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डीआर कोंगो में मिस्सा बलिदान अर्पित करते  पोप फ्राँसिस डीआर कोंगो में मिस्सा बलिदान अर्पित करते पोप फ्राँसिस   (ANSA)

डीआर कोंगो में पोप : अपना हथियार छोड़ दें, करुणा को अपनायें

लोकतांत्रिक गणराज्य कोंगो में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन संत पापा फ्राँसिस ने किंशासा के एनदोलो हवाई अड्डे पर ख्रीस्तयाग अर्पित किया एवं विश्वासियों से आग्रह किया कि वे करुणा को अपनायें और शांति के मिशनरी बनें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

किंशासा, बुधवार, 1 फ़रवरी 2023 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने लोकतांत्रिक गणराज्य कोंगो में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान किंशासा के एनदोलो हवाई अड्डे पर ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

 उन्होंने प्रवचन में कहा, “आप सभी को देखना और आपसे मुलाकात करना एक बड़ा आनन्द है। इस पल की मुझे बड़ी लालसा थी। यहाँ होने के लिए धन्यवाद।“

सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए उन्होंने कहा कि पास्का की शाम शिष्यों का आनन्द भी बड़ा था और यह आनन्द और बढ़ गया जब उन्होंने प्रभु को देखा।“(यो.20:20)

शांति एक वरदान

आनन्द और विस्मय के इस माहौल में, पुनर्जीवित प्रभु उनसे बातें करते हैं। वे उन्हें क्या बतलाते हैं? 

वे कहते हैं : “तुम्हें शांति मिले।” (पद.19) यह एक अभिवादन है लेकिन अभिवादन से बढ़कर, एक वरदान है। क्योंकि शांति, जिसकी घोषणा स्वर्गदूतों ने बेतलेहेम में उनके जन्म की रात की थी, और जिस शांति को वे अपने शिष्यों के लिए प्रदान करने की प्रतिज्ञा करते हैं (यो. 14:27) उसे वे पहली बार उन्हें प्रदान कर रहे हैं। संत पापा ने कहा, “येसु की शांति, जिसे हर ख्रीस्तयाग में हमें भी प्रदान किया जाता है, वह पास्का की शांति है, यह पुनरूत्थान से आती है क्योंकि प्रभु को पहले हमारे शत्रुओं, हमारे पाप और मृत्यु पर विजय पाना था तथा दुनिया को पिता के साथ मेल-मिलाप कराना था। उसके लिए उन्हें हमारे एकाकीपन और त्याग एवं हमारे दुखों का अनुभव करना था, उस दूरी को समाप्त करना था जो हमें जीवन और आशा से वंचित कर देती है। अब स्वर्ग और पृथ्वी, ईश्वर और मानव के बीच दूरी को हटाने के बाद, येसु अपने शिष्यों को अपनी शांति प्रदान करते हैं।

किंशासा में ख्रीस्तयाग
किंशासा में ख्रीस्तयाग

येसु की शांति हमें विस्मित करती    

आइये हम अपने आपको उनके स्थान पर रखें। उस दिन शिष्य क्रूस के ठोकर से पूरी तरह अपमानित थे। येसु को छोड़ने और भाग जाने के कारण आंतरिक रूप से घायल थे, उनके जीवन का अंत जिस तरह से हुआ था उसके कारण वे निराश थे और उन्हें डर था कि उनका जीवन भी उसी तरह समाप्त हो जाएगा। वे दोषी, निराश, दुःखी और भयभीत महसूस कर रहे थे...तभी येसु आते और शांति की घोषणा करते हैं। वे जीवन की घोषणा करते, जब शिष्य मौत से घिरे महसूस कर रहे थे। दूसरे शब्दों में, येसु की शांति ठीक उसी समय आती है जब उन्हें अचानक और विस्मय के साथ महसूस होता है कि अब सब कुछ समाप्त हो चुका है, शांति की एक किरण भी नहीं बची है। प्रभु यही करते हैं, वे हमें विस्मित करते। जब हम गिर जाते हैं तो हमारा हाथ पकड़कर उठा लेते हैं।

येसु के शिष्यों को येसु के समान होना है

संत पापा ने कहा, भाइयो एवं बहनो, येसु के साथ बुराई की जीत कभी नहीं होती, “बुराई का अंतिम शब्द नहीं होता। क्योंकि वे ही हमारी शांति हैं।”(एफे 2:14) उनकी शांति विजयी है। फलस्वरूप, हम जो येसु के हैं हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए, हमें त्याग देने एवं भाग्यवाद की भावना को प्रबल नहीं होने देना है। दुनिया जो हिंसा और युद्ध से निराश हो चुकी है ख्रीस्तीयों को येसु के समान होना है। येसु ने शिष्यों से कहा, “तुम्हें शांति मिले”। शांति के इस संदेश को हमें अपना बनाना है एवं दुनिया के सामने इसका प्रचार करना है।  

साथ ही साथ हम अपने आप से पूछ सकते हैं : हम किस तरह येसु की शांति को बचा सकते हैं?

