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विमान में पत्रकारों से बात करते संत पापा फ्राँसिस विमान में पत्रकारों से बात करते संत पापा फ्राँसिस  

पोप : पूरा विश्व युद्ध और आत्म विनाश में लगा हुआ है

कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य एवं दक्षिणी सूडान में अपनी प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर, पोप फ्राँसिस रविवार को वाटिकन वापस लौटे। उनकी इस यात्रा में कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेलबे और स्कॉटलैंड की कलीसिया के मोडेरेटर इयन ग्रीनशील्ड्स भी थे। यात्रा करते हुए विमान में संत पापा ने कई मुद्दों पर पत्रकारों के सवालों का उत्तर दिया। उन्होंने भारत में अपनी प्रेरितिक यात्रा के विषय में भी चर्चा की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए उन्हें उनके कार्यों के लिए धन्यवाद दिया।

पत्रकार जोर्ज बार्चा अंतेलो

 

सुप्रभात, संत पापा। हम आज उन दो देशों से वापस लौट रहे हैं जो वैश्विक उदासीनता के शिकार हैं जैसा कि आपने कहा है। आप इसके बारे अपने परमाध्यक्षीय काल के शुरू और लम्पेदूसा में अपनी यात्रा के समय से ही बोल रहे हैं। एक तरह से इस हफ्ता एक चक्र बंद हो गया है। क्या आप अभी भी इस वृत्त का दायरा बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं, कहीं और जाने के बारे, भुला दिये गये अन्य देशों के बारे? किन स्थानों में जाना चाहते हैं? इस लम्बी एवं आपेक्षित यात्रा के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं? क्या आप अभी भी मजबूत महसूस कर रहे हैं? क्या आपको लगता है कि उन सभी स्थानों की यात्रा करने के लिए आपका स्वास्थ्य सही है?

पोप फ्राँसिस

वैश्विक उदासीनता हर जगह है। एक देश के अंदर कई लोग अपने देश भाइयों, सह-नागरिकों को देखना भूल गये हैं, उन्हें दरकिनार कर दिया गया है ताकि उनके बारे न सोचा जाए। कल्पना कर सकते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा भाग्य कुछ ही लोगों के हाथों में है। और ये लोगों के दुःख की ओर नहीं देखते, इनके हृदय मदद के लिए अपने आप नहीं खुलते।

प्रेरितिक यात्रा के संबंध में संत पापा ने कहा, मैं सोचता हूँ कि भारत में अगले साल होगा। 29 सितम्बर को मैं मार्सिले जाऊँगा और संभवतः मार्सिले से मंगोलिया जाऊँगा। किन्तु इसे निश्चित नहीं किया गया है, इस साल लिस्बन के अलावा में याद नहीं करता कि और कोई यात्रा है।

मापदंड : मैं यूरोप में छोटे देशों की यात्रा करने का चुनाव करता हूँ। लोग कहेंगे कि वे तो फ्रांस गये थे, जी नहीं, मैं स्ट्रासबर्ग गया था। मैं मार्सिले जाऊँगा फ्राँस नहीं, मैं इस छोटे स्थान का दौरा करूँगा ताकि मैं छिपे यूरोप के बारे कुछ जान सकूँ, उसकी संस्कृति के बारे। उन देशों में अल्बानिया पहला था जिसने इतिहास में क्रूरता सही है। मेरी कोशिश है कि मैं वैश्विक उदासीनता में न पड़ूँ।  

अपने स्वास्थ के बारे बतलाते हुए उन्होंने कहा, आप जानते है कि बुरा सप्ताह कभी समाप्त नहीं होता, परमाध्यक्षीय काल की शुरुआत में ऐसा नहीं था, मेरा घुटना परेशान कर रहा है, लेकिन यह धीरे-धीरे चलता है, इसलिए देखते हैं। धन्यवाद।

रेडियो फ्रांस के ब्रूस डी गाल्ज़ैन

संत पापा, आपने अपनी प्रेरितिक यात्रा शुरू करने से पहले, समलैंगिकता को अपराध ठहराये जाने की निंदा की थी। यह दक्षिणी सूडान और कोंगो में अपराध है। परिवारों के द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाता है, मैंने स्वयं इस सप्ताह किंशासा में पाँच समलैंगिक लोगों से मुलाकात की। वे सभी बहिष्कृत हैं और अपने परिवारों से निकाल दिये गये हैं। इन समलैंगिकों ने मुझे समझाया कि उनका बहिष्कार उनके माता-पिता की धार्मिक परवरिश के कारण हुआ है। उनमें से कुछ लोगों को अपदूत निकालनेवाले पुरोहितों के पास ले जाया गया था क्योंकि उनके परिवारवालों को लगा कि उनपर अशुद्ध आत्मा का प्रभाव है। संत पिता मेरा सवाल है कि आप कोंगो के किंशासा एवं दक्षिणी सूडान के उन परिवारों से क्या कहना चाहेंगे। जो अपने बच्चों की उपेक्षा करते तथा पुरोहितों एवं धर्माध्यक्षों से क्या कहना चाहेंगे?

