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पोप फ्राँसिस : राख हमें अपने सच की याद दिलाती है

संत पापा फ्राँसिस ने चालीसा काल की शुरूआत करते हुए राखबुध के दिन माथे पर राख लगाने के अर्थ पर चिंतन किया तथा ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए विश्वासियों को प्रार्थना करने, दान देने एवं उपवास करने का आह्वान किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

रोम, बृहस्पतिवार, 23 फरवरी 23 (रेई) : राखबुध के अवसर पर रोम के संत सबीना महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने विश्वासियों के माथे पर राख मलन की धर्मविधि सम्पन्न की। संत पापा ने इसी के साथ चालीसा काल की शुरूआत की जिसको उन्होंने ईश्वर की ओर “लौटने की यात्रा” कहा।

संत पापा ने बतलाया कि माथे पर राख लगाना एक आह्वान है, अपने यथार्थ की ओर, ईश्वर की ओर और भाई-बहनों की ओर लौटने का।

प्रभु ईश्वर हैं, हम उनके हाथों की कृति हैं

संत पापा ने कहा कि राख हमें याद दिलाती है कि हम कौन हैं, यह हमें “अपने जीवन की महत्वपूर्ण सच्चाई की याद दिलाती है : कि केवल प्रभु ही ईश्वर हैं और हम उनके हाथों की कृति हैं।” इस तरह चालीसा काल यह याद करने का समय है कि हम ईश्वर पर निर्भर करते हैं और साथ ही हमें आत्मनिर्भर होने के ढोंग को छोड़ देना चाहिए।”

ईश्वर एवं दूसरों के साथ संबंध पुनःस्थापित करना

संत पापा ने चालीसा काल में ईश्वर की ओर लौटने की यात्रा के दूसरे चरण के बारे में कहा कि यह भाई-बहनों की ओर लौटने की यात्रा है। जिसमें हम आत्मनिर्भरता के सभी अनुमानों और स्वयं की मूर्तिपूजा के सभी रूपों को त्याग कर, सीख सकें कि "जीवन एक ऐसा रिश्ता है जिसको हम ईश्वर और हमारे माता-पिता से प्राप्त करते हैं और कि हम प्रभु तथा जिन्हें वे हमारे साथ रखते हैं उनके साथ अपने संबंधों को हमेशा नवीकृत कर सकते हैं।”

“इस तरह चालीसाकाल एक कृपा का समय है जब हम ईश्वर एवं दूसरों के साथ हमारे संबंध को पुनःस्थापित करते हैं, मौन प्रार्थना में अपना हृदय खोलते हैं एवं हमारी आत्मनिर्भरता के गढ़ से बाहर निकलते हैं।”

दान, प्रार्थना एवं उपवास का रास्ता

यात्रा में आगे बढ़ पाने के लिए संत पापा ने विश्वासियों को तीन उपायों की याद दिलायी, वे महान उपाय हैं : दान, प्रार्थना एवं उपवास, जिनपर परम्परा के अनुसार चालीसाकाल के दौरान जोर दिया जाता है।

संत पापा ने कहा, “फिर भी जैसा कि हमने सुसमाचार में सुना, येसु हमें चेतावनी देते हैं कि बाह्य दिखाया की अपेक्षा, हमें हृदय के नवीनीकरण के लिए इन कार्यों को करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “कई बार हमारे इन भावों और कार्यों का प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं पड़ता बल्कि यह सतही रह जाता है। लेकिन यदि हम ईश्वर की नजर में विनम्र बने रहते हैं, तब हमारा दान, हमारी प्रार्थनाएँ एवं उपवास केवल बाह्य कार्य नहीं रहेंगे बल्कि व्यक्त करेगा कि हम वास्तव में क्या हैं : ईश्वर की संतान और एक-दूसरे के भाई-बहन।”

क्रूस पर अपनी नजर रखना

संत पापा ने अपने उपदेश के अंत में विश्वासियों का आह्वान किया कि हम अपना सिर झुकायें, राख ग्रहण करें और अपने हृदय को हल्का करें, ताकि हम परोपकार, प्रार्थना एवं उपवास के रास्ते पर आगे बढ़ सकेंगे।

उन्होंने कहा, “आइये, हम इस काल की कृपा की उपेक्षा न करें, लेकिन हमारी नजर क्रूस पर रखें एवं चालीसा काल के प्रभावशाली प्रोत्साहन का जवाब उदारतापूर्वक दें।”

"ताकि यात्रा के अंत में, हम जीवन के ईश्वर से महान आनंद को प्राप्त कर पायें, क्योंकि वे ही है जो हमें हमारे राख से ऊपर उठा सकते हैं।"

 

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संत पापा फ्राँसिस ने संत सबिना महागिरजाघर में राखबुध की धर्मविधि सम्पन्न किया।
23 February 2023, 10:20