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आमदर्शन में पोप : कोंगो और दक्षिणी सूडान में सपनों को साकार करने हेतु यात्रा

संत पापा फ्राँसिस ने आमदर्शन समारोह में लोकतांत्रिक गणराज्य कोंगो एवं दक्षिणी सूडान में अपनी 40वीं प्रेरितिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रेरितिक यात्रा की सफलता के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हुए दोनों देशों के नेताओं के प्रति आभार प्रकट किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 8 फरवरी 2023 (रेई) : संत पापा ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम सभागार में एकत्रित, सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

विगत दिनों कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य एवं दक्षिणी सूडान में अपनेr प्रेरितिक यात्रा के बारे बतलाते हुए संत पापा ने कहा, “पिछला हफ्ता मैंने, दो अफ्रीकी देशों का दौरा किया : कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य एवं दक्षिणी सूडान की। मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझे लम्बे समय से इच्छित इस यात्रा को पूरा करने का अवसर दिया। कोंगो के लोगों से मुलाकात करने के दो सपने थे, जो एक विशाल देश, अफ्रीका के हरे फेपड़े के संरक्षक हैं : अमाजोन के साथ ये दुनिया के दो फेफड़े हैं। संसाधनों से समृद्ध धरती एक युद्ध से लहूलुहान हो गया है जो समाप्त नहीं हो रहा है क्योंकि कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है जो आग को भड़का रहा है, और दक्षिणी सूडान के लोगों से मुलाकात करना, जहाँ मैं शांति के तीर्थयात्री के रूप में कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेलबे और स्कॉटलैंड की कलीसिया के मोडेरेटर इयन ग्रीनशीर्ल्डस के साथ गया था। हम एक साथ इस बात का साक्ष्य देने गये थे कि विविधता में सहयोग करना संभव और आवश्यक है, खासकर, जब हम येसु ख्रीस्त में ही विश्वास करते है।

डीआर कोंगो में प्रतिष्ठा पूर्ण जीवन को प्रोत्साहन

पहले तीन दिन मैं कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किंशासा में रहा। मैं वहाँ के राष्ट्रपति और अधिकारियों को पुनः धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने मेरा स्वागत किया। वहाँ पहुँचने के तुरन्त बाद, राष्ट्रपति भवन में मैंने राष्ट्र के नाम अपना संदेश दिया। कोंगो एक हीरा के समान है, अपनी प्रकृति, अपने संसाधनों और सबसे बढ़कर अपने लोगों के द्वारा, किन्तु यह हीरा लोगों का है। यह एक गतिशीलता है जो अन्य अफ्रीकी देशों में भी पाया जाता है, एक उपनिवेशित, शोषित, लूटे हुए महाद्वीप में और वास्तव में यह उस क्षेत्र के लिए मान्य है। इन सब कुछ के सामने मैंने दो शब्द कहे : पहला, नकारात्मक "बस!" अफ्रीका का शोषण बहुत हो गया। मैंने इसका जिक्र पहले भी किया है कि कहा जाता है कि “अफ्रीका का शोषण किया जाना चाहिए"। संत पापा ने कहा कि यह बहुत हो चुका है। दूसरा है साकारात्मक : एक साथ, एक साथ मिलकर प्रतिष्ठा में और आपसी सम्मान, एक साथ ख्रीस्त के नाम पर, हमारी आशा आगे जाती है। शोषण न करें और एक साथ आगे बढ़ें। और हमने एक साथ ख्रीस्त के नाम पर महान यूखरिस्तीय समारोह मनाया।

किंशासा में कई मुलाकातें भी हुईं। उनमें से एक देश के पूर्वी हिस्से में हिंसा के शिकार लोगों के साथ हुई। यह क्षेत्र कई वर्षों से विभाजित है आर्थिक और राजनीतिक हितों से प्रभावित सशस्त्र समूहों के बीच युद्ध के कारण तोड़ दिया गया है। मैं गोमा नहीं जा सका। लोग डर और असुरक्षा में जी रहे हैं। अवैध व्यापार की बलि वेदी पर चढ़ाये जा रहे हैं। मैंने कुछ पीड़ितों के भयावाह साक्ष्यों को सुना। खासकर, महिलाओं की, जिन्होंने अपने हथियार और मौत के साधनों को क्रूस के नीचे रखा। उनके साथ मैंने कहा, “हिंसा और त्याग को “नहीं”, मेल-मिलाप एवं आशा को “हाँ” कहने के लिए प्ररित किया। उन्होंने बहुत दुःख सहा है और अब भी सह रहे हैं।

