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संत पापाः दक्षिण सूडान कब्रिस्तान में सिमट कर नहीं रह सकता, इसे एक बगीचा बनना है

संत पापा फ्राँसिस ने दक्षिण सूडान के नेताओं से कहा कि जो वे अभी करते हैं, भविष्य की पीढ़ियाँ या तो उनके नाम का सम्मान करेंगी या उनकी स्मृति को रद्द कर देंगी। उन्होंने "युद्ध के समय को पीछे छोड़ने और शांति के समय की शुरुआत करने" का आह्वान किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

जुबा, शनिवार 4 फरवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : दक्षिण सूडान की राजधानी शहर जुबा में उतरने के बाद अपने पहले आधिकारिक प्रवचन में, संत पापा फ्राँसिस ने शांति की अपील जारी की और सत्ता में बैठे लोगों को याद दिलाया कि उनका उद्देश्य समुदाय की सेवा करना है।

तबाह हुए पूर्वी अफ्रीकी देश में अपने आगमन के तुरंत बाद, शुक्रवार की दोपहर जुबा के राष्ट्रपति भवन में देश के अधिकारियों, नागर समाज के प्रतिनिधियों और राजनयिक कोर को संबोधित करते हुए, संत पापा ने उन्हें याद दिलाया कि वह "सुलह के तीर्थयात्री के रूप में, उनकी शांति की यात्रा में उनका साथ देने की आशा में आए हैं।"

सुलह और शांति के तीर्थयात्री

उन्होंने कहा कि उनकी यह ख्रीस्तीय एकता वर्धक तीर्थयात्रा दो भाइयों, कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेल्बी, और चर्च ऑफ स्कॉटलैंड की महासभा के मॉडरेटर इयान ग्रीनशील्ड्स के साथ की गई है।

"एक साथ, अपने हाथ फैलाकर, हम येसु मसीह, शांति के राजकुमार के नाम पर आपके सामने प्रस्तुत होते हैं।"

उन्होंने कहा, "हमने पूरे लोगों की अपील सुनने के बाद शांति की ख्रीस्तीय एकता वर्धक यात्रा को शुरू किया। यह देश लगाताक हिंसा को सहन करता आ रहा है, देश में सुरक्षा की कमी है और इसे गरीबी और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है।"

सन्त पापा के जूबा आगमन की पूर्व संध्या ही, जूबा स्थित सेंट्रल इक्वेटोरिया राज्य में, मवेशी चरवाहों और एक स्थानीय मिलिशिया के बीच जैसे को तैसा प्रतिशोधात्मक हिंसा में 27 लोग मारे गए थे।

संत पापा ने इस तथ्य की निन्दा की और कहा,"लगता है कि युद्ध और संघर्ष के वर्ष कभी समाप्त नहीं होंगे, कल भी कटु संघर्षों में लोगों की जानें गईं। सुलह की प्रक्रिया रुका हुआ और शांति का वादा अधूरा लगता है।"

उन्होंने अपनी आशा व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों की दीर्घकालीन पीड़ा व्यर्थ नहीं है, उनका धैर्य और बलिदान सभी को चुनौती देता है कि "शांति को फलने-फूलने दें।"

जुबा में अधिकारियों के साथ बैठक
जुबा में अधिकारियों के साथ बैठक

नेताओं से अपील

संत पापा फ्राँसिस ने तब दक्षिण सूडान के राजनीतिक नेताओं को आह्वान करते हुए कहा कि वे, "इस युवा देश के माता-पिता", "समृद्धि और शांति के शुद्ध स्रोत के रूप में समाज के जीवन को नवीनीकृत करने के लिए बुलाए गए हैं और दक्षिण सूडान के बेटे-बेटियों को इसकी बहुत आवश्यकता है। उन्हें पिता की आवश्यकता है, अधिपतियों की नहीं; उन्हें विकास की दिशा में स्थिर कदमों की आवश्यकता है, न कि निरंतर पतन की।”

उन्होंने कहा, "देश के जन्म के बाद का समय, इसका दर्दनाक बचपन शांतिपूर्ण परिपक्वता की ओर ले जाए।"

संत पापा ने राजनेताओं को याद दिलाया कि "देश के बेटे और बेटियाँ" और इतिहास आपको याद रखेगा यदि आप इन लोगों के लाभ के लिए काम करते हैं जिनकी सेवा करने के लिए आप बुलाये गये हैं।

"आप अभी जो भी कार्य करते हैं, उसे भविष्य की पीढ़ियां या तो आपकी प्रशंसा करेंगी या अपनी स्मृति से आपको निकाल देगी।"


अब और नहीं!