वे स्वयं हमारे लिए शांति के तीन स्रोतों के बारे बतलाते हैं जिनसे हम लगातार शांति प्राप्त कर सकते हैं। वे स्रोत हैं – क्षमाशीलता, समुदाय और मिशन।

किंशासा में ख्रीस्तयाग
किंशासा में ख्रीस्तयाग

क्षमाशीलता

येसु अपने शिष्यों से कहते हैं : यदि तुम किसी के पाप क्षमा करोगे, तब वे अपने पापों से क्षमा किये जायेंगे (२३) और शिष्यों को पाप क्षमा करने की शक्ति देने से पहलेवे उनके पापों को क्षमा करते हैं। वे शब्दों से उन्हें क्षमा नहीं करते बल्कि कार्य से करते हैं और यही पुनर्जीवित प्रभु का पहला कार्य है। सुसमाचार हमें बतलाता है कि उन्होंने उन्हें अपने हाथ और अपनी बगल दिखायी। (पद.20) येसु उन्हें अपने घाव दिखाते हैं क्योंकि क्षमाशीलता घाव से उत्पन्न होती है। यह तभी उत्पन्न होती है जब हमारे घाव घृणा के दाग नहीं छोड़ते लेकिन एक साधन बन जाते हैं जिनके द्वारा हम दूसरों के लिए जगह बनाते और उनकी कमजोरियों को स्वीकार करते हैं। उनकी कमजोरी एक अवसर बनती और क्षमाशीलता शांति का रास्ता बन जाती है। इसका मतलब ये नहीं है कि हम वापस मुड़कर ऐसा व्यवहार करें मानो कि कुछ बदला ही नहीं हो; इसके विपरीत, हम प्रेम से अपना हृदय दूसरों के लिए खोलें। यही येसु ने किया, उन्हें छोड़कर भागनेवालों की उदासी और शर्म का सामना करते हुए उन्होंने अपना घाव दिखाया और करुणा के स्रोत को खोल दिया। उन्होंने शब्दों की बौछार नहीं की लेकिन अपने घायल हृदय को चौड़ा खोल दिया ताकि हमें बतला सकें कि वे हमारे प्रेम के खातिर हमेशा घायल होते हैं।

क्षमा पाने के लिए येसु के घावों को देखें  

भाइयो एवं बहनो, जब दोष एवं उदासी की भावना हमें घेर लेती हैं, जब चीजें सही तरीके से नहीं चलती हैं तब हम जानें कि हमें कहाँ देखना है। हमें येसु के घावों को देखना है जो अपने असीम प्रेम से हमें हमेशा क्षमा करने के लिए तैयार हैं। वे हमारे घावों को जानते हैं, वे देश के घावों को जानते हैं, हमारे लोगों और भूमि के घावों को। ये ऐसे घाव हैं जो पीड़ा देतीं, लगातार घृणा एवं हिंसा बढ़ातीं जबकि न्याय की दवाई एवं आशा का मलहम कभी नहीं मिलने के समान लगता है। “येसु आपके साथ दुःख सहते हैं। वे आपके घावों को देखते हैं और आपको सांत्वना देना एवं चंगा करना चाहते हैं। वे अपना घायल हृदय हमें अर्पित करना चाहते हैं। हमारे हृदय में ईश्वर आज नबी इसायस के शब्दों में कहते हैं, मैं उन्हें स्वास्थ्य प्रदान करूँगा, मैं उनका पथ प्रदर्शन कर उन्हें सांत्वना दूँगा।” (इसा. 57:18).