पोप फ्राँसिस

इस समस्या के बारे मैंने दो यात्राओं में चर्चा की है, पहले ब्राजील की यात्रा में। यदि एक व्यक्ति समलैंगिक प्रवृति के साथ, विश्वासी है और ईश्वर की खोज करता है, तो मैं उसका न्याय करनेवाला कौन हूँ? मैंने उस यात्रा में यही कहा था। दूसरी बार आयरलैंड से लौटते समय जो एक समस्यावाली यात्रा थी, क्योंकि उस दिन उस लड़के की चिट्ठी प्रकाश में आयी थी...किन्तु वहाँ मैंने माता-पिता को स्पष्ट बतलाया था कि बच्चे जिनकी दिशा उस ओर है उन्हें भी घर में रहने का अधिकार है, आप उन्हें घर से बाहर नहीं निकाल सकते। उसके कुछ समय बाद मैंने अस्सोसियेट प्रेस के साथ एक साक्षात्कार में कुछ कहा था, जिसको मैं अच्छी तरह याद नहीं कर रहा हूँ। समलैंगिकता को अपराध ठहराया जाना एक समस्या है जिसको यों ही जाने नहीं दिया जा सकता। करीब पच्चास देश ऐसे हैं जो इसे अपराध मानते हैं, करीब दस देशों में मौत की सजा है। यह सही नहीं है। समलैंगिक प्रवृति के साथ व्यक्ति ईश्वर की संतान है, ईश्वर उन्हें प्यार करते हैं, वे उन्हें साथ देते हैं। ... ऐसे लोगों की निंदा करना पाप है, समलैंगिक प्रवृति के व्यक्ति को अपराधी ठहराया जाना अन्याय है। मैं दल के बारे नहीं बोल रहा हूँ। आप बोल सकते हैं कि वे दल में रहते हैं जो आवाज करते...  लॉबी एक अलग मामला है। मैं लोगों के बारे बात कर रहा हूँ। और मानता हूँ कि काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा में एक वाक्य कहा गया है, उन्हें हाशिये पर नहीं रखा जाना चाहिए। मैं सोचता हूँ कि इसपर बात स्पष्ट है।

काथलिक रेडियो एलिक्या एएसबीएल से जीन बपतिस्ते मालेंजे

मैं जीन बपतिस्ते मालेंजे, किंशासा महाधर्मप्रांत के काथलिक रेडियो टेलीविजन एलिक्या से हूँ।

परम आदरणीय संत पिता, आप बहुत पहले से कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य का दौरा करना चाहते थे। अब सभी देश आपके द्वारा अभी-अभी बोए गए आनंद को बिखेर रहे हैं। परमधर्मपीठ और कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच 2016 में हस्ताक्षरित समझौते को अब आप क्या महत्व देंगे जो आमहित खासकर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य से संबंधित है। समझौते को अब लागू किया जा रहा है जबकि आपने अपने ही हाथों से कई प्रकार के घावों का स्पर्श किया है और अब विश्वव्यापी चरवाहे ने कोंगो की भेड़ों की गंध सुंघी है।  

