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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

देवदूत प्रार्थना में पोप : विश्वास ईश्वर के साथ एक प्रेम कहानी है

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीयों को निमंत्रण दिया है कि वे अपने आपको पूर्ण रूप से अर्पित करें एवं ईश्वर को बिना शर्त प्यार करें ताकि अपने विश्वास में पूर्ण हो पायेंगे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 12 फरवरी 2023 (रेई) – वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 12 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार पाठ में येसु कहते हैं, “यह न समझो के मैं संहिता अथवा नबियों के लेखों को रद्द करने आया हूँ। उन्हें रद्द करने नहीं बल्कि पूरा करने आया हूँ।” (मती.5,17) इस पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा, “पूरा करना” : यह एक मूल शब्द है जिसके द्वारा येसु के संदेश को समझा जा सकता है। इसका अर्थ क्या है? इसको समझाने के लिए येसु नहीं की जानेवाली चीजों से शुरू करते हैं। सुसमाचार हत्या नहीं करने के लिए कहता है लेकिन येसु के लिए यह काफी नहीं है यदि हम अपने भाइयों को शब्दों से चोट पहुँचाते हैं; धर्मग्रंथ कहता है, "व्यभिचार मत करो" लेकिन यह पर्याप्त नहीं है यदि हम कपट और असत्य से दूषित प्रेम को जीते हैं; धर्मग्रंथ कहता है, "झूठी शपथ मत लो" लेकिन यदि हम कपटपूर्ण व्यवहार करते हैं तो औपचारिक शपथ लेना काफी नहीं है। (मती. 5:21-37) अर्थात् इसमें पूर्णता नहीं है।

कर्मकाण्ड पालन व्यर्थ है

एक ठोस उदाहरण देने के लिए येसु ने दान करने के धार्मिक कर्मकांड की ओर ध्यान खींचा। ईश्वर को दान चढ़ाकर व्यक्ति उनके वरदानों के लिए अपना आभार प्रकट करता था। यह एक बहुत महत्वपूर्ण अनुष्ठान था, इतना महत्वपूर्ण कि गंभीर कारणों को छोड़, किसी अन्य कारण से इसे नहीं रोका जाना चाहिए था। लेकिन येसु कहते हैं कि यदि अपने भाई से कुछ मनमुटाव हो तो बीच में ही दान को छोड़कर पहले भाइयों से मेल-मिलाप कर लेना चाहिए, तभी यह धार्मिक अनुष्ठान पूरा हो सकता है। संदेश स्पष्ट है : ईश्वर सबसे पहले हमें प्यार करते हैं, वे बिना शर्त प्रेम करते हैं, हमसे बिना कुछ उम्मीद किये हमारी ओर आगे बढ़ते हैं, और लेकिन हम उनके प्रेम को तब तक नहीं ग्रहण कर सकते, जब तक कि हम चोट देनेवाले के साथ मेल-मिलाप न कर लें। ईश्वर की नजर में इसी में पूर्णता है, अन्यथा, सिर्फ बाह्य धार्मिक अनुष्ठान पूरा करना व्यर्थ है। दूसरे शब्दों में, येसु हमें समझाते हैं कि धार्मिक नियम उपयोगी हैं, वे अच्छे हैं लेकिन वे सिर्फ शुरूआत हैं उन्हें पूरा करने के लिए शब्दों से परे जाने की जरूरत है और उनके अर्थों को जीना है। 

ईश्वर ने जो आज्ञाएँ हमें दी हैं उन्हें दम घुटनेवाली औपचारिक पालन की तिजोरियों में बंद नहीं रखा जाना चाहिए। अन्यथा, पिता ईश्वर के बच्चे होने के बदले हम मालिक ईश्वर के सेवक बनकर बाहरी एवं अलग धार्मिकता में ही रह जायेंगे।

अधिकतम की आकांक्षा करें

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बधित कर कहा, “भाइयो एवं बहनो, ये समस्या सिर्फ येसु के समय मौजूद नहीं थी बल्कि यह आज भी है। उदाहरण के लिए, "कोई कह सकता है, फादर मैंने हत्या नहीं की है, मैंने चोरी नहीं की है, मैंने किसी को दु:ख नहीं दिया है... "मानो कि कहना चाहता हो, मैं ठीक हूँ।” सत पापा ने कहा कि यह एक औपचारिक नियम पालन है जिसमें हम सबसे कम से संतुष्ट होते। जबकि येसु इस बात के लिए निमंत्रण देते हैं कि हम जितना संभव हो उतना करें। संत पापा ने कहा, “आइये हम याद रखें, ईश्वर हिसाब और टेबल से तर्क नहीं करते। वे हमें एक प्रेमी की तरह प्यार करते हैं, सिर्फ न्यूनतम नहीं बल्कि अधिकतम देते हैं। वे हमसे नहीं कहते कि मैं तुम्हें इस बिन्दु तक प्यार करूँगा। सच्चा प्रेम कभी कोई निश्चित बिन्दु तक सीमित नहीं होता, यह उससे आगे जाता। येसु इसे हमें क्रूस पर अपना जीवन देकर दिखलाते हैं और अपने हत्यारों को माफ कर देते हैं। (लूक. 23:34) और उसने हमें आज्ञा दी है कि हम एक-दूसरे को वैसा ही प्यार करें जैसा उन्होंने हमसे किया है। (यो.15:12) प्रेम ही नियम, विश्वास और जीवन को पूर्ण बनाता।

चिंतन

अतः हम अपने आप से पूछ सकते हैं : मैं विश्वास को किस तरह जीता हूँ? क्या मैं इसमें हिसाब करता हूँ, औपचारिकता निभाता हूँ या क्या यह ईश्वर के साथ एक प्रेम कहानी है? क्या मैं किसी की बुराई नहीं करने के कारण संतुष्ट हूँ ताकि मुखौटा को सही स्थान पर रख सकूँ अथवा क्या मैं ईश्वर के प्रेम एवं पड़ोसी के प्रेम में बढ़ने की कोशिश करता हूँ? और क्या मैं अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करता हूँ? शायद हम दूसरों का न्याय करने में कठोर हैं और दयालु नहीं हो पाते जैसा कि ईश्वर हमारे साथ करते हैं।

कुँवारी मरियम जिन्होंने ईश वचन को पूर्णता से जीया, हमारे विश्वास एवं प्रेम को जीने में सहायता दे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

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12 February 2023, 13:19