हम सभी विश्वास करते हैं कि येसु हमेशा क्षमा किये जाने एवं पुनः शुरूआत करने का अवसर प्रदान करते हैं लेकिन क्षमा करने की शक्ति भी देते हैं, खुद को, दूसरों को और इतिहास को। यही प्रभु चाहते हैं वे हमें क्षमाशीलता से अभियंजित करना चाहते हैं, हमें शांति प्रदान करना और बदले में दूसरों को क्षमा देने का साहस देते हैं। दूसरों को क्षमा देना हृदय की विशालता है। यह हमारे हृदय को गुस्से और बदले की भावना से साफ कर देता है आक्रोश और शत्रुता के हर निशान से मुक्त कर देता है।

संत पापा ने कहा, “भाइयो और बहनो, आज का दिन आप सभी के लिए येसु की क्षमाशीलता की कृपा को ग्रहण करने एवं अनुभव करने का समय हो। जो अपने हृदय में भारी बोझ ढो रहे हैं और चाहते हैं कि उसे हटा दिया जाए, वे पुनः स्वतंत्र होकर सांस ले सकते हैं। और इस देश में उन सभी के लिए एक अच्छा समय हो, जो खुद को ख्रीस्तीय कहते लेकिन हिंसा में लिप्त हैं।“ संत पापा ने कहा कि अपने सभी डर और परेशानियों के साथ, अपने हृदय को चंगा करने के लिए ख्रीस्त को अवसर दें, उन्हें अपना अतीत अर्पित करें। “आइये हम प्रभु से क्षमा प्राप्त करें और बदले में दूसरों को भी क्षमा दें”।

प्रभु हमें रास्ता दिखाते हैं

संत पापा ने शांति के दूसरे स्रोत की ओर ध्यान खींचा और वह स्रोत है समुदाय।         

उन्होंने कहा, "पुनर्जीवित येसु सिर्फ अपने एक शिष्य से बात नहीं करते, बल्कि उनके दल में प्रकट होते हैं। अपने इस पहले ख्रीस्तीय समुदाय को शांति प्रदान करते हैं। वे उसे अपनी शांति देते हैं। जिस तरह भ्रातृत्व के बिना शांति नहीं होती, उसी तरह समुदाय के बिना ख्रीस्तीयता नहीं होती।"

संत पापा ने समाज और कलीसिया में भी शक्ति, कैरियर और अपनी महत्वाकांक्षा खोजने के खिलाफ चेतावनी दी।

उन्होंने कहा, "ईश्वर के रास्ते के बदले हम अपने ही रास्ते पर चलते हैं और हम भी शिष्यों के समान हो जाते हैं, जिन्होंने बिना उम्मीद के डर एवं निराशा से भरकर अपने आपको कमरे में बंद कर लिया था। इसके बावजूद पवित्र आत्मा हमें विभाजित करनेवाली व्यक्तिवादी प्रवृति से बाहर निकाल कर एकजुट करते हैं।"

उन्होंने कहा, हालांकि दुनियावी प्रलोभन में पड़ना आसान है लेकिन यह सामुदायिक भावना को दूषित करती है जबकि प्रभु हमें रास्ता दिखलाते हैं।

‘हमारी दुनिया में शांति की चेतना’

शांति का तीसरा स्रोत है मिशन। संत पापा ने कहा, "हम शांति के मिशनरी बनने के लिए बुलाये गये हैं।" हमें अपने हृदय में हरेक के लिए स्थान बनाने की जरूरत है, यह मानते हुए कि जातीय, क्षेत्रीय, सामाजिक और धार्मिक विविधताएँ दूसरे स्थान पर हैं और हमें एक-दूसरे के भाई और बहन होने के लिए बाधक नहीं हैं, एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं और शांति को येसु ने दुनिया में लाया है जो सभी के लिए है।   

हमें मानना है कि हम ख्रीस्तीय सभी के साथ सहयोग करने, हिंसा के चक्र को तोड़ने, नफरत की साजिशों को खत्म करने के लिए बुलाये गये हैं। निश्चय ही ख्रीस्तीय येसु के द्वारा हमारी दुनिया में शांति की चेतना बनने के लिए भेजे गये हैं।  

संत पापा ने कहा कि सहयोग की मांग न केवल आलोचनात्मक चेतना को सहयोग देने बल्कि प्रेम का साक्ष्य देने के लिए भी है।

"आज येसु हरेक परिवार, समुदाय, जातीय समूह, पड़ोस और इस देश के सभी शहरों से कहते हैं तुम्हें शांति मिले।" 

संत पापा ने अपने उपदेश का समापन प्रार्थना करते हुए की कि हमारे प्रभु के ये शब्द हमारे हृदय के एकांत में गूँजे।

उन्होंने कहा, "आइये, हम उन्हें सम्बोधित करते हुए सुनें और हम क्षमाशीलता के साक्षी होने का चुनाव करें, समुदाय के निर्माता बनें, ऐसे व्यक्ति बनें जो विश्व में शांति के मिशन के लिए समर्पित है।"

किंशासा में ख्रीस्तयाग

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01 February 2023, 15:24