पोप फ्राँसिस

धन्यवाद। सबसे पहले, मैं उस समझौता के बारे नहीं जानता, क्षमा करें, शायद वाटिकन राज्य सचिव जो यहीं हैं वे कुछ राय दे सकते हैं। मैं जानता हूँ कि परमधर्मपीठ और कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच हाल में एक समझौता होनेवाला था पर मैं इसे बारे नहीं जानता। मैं इसका उत्तर नहीं दे सकता। मैं कोंगो में देखता हूँ कि आगे बढ़ने की तीव्र अभिलाषा है, कई संस्कृतियाँ हैं। वहाँ जाने से कुछ महिनों पहले मैंने अफ्रीका यूनिवर्सिटी छात्रों के साथ एक जूम मीटिंग में भाग लिया था जिसमें कोंगो के छात्र भी शामिल थे। बहुत होशियार, आपके युवा बहुत बुद्धिमान हैं। यह आपकी समृद्धि है। इन युवाओं का समर्थन किया जाना चाहिए ताकि वे अध्ययन कर सकें और आगे बढ़ सकें, उन्हें स्थान दिया जाना चाहिए। आपके पास बहुत अधिक प्राकृतिक संसाधन हैं जो लागों को आकर्षित करता है जो कोंगो का शोषण करते हैं इस शब्द के लिए मुझे क्षमा करें। आपने पहले कहा है कि यह विचार है कि अफ्रीका का शोषण किया जाए। कुछ लोग कहते हैं, लेकिन मैं नहीं जानता कि सच है अथवा नहीं, कि जिन देशों के वे उपनिवेश थे उन्होंने उसे स्वतंत्र छोड़ दिया है लेकिन जमीन से वे स्वतंत्र नहीं है। वे संसाधनों को देखने आते हैं। परन्तु “अफ्रिका पर शोषण किया जाना चाहिए” के विचार को हटाया जाना चाहिए। अफ्रीका की अपनी गरिमा है। और कोंगो की गरिमा बहुत ऊंची है। शोषण पर बात करते हुए, पूर्वी हिस्से की समस्या मुझे बहुत प्रभावित करती और दुःख देती है। जो युद्ध और शोषण की समस्या है। कोंगो में मैं भयांकर युद्ध के शिकार लोगों से मुलाकात की जो घायल और अपंग हैं...बहुत अधिक पीड़ा, बहुत सारा दर्द। सब कुछ धनी बनने के लिए किया गया है। किन्तु कोंगो में बहुत अधिक संभावनाएँ हैं।

अलेक्जेंडर हेक्ट (ओआरएफ टीवी)

हाल के दिनों में एकता पर काफी चर्चा हुई है। दक्षिणी सूडान में ख्रीस्तीय एकता के लिए और काथलिक कलीसिया के भीतर भी एकता के लिए एक प्रदर्शन हुआ। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या आप इसे पोप बेनेडिक्ट १६वें के निधन के बाद महसूस करते हैं। क्या आपकी जिम्मेदारी और मिशन आपके लिए अधिक कठिन हो गये हैं क्योंकि काथलिक कलीसिया के विभिन्न पक्षों के बीच अधिक तनाव हो गये हैं?

पोप फ्राँसिस

इस बिन्दु पर मैं कहना चाहूँगा कि मैं पोप बेनेडिक्ट के साथ सभी विषयों पर बात कर सकता था, अलग राय पर भी। वे हमेशा मेरी बगल में रहे, मेरा समर्थन किया और यदि कोई मामला होता तब वे मुझे बतलाते थे और हम विचार करते थे। कोई समस्या नहीं थी। एक बार मैंने समलैंगिक लोगों के विवाह के बारे बात की थी इस तथ्य पर कि विवाह एक संस्कार है और कि हम संस्कार नहीं बना सकते किन्तु उनकी सम्पति के अधिकार के लिए‌ वैध सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सकता है। जिसकी शुरूआत फ्राँस में हो चुकी है जहाँ कोई भी व्यक्ति नागरिक संघ (यूनियन) बना सकता है, जरूरी नहीं है कि यह एक दम्पति के रूप में हो। उदाहरण के लिए, बुजूर्ग महिलाएँ जो सेवानिवृत हो जाती हैं ... क्योंकि आप बहुत अर्जित कर सकते हैं।  

एक व्यक्ति जो अपने आपको एक महान ईशशास्त्री मानता है, पोप बेनेडिक्ट के पास, उनके एक मित्र के द्वारा गया और मेरे खिलाफ शिकायत की। पोप बेनेडिक्ट ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने चार बड़े कार्डिनल ईशशास्त्रियों को बुलाकर कहा, मेरे लिए इसकी व्याख्या कीजिए। और उन्होंने व्याख्या दी और इस तरह कहानी का अंत हुआ।

यह एक किस्सा है जो दिखाता है कि शिकायत होने पर बेनेडिक्ट ने कैसे काम किया। चारों ओर चल रही कुछ कहानियाँ, कि नए पोप (पोप फ्राँसिस) ने जो किया उससे पोप बेनेडिक्ट शर्मिंदा थे, "टेलीफोन का एक खेल" है।

वास्तव में, मैंने कुछ निर्णय लेने के लिए पोप बेनेडिक्ट से परामर्श किया था। और वे सहमत हो गये थे।

मेरा मानना ​​है कि बेनेडिक्ट की मौत का फायदा उन लोगों ने उठाया है जो अपनी चक्की में घी डालना चाहते हैं।