उसके बाद मैंने देश में उपस्थित विभिन्न उदार संगठनों के सदस्यों से मुलाकात की, उनका आभार व्यक्त किया एवं उन्हें प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा, “गरीबों के साथ और गरीबों के लिए उनका कार्य कोई आवाज नहीं करता, लेकिन हरेक दिन यह सार्वजनिक हित को बढ़ाता है। सबसे बढ़कर, उदार प्रयासों को हमेशा बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सिर्फ साथ देना नहीं बल्कि प्रोत्साहन देना।”    

स्टेडियम में कोंगो के युवाओं और प्रचारकों के साथ मुलाकात एक उत्साह जनक अवसर रहा। यह भविष्य की ओर वर्तमान में विसर्जन जैसा था। आइए, हम नवीकरण की शक्ति के बारे में सोचें जो ख्रीस्तीयों की नई पीढ़ी को सुसमाचार के आनंद से निर्मित और अनुप्राणित कर सकता है! इसके लिए मैंने युवाओं को पाँच रास्ते बतलाये : प्रार्थना, समुदाय, सौहार्द, क्षमाशीलता और सेवा। प्रभु उनकी पुकार सुने जो न्याय की गुहार लगाते हैं।

उसके बाद मैंने किंशासा के महागिरजाघर में पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मसमाजियों और सेमिनरी छात्रों से मुलाकात की। उनकी संख्या काफी है और वे जवान हैं क्योंकि वहाँ काफी बुलाहट है। यह ईश्वर की एक कृपा है।

“मैंने उनका आह्वान किया कि वे ख्रीस्त के प्रेम के साक्षी के रूप में लोगों के सेवक बनें। तीन प्रकार के प्रलोभन से ऊपर उठें : आध्यात्मिक रूप से औसतवाला व्यक्ति बनने के प्रलोभन, सांसारिक आराम और सतहीपन से। जो सेमिनरी छात्रों एवं पुरोहितों के लिए सामान्य प्रलोभन हैं। निश्चय ही आध्यात्मिक औसतपन तभी आता है जब एक पुरोहित औसतवाला व्यक्ति बन जाता है। यह दुखद है, सांसारिक आराम, एक दुनियादारी एवं सतहीपन है जो सबसे बड़ी बुराई है और कलीसिया में आ सकती है। अंतः कोंगो के धर्माध्यक्षों से मैंने प्रेरितिक सेवा के प्रयास एवं आनन्द को साझा किया। मैंने उन्हें निमंत्रण दिया कि वे ईश्वर के वचन के सामर्थ्य से नबी बनें, एक चिन्ह बनें कि हमारे प्रति प्रभु का मनोभाव क्या है, उनके सामीप्य एवं कोमलता की करुणा के चिन्ह। प्रभु हमारे साथ तीन चीजें करते हैं, वे हमारे निकट आते, हमारे प्रति अपनी करुणा और कोमलता प्रदर्शित करते हैं। संत पापा ने कहा, “मैंने धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि वे भी ऐसा ही करें।”   

दक्षिणी सूडान में शांति हेतु ख्रीस्तीय एकता

उसके बाद, मेरी यात्रा का दूसरा भाग दक्षिणी सूडान की राजधानी जूबा मैं सम्पन्न हुआ, इस राष्ट्र का जन्म 2011 में हुआ है। इस यात्रा का आदर्शवाक्य था, “मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे सब के सब एक हो जाएँ।”(यो.17:21) यह वास्तव में शांति हेतु ख्रीस्तीय एकता तीर्थयात्रा थी जिसको मैंने दो कलीसियाओं के शीर्ष अधिकारियों के साथ पूरा किया, जो ऐतिहासिक रूप से वहाँ उपस्थित हैं : अंगलिकन समुदाय एवं स्कॉटलैंड की कलीसिया। यह उस यात्रा का चरम विन्दु था जिसकी शुरूआत कुछ सालों पहले हुई थी। जिसके लिए हम 2019 में तनाव से ऊपर उठने एवं शांति स्थापित करने हेतु एक प्रतिबद्धता के लिए दक्षिणी सूडान के अधिकारियों के साथ रोम में जमा हुए थे। 2019 में उन राजनीतिक नेताओं, पदों के लिए इच्छुक लोगों के साथ, जिनमें से कुछ एक दूसरे के दुश्मन थे, दो दिनों की आध्यात्मिक साधना हुई थी। जिसने आगे बढ़ने के लिए शक्ति प्रदान की। दुर्भाग्य से, मेल-मिलाप प्रक्रिया उतनी आगे नहीं बढ़ी है जितनी बढ़नी चाहिए थी। नवजात दक्षिणी सूडान सत्ता और प्रतिद्वंद्विता के पुराने तर्क का शिकार है, जो युद्ध, हिंसा, शरणार्थियों और आंतरिक विस्थापन पैदा कर रहा है। मैं राष्ट्रपति महोदय को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने हमारा स्वागत किया और जो इस रास्ते को बनाने की कोशिश कर रहे हैं यद्यपि यह आसान काम नहीं है। संत पापा ने बतलाया कि उन्होंने भ्रष्टाचार और मानव तस्करी को “न” कहने, मुलाकात एवं वार्ता को “हाँ” कहने की सलाह दी। और यह शर्मनाक है कि कई देश दक्षिणी सूडान की मदद हथियार देकर कर रहे हैं, युद्ध को बढ़ावा देने के लिए। भ्रष्टाचार और मानव तस्करी को न और मुलाकात एवं वार्ता को हाँ कहने के द्वारा ही विकास संभव है। शांति के लिए कार्य करें ताकि रोगियों का इलाज हो सके, और बच्चे स्कूल जा सकें।  