अपनी शक्तिशाली अपील को आगे बढ़ाते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति को सीधे शब्दों में संबोधित किया: "ईश्वर के नाम पर, जिनमें इस प्यारे देश के इतने सारे लोग विश्वास करते हैं, अब यह कहने का समय है" अब और नहीं।

"अब और रक्तपात नहीं, अब और संघर्ष नहीं, अब और हिंसा नहीं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस बारे में आपसी आरोप-प्रत्यारोप नहीं, अपने लोगों को शांति की प्यास में न छोड़ें, अब और विनाश नहीं: यह निर्माण करने का समय है! युद्ध के समय को पीछे छोड़ दें और शांति के समय को आने दें!

संत पापाने कहा, "दक्षिण सूडान कब्रिस्तान में सिमट कर नहीं रह सकता, इसे एक बगीचा बनना है।"

शक्ति का उद्देश्य

संत पापा ने देश के नेताओं को अपने लोगों या जनता के सेवक के रुप में खुद को देखने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने समझाया कि, वास्तव में जिन लोगों को राज्य की अध्यक्षता और शासन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, "उनका कर्तव्य है कि वे खुद को सामान्य भलाई की सेवा में लगाएं।"

"यही शक्ति का उद्देश्य है: समुदाय की सेवा करना।"

उन्होंने अपने स्वयं के लाभ के लिए शक्ति का उपयोग करने के प्रलोभन पर टिप्पणी की और भूमि के प्रचुर संसाधनों को कुछ लोगों तक सीमित रखने के खिलाफ चेतावनी दी।

संत पापा ने कहा कि उन संसाधनों को "सभी की विरासत के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और आर्थिक सुधार की योजनाओं को धन के समान वितरण के प्रस्तावों के साथ मेल खाना चाहिए।"

महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेल्बी, संत पापा फ्राँसिस, दक्षिण सूडान राष्ट्रपति साल्वा कीर और मॉडरेटर इयान ग्रीनशील्ड्स
महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेल्बी, संत पापा फ्राँसिस, दक्षिण सूडान राष्ट्रपति साल्वा कीर और मॉडरेटर इयान ग्रीनशील्ड्स

लोकतंत्र को बढ़ावा 

संत पापा फ्राँसिस ने याद किया कि लोकतंत्र का आधार मानव अधिकारों का सम्मान है, कानून द्वारा समर्थित, विशेष रूप से आत्म-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार। उन्होंने कहा "स्वतंत्रता के बिना कोई न्याय नहीं है।"

उन्होंने आशा व्यक्त की कि गणतंत्र की शांति की राह "जड़ता से नहीं रुकेगी।" यह शब्दों से कर्मों की ओर बढ़ने का समय है। यह पन्ने को पलटने का समय है: यह तत्काल और बहुत जरूरी परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता का समय है। शांति और सुलह की प्रक्रिया को एक नई शुरुआत की आवश्यकता है। शांति समझौते और रोड मैप के साथ आगे बढ़ने के लिए एक समझ बनाई जा सकती है और प्रगति की जा सकती है!”

संत पापा ने कहा कि "विश्व विभाजनों और संघर्षों से आहत है," इस परिवेश में इस देश द्वारा शांति की ख्रीस्तीय एकता वर्धक यात्रा की मेजबानी करना, बहुत ही दुर्लभ है।"

उन्होंने कहा, "यह दिशा में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, दक्षिण सूडान के लिए शांत जल में नौकायन को बिना किसी दोहरेपन और अवसरवाद के बातचीत को फिर से शुरू करने का एक अवसर है।"

संत पापा ने कहा कि यह सभी के लिए आशा को पुनर्जीवित करने का अवसर हो। प्रत्येक नागरिक को यह समझने दें कि अब समय आ गया है कि घृणा, आदिवासीवाद, क्षेत्रवाद और जातीय मतभेदों के दूषित जल को बह जाने दिया जाए। यह भविष्य की ओर एक साथ चलने का समय है!