और जो लोग ऐसे अच्छे व्यक्ति का शोषण करते हैं, ईश्वर के व्यक्ति, जिन्हें मैं कलीसिया का एक पवित्र पिता कहता हूँ, मैं कहूँगा कि वे अनैतिक लोग हैं। वे पार्टी के लोग हैं कलीसिया के नहीं... ईशशास्त्रीय विचार दल बनाने की प्रवृत्ति, आप हर जगह देख सकते हैं।

ये चीजें अपने आप गिर जाएंगी, अथवा चलती रहेंगी जैसा कि कलीसिया के इतिहास में कई बार हुआ है। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता था कि पोप बेनेडिक्ट कौन थे: वे शर्मिंदा नहीं हुए थे।

जॉ लुक मूतोसामी (सीएपीएवी)

हमने देखा है कि संयुक्त राष्ट्र के दशकों के मिशनों की उपस्थिति के बावजूद हिंसा नहीं रुकती है। अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य भागीदारों को चुनने के लिए कई अफ्रीकी देशों के बढ़ते प्रलोभन को देखते हुए, आप एक साथ, हस्तक्षेप के एक नए मॉडल को बढ़ावा देने में कैसे मदद कर सकते हैं, भागीदार जो अंतर्राष्ट्रीय कानून जैसे कुछ रूसी निजी कंपनियों या अन्य संगठनों का पालन नहीं कर सकते हैं। उदाहरण के लिए साहेल से क्षेत्र?

पोप फ्राँसिस

धन्यवाद। हिंसा का विषय एक दैनिक विषय है। इसको हमने दक्षिणी सूडान में भी देखा। यह देखना निश्चय ही दर्दनाक है कि हिंसा को किस तरह भड़काया गया। एक बिन्दु है हथियारों की बिक्री। महाधर्माध्यक्ष वेलबे ने इसके बारे कुछ कहा। हथियारों की बिक्री, आज मैं मानता हूँ कि आज दुनिया में एक महामारी है सबसे बड़ी महामारी। हथियार नहीं बेचनेवालों में से एक जो हमें समझता है उसने मुझसे कहा कि दुनिया की भुखमरी समाप्त हो सकती है। मैं नहीं जानता कि यह सच है अथवा नहीं। और आज सबसे अधिक बिक्री हथियारों की ही हो रही है। न केवल महाशक्तियों के बीच, बल्कि गरीब लोगों के बीच भी...इसके द्वारा लोग उनके बीच युद्ध बो रहे हैं। यह क्रूर है। वे उनसे कह रहे हैं: "युद्ध में जाओ।"

वे उन्हें हथियार देते हैं क्योंकि इसके पीछे वे रूचि रखते हैं, सबसे बढ़कर, आर्थिक लाभ के लिए, भूमि का शोषण करने के लिए, खान का उपयोग करने के लिए, सम्पति का लाभ पाने के लिए। यह सच है कि अफ्रीका में आदिवासीवाद मदद नहीं करता है, मुझे नहीं पता कि दक्षिण सूडान में यह कैसा है, लेकिन मेरा मानना ​​है कि विभिन्न जनजातियों के बीच संवाद भी है और इसकी जरूरत भी है। मुझे याद है जब मैं केन्या में था जहाँ  स्टेडियम भरा हुआ था, हर कोई "आदिवासीवाद को नहीं, आदिवासीवाद को नहीं" कहने के लिए खड़ा हुआ था। लेकिन यह सच है कि इसका अपना इतिहास है, कि उनकी पुरानी दुश्मनी या अलग-अलग संस्कृतियाँ हैं। लेकिन यह भी सच है कि हथियारों की बिक्री के लिए आदिवासियों के बीच संघर्ष भड़काया जाता है और फिर दोनों आदिवासियों की जमीन का दोहन किया जाता है। यह शैतानी है। मैं इसके लिए दूसरा शब्द नहीं पाता। यह विनाश कर रहा है, सृष्टि का, व्यक्ति का, समाज का...मैं नहीं जानता कि ऐसा दक्षिणी सूडान में बी हो रहा है। लेकिन कुछ देशों में ऐसा हो रहा है। बच्चों को नागरिक सेना में भर्ती किया जा रहा है और उसके बाद बच्चों के रूप में लड़ाया जा रहा है। यह अत्यन्त पीड़ादायक है। सरांश : मुझे लगता है कि सबसे गंभीर समस्या है उस देश की संपत्ति लेने की - कोल्टन, लिथियम और इन सभी चीजों को, और इसे युद्ध के माध्यम से लिया जा रहा है, जिसके लिए वे हथियार बेचते हैं और बच्चों का शोषण भी करते हैं।

 

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विमान में पत्रकारों से बातचीत करते संत पापा फ्राँसिस
06 February 2023, 16:25