दक्षिणी सूडान में ख्रीस्तीय एकता की प्रकृतिवाली यात्रा खासकर उस समय प्रकट हुई जब अंगलिकन भाइयों एवं स्कॉटलैंड की कलीसिया के साथ प्रार्थना की गई। हमने एक साथ ईशवचन सुना, एक साथ स्तुति की प्रार्थना की, निवेदन और अर्जी चढ़ाया।

महिलाओं में दुनिया बदलने की ताकत

भाइयो और बहनो, दक्षिण सूडान लगभग 11 मिलियन निवासियों का छोटा देश है! जिनमें से हथियारबंद संघर्ष के कारण दो मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं। और उतनी ही संख्या में लोग निकट के देशों में भाग गये हैं। संत पापा ने कहा, “यही कारण है कि मैं बड़ी संख्या में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से मिलना चाहता था, उन्हें सुनना एवं उन्हें कलीसिया का सामीप्य प्रदान करना चाहता था।” निश्चय ही, कलीसिया और ख्रीस्तीय भावना से प्रेरित संगठन गरीब लोगों के साथ पहली पक्ति में हैं, जो सालों से विस्थापित होकर शिविरों में रह रहे हैं। मैंने खासकर, महिलाओं को सम्बोधित किया, वहाँ कुछ अच्छी महिलाएँ हैं जो देश को बदल सकती हैं। और मैंने सभी लोगों को प्रोत्साहन दिया कि वे नये दक्षिणी सूडान के बीज बनें। जहाँ हिंसा न हो बल्कि मेल-मिलाप एवं शांति हो।

उसके बाद संत पापा ने स्थानीय कलीसिया के चरवाहों एवं समर्पित लोगों से मुलाकात की जिन्हें उन्होंने ईश्वर के विनम्र सेवक एवं मध्यस्थ बननेवाले मूसा को अपना आदर्श मानने के लिए प्रोत्साहित किया।

ख्रीस्तयाग दक्षिणी सूडान में प्रेरितिक यात्रा का अंतिम कार्यक्रम था। “मैंने ख्रीस्तीयों को प्रोत्साहन दिया कि वे अपनी भूमि के नमक एवं प्रकाश बनें, क्योंकि ईश्वर महान एवं शक्तिशाली लोगों में अपनी उम्मीद नहीं रखते बल्कि छोटे और दीन लोगों में रखते हैं।”

संत पापा ने दक्षिणी सूडान के अधिकारियों को धन्यवाद देता हूँ तथा जस्टिन वेलबे एवं इयन ग्रीनशीर्ल्डस को उनके साथ के लिए अपना आभार प्रकट किया।

अंत में उन्होंने कहा, “आइये, हम कोंगो लोकतांत्रिक गणराज्य एवं दक्षिणी सूडान तथा पूरे अफ्रीका के लिए प्रार्थना करें ताकि प्रेम, न्याय और शांति के राज का बीज पनपे।” इतना कहने के बाद संत पापा ने अपना वक्तव्य समाप्त किया एवं “हे हमारे पिता” प्रार्थना का पाठ करते हुए सभी को अपना प्ररितिक आशीर्वाद दिया।        

 

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08 February 2023, 16:42