संवाद और मुलाकात

उपस्थित लोगों से सम्मान, संवाद और मुलाकात का मार्ग अपनाने का आह्वान करते हुए, संत पापा ने कहा कि "हर प्रकार की हिंसा के पीछे क्रोध और आक्रोश है, और इसके हर रूप के पीछे घावों,गलतियों और अपमानों की न भरने वाली स्मृतियाँ हैं।

इस प्रकार, "इनसे मुक्त होने का एकमात्र तरीका संवाद और मुलाकात है: दूसरों को हमारे भाइयों और बहनों के रूप में स्वीकार करना और उनके लिए जगह बनाना, भले ही इसका मतलब एक कदम पीछे हटना हो।"

युवा लोगों और महिलाओं की भूमिका

उन्होंने कहा कि यह रवैया किसी भी शांति प्रक्रिया के लिए और समाज के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है। युवा लोगों को "टकराव की बर्बरता से हटकर मुलाकात की संस्कृति के मार्ग" में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

संत पापा ने कहा कि महिलाओं की भी एक मौलिक भूमिका है उन्हें राजनीतिक जीवन और निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी से शामिल होने की आवश्यकता है।"

सुशासन के लिए अपनी अथक अपील में, संत पापा फ्राँसिस ने "भविष्य की पीढ़ियों के खातिर" सृष्टि की देखभाल करने की आवश्यकता का उल्लेख करने की उपेक्षा नहीं की।

उन्होंने कहा,"मुझे लगता है, विशेष रूप से, मुनाफाखोरी के कारण वनों की कटाई का मुकाबला करने की आवश्यकता है।"

भ्रष्टाचार, गरीबी, विस्थापन

उन्होंने "धन के असमान वितरण, अमीर बनने के लिए गुप्त योजनाओं, संरक्षण सौदे, पारदर्शिता की कमी" आदि पर टिप्पणी करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, "सबसे पहले, गरीबी का मुकाबला करने की आवश्यकता है, जो उपजाऊ मिट्टी के रूप में कार्य करती है जिसमें नफरत, विभाजन और हिंसा जड़ जमाती है।" इस तथ्य को दोहराते हुए कि "किसी भी सभ्य देश की तत्काल आवश्यकता अपने नागरिकों, विशेष रूप से सबसे कमजोर और वंचितों की देखभाल करना है, उन्होंने कहा कि वह विशेष रूप से "यहां रहने वाले लाखों विस्थापित व्यक्तियों के बारे में सोचते हैं, "कितने लोगों को अपने घरों से भागना पड़ा है और अब संघर्षों और जबरन विस्थापन के परिणामस्वरूप वे खुद को जीवन के हाशिये पर धकेला हुआ पाते हैं!"

हथियारों का व्यापार

देश की समस्याओं और जरूरतों पर विचार करते हुए संत पापा ने "हथियारों के प्रवाह को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर भी गौर किया, जो प्रतिबंधों के बावजूद, दक्षिण सूडान सहित क्षेत्र के कई देशों में पहुंच रहे हैं।"

"यहाँ बहुत सी चीजों की आवश्यकता है, लेकिन निश्चित रूप से मृत्यु के साधन और कभी नहीं!"

विकास

उन्होंने उपयुक्त स्वास्थ्य नीतियों के विकास, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की आवश्यकता और साक्षरता और शिक्षा को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से इस भूमि के बच्चे अपने भविष्य को अपने हाथों में लेने में सक्षम होंगे।"

"इस महाद्वीप और दुनिया के सभी बच्चों की तरह, उन्हें अपने हाथों में नोटबुक और खिलौने लेकर बड़े होने का अधिकार है, न कि श्रम के लिए उपकरण और युद्ध के हथियार।"

संत पापा फ्राँसिस ने अन्य देशों के साथ सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा देने पर प्रकाश डालते हुए "इस देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किए गए बहुमूल्य योगदान को स्वीकार किया (...) और सुलह और विकास को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया।”

उन्हें एहसास है कि उन्होंने जो कुछ कहा है वह कठोर और सटीक प्रतीत हो सकता है," उन्होंने उपस्थित लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि अपने उन भाइयों के साथ जिनके साथ उन्होंने सुलह और शांति की तीर्थयात्रा की है, वे "हार्दिक प्रार्थना और समर्थन प्रदान करते हैं, ताकि दक्षिण सूडान सुलह और दिशा परिवर्तन का अनुभव कर सके।”

"इसका महत्वपूर्ण मार्ग अब हिंसा की बाढ़ से अभिभूत न हो, भ्रष्टाचार के दलदल में न फंसे और गरीबी की बाढ़ से अवरुद्ध न हो। स्वर्ग के प्रभु, जो इस भूमि से प्रेम करते हैं, इसे शांति और समृद्धि का एक नया समय प्रदान करें।"

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04 February 2023, 14:43