकिक सामानों को प्राप्त करने हेतु परमधर्मपीठ का मूल अधिकार एक ऐसा साधन है, जो विश्वासयोग्य, विवेकपूर्ण प्रशासन और उपयुक्त नियंत्रणों के समर्थन से यह सुनिश्चित करता है कि प्रेरितिक पीठ, कलीसिया के उचित उद्देश्यों के लिए और अपने मिशन की पूर्ति के लिए, आवश्यक स्वतंत्रता के साथ, समय और स्थान पर, इतिहास के अन्तराल में अपने कार्यों का सम्पादन कर सकती है।"

परमाध्यक्ष के नाम एवं अधिकार के तहत

दस्तावेज़ में स्पष्ट किया गया कि "परमधर्मपीठ की संपत्ति का सार्वभौमिक गंतव्य उन्हें एक कलीसियाई सार्वजनिक प्रकृति प्रदान करता है। परमधर्मपीठ की संस्थाएं उनका अधिग्रहण करती हैं और उनका उपयोग करती हैं, एक निजी मालिक की तरह अपने लिए नहीं, अपितु रोमी काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष के नाम और अधिकार में, उनके संस्थागत उद्देश्यों की खोज के लिए जो सार्वजनिक हैं और इसलिए आम भलाई के लिए एवं सार्वभौमिक कलीसिया की सेवा में सम्पादित होते हैं।"

दूसरे शब्दों में, नागरिक नियमों के अनुपालन के लिए पंजीकृत इन वस्तुओं को प्राप्त करने वाली संस्थाओं और संघों को इन सामानों का प्रशासन विवेक के साथ करना चाहिए जो सामान्य भलाई के प्रबंधन के लिए आवश्यक है। साथ ही उनका संचालन परमधर्मपीठीय नियमों और दक्षताओं के अनुसार करना चाहिये। इनमें शामिल हैं, सबसे हाल ही में प्रकाशित, "प्रेदिकाते एवान्जेलियुम" प्रेरितिक संविधान और इससे पहले "लंबी सड़क" शीर्षक से प्रकाशित  आर्थिक और प्रशासनिक सुधार सम्बन्धी मार्गदर्शिका।

सम्पत्ति की सार्वजनिक प्रकृति

सन्त पापा फ्राँसिस कहते हैं कि नवीन "मोतू प्रेप्रियो" दक्षताओं को नहीं बदलता है या नए नियमों का निर्धारण नहीं करता है, किन्तु सामानों की सार्वजनिक प्रकृति और परमधर्मपीठ एवं कलीसिया सम्बन्धी संस्थाओं की भूमिका के बारे में एक मौलिक सिद्धांत की पुष्टि करता है, और वह यह कि  "सभी सामान, चल और अचल सम्पत्ति, जिसमें तरल संपत्ति और प्रतिभूतियां शामिल हैं, जो कि किसी भी तरह से, परमधर्मपीठ से जुड़ी हैं और कलीसियाई  संस्थाओं द्वारा अधिग्रहित की गई हैं वे सब की सब कलीसियाई सम्पत्ति है तथा सर्वजनकल्याण हेतु रखा जानेवाला सामान है। अस्तु, "कोई भी संस्था, संघ अथवा व्यक्ति परमधर्मपीठीय सामान के लिए निजी और अनन्य स्वामित्व या शीर्षक का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि हमेशा से ही इनका उपयोग, परमधर्मपीठ की ओर से, परमधर्मपीठ के उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है।   

"मोतू प्रोप्रियो" के उद्देश्य के विषय में कहा गया कि इसका अभिप्राय सामान्य हितों की रक्षा है। यह सिद्धांत समग्र रूप से परमधर्मपीठ की कार्रवाई के लिए एक मार्गदर्शक होने का लक्ष्य रखता है तथा कलीसियाई सार्वजनिक मामलों के प्रशासन पर ज़ोर देते हुए सभी को सामान्य भलाई और उत्तरदायित्व की खोज का स्मरण दिलाता है।

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24 February 2023, 11:13