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डीआर कांगो में पुरोहितों व धर्मसंघियों से संत पापा: कलीसिया को आपकी आवश्यकता है!

संत पापा फ्राँसिस ने पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मसंघियों और सेमिनारियों को प्रोत्साहित किया कि वे ख्रीस्त को अपने जीवन के केंद्र में रखें और सुसमाचार के आनंदमय गवाह बनें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

किंशासा, शुक्रवार 3 फरवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : गुरुवार 2 फरवरी मंदिर में प्रभु के समर्पण पर्व पर, संत पापा फ्राँसिस ने किंशासा में कांगो की माता मरियम महागिरजाघर में पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मसंघी पुरोहितों, धर्मबहनों और सेमिनारियों से मुलाकात की।

ईश्वर की प्रतिज्ञा और प्रेम की निशानी

मंदिर में प्रभु के समर्पण पर्व दिवस पर सिमोन और बालक येसु के बीच मुलाकात पर विचार करते हुए, संत पापा ने कहा, "जब हम येसु को अपने जीवन के केंद्र में रखते हैं, तो हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है। हमारे सभी प्रयासों और कठिनाइयों के बावजूद, हम उसके प्रकाश से आच्छादित महसूस करते हैं, उसकी आत्मा से सांत्वना पाते हैं, उसके वचन से प्रोत्साहित होते हैं और उसके प्रेम से पोषित होते हैं।”

संत पापा ने कहा कि नबी इसायाह के ग्रंथ में हम पाते हैं कि नबी इसायाह के शब्दों के माध्यम से, ईश्वर त्रासदी के समय अपने लोगों से बात करता है, क्योंकि इस्राएलियों को बबीलोन में निर्वासित कर दिया गया था और दासता में बदल दिया गया था। करुणा से प्रेरित होकर, ईश्वर उन्हें सांत्वना देना चाहता है। वास्तव में, इसायाह के इस खंड को "सांत्वना की पुस्तक" कहा जाता है, क्योंकि ईश्वर अपने लोगों के लिए आशा और उद्धार के वचनों को संबोधित करते हैं।

संत पापा ने उन्हें अपने पवित्र बुलाहट को याद दिलाते हए कहा कि "भारी चुनौतियों" के बावजूद, "सुसमाचार की सेवा में बड़ा आनंद" है। पुरोहित और धर्मसंघी आज "सांत्वना और आशा के बाम के साथ" अपने लोगों का अभिषेक करने और ईश्वर के प्रेम का गवाह बनने के लिए बुलाये गये हैं।”

जनता के सेवक

संत पापा फ्राँसिस ने जोर देकर कहा कि पुरोहित, धर्मबहनें, मिशनरी और समर्पित लोग ईश्वर के लोगों के सेवक होने के लिए बुलाये गये हैं। संत पापा ने कहा कि वे दैनिक मिस्सा बलिदान से लेकर दैनिक प्रार्थनाओं के प्रति वफादार रहें, जो उस दिन को चिन्हित करते हैं। दैनिक मिस्सा समारोह पुरोहित और धर्मसंघी जीवन का धड़कता हुआ दिल है। उन्हें ख्रीस्त के प्रतिनिधि के रुप में बिना शर्त प्यार, उनके मेल-मिलाप और क्षमा, उनकी दयालुता को गरीबों और जरुरतमंदों को देने की जरुरत है। उनकी यह सेवा, आध्यात्मिक सामान्यता, सांसारिक आराम और सतहीपन सहित चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करते हुए हमेशा जीवित रहेगी। आध्यात्मिक कमजोरियों पर काबू पाने के लिए, कभी भी हमारी माँ मरियम का आह्वान करते हुए न थकें, उनसे चिंतन करना और येसु का अनुसरण करना सीखें। उन्होंने कहा कि चुनौतियों पर सामूहिक और व्यक्तिगत प्रार्थनाओं के माध्यम से, स्वयं को भूलकर और दूसरों को अपना जीवन समर्पित करके और सुसमाचार के "शिक्षित, सुप्रशिक्षित, और उत्साही" गवाह बनकर काबू पाया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा, "यदि हम ईश्वर के प्रेम के गवाह के रूप में लोगों की सेवा करना चाहते हैं तो इन चुनौतियों का सामना करना होगा।

संत पाप ने कहा कि अच्छे पुरोहित, उपयाजक और समर्पित व्यक्ति होने के लिए, शब्द और इच्छा पर्याप्त नहीं हैं उन्हें वचन और कर्म द्वारा अपने जीवन में प्रकट करना चाहिए।

'आप कीमती और महत्वपूर्ण हैं!'

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करने के लिए संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें पीड़ितों के घावों की देखभाल करने वाले येसु भले समारी की याद दिलाई।

उन्होंने कहा, "भाइयों और बहनों, जिस सेवकाई के लिए आपको बुलाया गया है, वह है अपने लोगों को सांत्वना प्रदान करना।  एक प्रकाश की तरह उनके समीप रहना और जो चारों ओर से अँधेरे में चमकता रहता है।"

जैसा कि एक पुरानी कहावत है: "हवा उसे तोड़ नहीं करती जो झुक सकती है।" दुख की बात है कि इस महाद्वीप के कई लोगों के इतिहास को पीड़ा और हिंसा की ताकत के आगे झुकना पड़ा है। यदि सबके हृदय में एक ही कामना है कि फिर कभी ऐसा न करना पड़े, कभी भी बलवानों के अहंकार के आगे न झुकना पड़े, अथवा अन्याय के जूए के आगे न झुकना पड़े। फिर भी हम कहावत को मुख्य रूप से एक सकारात्मक अर्थ में समझ सकते हैं: एक प्रकार का झुकना है जो कमजोरी या कायरता का नहीं बल्कि ताकत का पर्याय है। इस प्रकार झुकना लचीला होने की क्षमता, कठोरता पर काबू पाने और एक विनम्र भावना पैदा करने का संकेत हो सकता है जो कड़वाहट और आक्रोश के आगे झुकने से इनकार करता है। यह बदलने की क्षमता का प्रतीक है और अपने स्वयं के विचारों और स्थितियों में बंधे नहीं रहना है। यदि हम ईश्वर के सामने विनम्रता से झुकते हैं, तो वह हमें अपने समान, दया का दूत बनाता है। यदि हम ईश्वर के सामने विनम्र रहते हैं, तो वह हमें मेल-मिलाप, खुलेपन और संवाद, स्वीकृति और क्षमा करने में सक्षम बनाता है, जो हिंसा के शुष्क मैदानों के माध्यम से शांति की नदियों को प्रवाहित करते हैं। इसलिए, जब संघर्ष और विभाजन की तूफानी हवा चलती है, तो हम टूटे नहीं, क्योंकि हम ईश्वर के प्रेम से भरे हुए हैं।

संत पापा फ्राँसिस ने पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मसंघियों, धर्मबहनों और सेमिनारियों से आग्रह किया कि वे निराश न हों "क्योंकि हमें आपकी आवश्यकता है!"

पूरी कलीसिया की ओर से बोलते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा, "आप अनमोल और महत्वपूर्ण हैं।" संत पापा ने उन्हें "हमेशा प्रभु की सांत्वना उपस्थिति का माध्यम, सुसमाचार के आनंदमय गवाह, हिंसा के तूफानों के बीच शांति के भविष्यवक्ता, प्रेम के शिष्य, गरीबों और पीड़ितों के घावों की देखभाल के लिए हमेशा तैयार रहने" हेतु आमंत्रित किया।

पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मबहनों और सेमिनारियों से संत पापा फ्राँसिस की मुलाकात

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03 February 2023, 14:46