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पोप : बुराई का जवाब अच्छाई से दें, प्रेम तनाव को बदल देता है

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे येसु के समान हमेशा असाधारण की ओर बढ़ें, जो हम पापियों के लिए मर गये, जबकि उसके बदले हम उन्हें कुछ नहीं दे सके।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 19 फरवरी 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 19 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

शब्द जिनसे इस रविवार के सुसमाचार पाठ में येसु हमें सम्बोधित करते हैं, अपेक्षा रखनेवाला है और मिथ्याभासी लगता है। वे हमें अपने दूसरे गाल सामने करने और हमारे शत्रुओं को प्यार करने के लिए आमंत्रित करते हैं। (मती. 5:38-48) जो हमें प्यार करते हैं उन्हें प्यार करना और जो हमारे मित्र हैं उनके साथ मित्र जैसा व्यवहार करना, सामान्य बात है, लेकिन येसु हमारा आह्वान करते हुए कहते हैं, यदि तुम ऐसा करते हो तो “क्या बड़ा काम करते हो?” ( पद.47)

असाधारण की मांग

संत पापा ने कहा, “क्या बड़ा काम करते हो?” इस बिन्दु पर मैं आपका ध्यान खींचना चाहता हूँ।“बड़ा”, “असाधारण” कहने का अर्थ है सामान्य की सीमा के परे जाना। आदतन अभ्यास और विवेक द्वारा निर्धारित सामान्य गणना से आगे जाना। वास्तव में, सामान्य तौर पर हम हर चीज को यथाक्रम में और नियंत्रण में रखने की कोशिश करते हैं, ताकि ये हमारी उम्मीदों के अनुरूप हो। हम बदले में नहीं पाने या खुद को दूसरों के सामने बहुत अधिक खोलने से डरते हैं और हम निराश हो जाते हैं। हम उन्हीं को प्यार करना चाहते हैं जो हमें प्यार करते और उन्हीं की भलाई करना चाहते हैं जो हमारी भलाई करते हैं। हम उन्हीं लोगों के प्रति उदारता दिखलाते हैं जो हमें वापस करने में सक्षम होते हैं। और हमारे साथ जो बुरा वर्ताव करते हैं उनके साथ हम भी बुरा वर्ताव करते हैं। लेकिन प्रभु हमें चेतावनी देते हैं। यह काफी नहीं है, यदि हम सामान्य बने रहेंगे, देने और लेने में संतुलन बनाये रखेंगे, तो चीजें नहीं बदलेंगी। यदि ईश्वर इस तर्क के अनुसार चलते तो हमें मुक्ति की आशा नहीं होती, लेकिन सौभाग्य से, ईश्वर का प्रेम हमारे लिए हमेशा असाधारण है, यह सामान्य जिसपर हम मानव अपने संबंधों को जीते हैं उस मापदण्ड से परे जाता।

अंत तक प्यार करना  

येसु के शब्द हमें चुनौती देते हैं। जब हम उपयोगितावादी तर्क के सामान्य दायरे में रहने की कोशिश करते हैं, वे हमें स्वतंत्र रूप से दिए गए प्यार के असाधारण रूप के लिए खुद को खोलने हेतु कहते हैं; जब हम हिसाब संतुलित करने का प्रयास करते हैं ख्रीस्त हमें प्रोत्साहित करते हैं कि हम असंतुलित प्रेम को जीने का प्रयास करें। हम इस पर आश्चर्य न करें। यदि ईश्वर अपने आप में असंतुलित नहीं होते तो हम कभी भी नहीं बचाये गये होते। जब हम खोये और भटके हुए थे, तब येसु हमें खोजने नहीं आये होते। वे हमें अंत तक प्यार नहीं किये होते, उन्होंने हमारे लिए क्रूस को नहीं अपनाया होता, हम इन सभी चीजों के योग्य नहीं थे और हम उसके बदले कुछ भी नहीं दे पाते।

संत पौलुस लिखते हैं, “धार्मिक व्यक्ति के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाए। किन्तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मर गये थे।” (रोम. 5:7-8) इसलिए, ईश्वर हमें पापी के रूप में भी प्यार करते हैं न कि केवल उस समय, जब हम अच्छे होते अथवा कुछ देने के काबिल होते हैं। ईश्वर का प्रेम हमेशा प्रचुर है, हमेशा हिसाब से अधिक, मात्रा से बढ़कर है। आज वे हमें भी इसी तरह जीने के लिए कहते हैं क्योंकि सिर्फ इस तरह हम उनका साक्ष्य दे सकते हैं।    

ख्रीस्त हम पापियों के लिए मर गये

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, “भाइयो एवं बहनो, प्रभु हमें अपने फायदे के तर्क से बाहर निकलने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तथा प्रेम को गणना और सुविधा के पैमाने पर नहीं नापने के लिए कह रहे हैं। वे हमें निमंत्रण देते हैं कि हम बुराई का बदला बुराई से न दें, भलाई करें, उपहार देने का खतरा मोलें चाहे कम वापस मिले अथवा कुछ न मिले। क्योंकि यही प्रेम है जो धीरे-धीरे तनाव को दूर करता, दूरी घटाता, दुश्मनी से ऊपर उठने में मदद करता तथा घृणा के घाव को चंगा कर देता है। इसलिए हम अपने आप से पूछें, क्या मैं अपने जीवन में बदला चुकाने के तर्क का अनुसरण करता हूँ अथवा मुफ्त में देता हूँ? ख्रीस्त का असाधारण प्रेम आसान नहीं है लेकिन संभव है, क्योंकि वे स्वयं हमारी मदद करते हैं, पवित्र आत्मा प्रदान करने एवं अपना असीम प्रेम देने के द्वारा।”

ईश्वर को माता मरियम की “हाँ”

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, “आइये हम माता मरियम से प्रार्थना करें जिन्होंने ईश्वर को बिना हिसाब किये “हाँ” कहकर उत्तर दिया। जिसके द्वारा उन्होंने ईश्वर को अपनी कृपा का श्रेष्ठ कृति बनाने दिया।“  

देवदूत प्रार्थना में भाग लेते विश्वासी
देवदूत प्रार्थना में भाग लेते विश्वासी

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19 February 2023, 15:09