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रोम के डॉक्टरों एवं मरीजों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस रोम के डॉक्टरों एवं मरीजों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

पीड़ितों के करीब रहना ज़रूरी, सन्त पापा फ्राँसिस

रोम धर्मप्रांत की स्वास्थ्य प्रेरिताई सम्बन्धी सेवा के चिकित्सकों एवं कार्यकर्त्ताओं को सम्बोधित कर गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने पीड़ितों के प्रति एकात्मता की अपील की तथा कहा कि भाई के दर्द में हमें "प्राथमिकता का संकेत" देखना सीखना अनिवार्य है। सन्त पापा ने कहा कि जो लोग पीड़ित हैं उनके क़रीब रहना अति आवश्यक है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 10 फरवरी 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम धर्मप्रांत की स्वास्थ्य प्रेरिताई सम्बन्धी सेवा के चिकित्सकों एवं कार्यकर्त्ताओं को सम्बोधित कर गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने पीड़ितों के प्रति एकात्मता की अपील की तथा कहा कि भाई के दर्द में हमें "प्राथमिकता का संकेत" देखना सीखना अनिवार्य है।  सन्त पापा ने कहा कि जो लोग पीड़ित हैं उनके क़रीब रहना अति आवश्यक है।

संवेदनशीलता का आग्रह

11 फरवरी को रोगियों को समर्पित विश्व दिवस के मद्देनजर रोम धर्मप्रांत की स्वास्थ्य प्रेरिताई सम्बन्धी सेवा के चिकित्सकों एवं कार्यकर्त्ताओं ने सन्त पापा का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इनमें रोम धर्मप्रान्त की स्वास्थ्य सेवा परिषद को समर्थन देनेवाले रोम के 13 अस्पतालों के निदेशकों सहित कुछेक चिकित्सक, स्वयंसेवक एवं लात्सियो प्रान्त की स्पोर्ट्स सोसाइटी का एक प्रतिनिधिमंडल शामिल था।  

सन्त पापा ने रोम धर्मप्रान्त की स्वास्थ्य प्रेरिताई सम्बन्धी सेवा में कार्यरत सभी कार्यकर्त्ताओं की सराहना की जो "दुख के अनुभव को दूसरों के दर्द की निकटता में बदलने में सक्षम रहे तथा दूसरे की सेवा में एकजुटता एवं आशा की कहानियों को जीवन देते हुए अलगाव और भय की दीवारों को तोड़ दिया।"

उन्होंने कहा, "पीड़ितों की बात सुनना, उनके प्रति प्रेम प्रदर्शित करना और स्वीकृति की पेशकश करते हुए उनके  करीब जाना महत्वपूर्ण है, लेकिन ऐसा करने के लिए हमें अपने भाई के दर्द में "प्राथमिकता का संकेत" देखना सीखना होगा।" उन्होंने कहा, "यह एक संवेदनशीलता है, क्योंकि जितना अधिक हम खुद को पीड़ित लोगों के साथ साक्षात्कार में शामिल होने की अनुमति देते हैं, उतना ही अधिक हम जीवन के सच्चे अर्थ को समझ पाते हैं, जो कि प्रेम है।"

मानवता से वीरान शहरों को चुनौती

मानवता से वीरान वर्तमानकालीन शहरों को चुनौती देते हुए सन्त पापा ने कहा, "आज के शहर मानवता से वीरान  और करुणा के प्रति बहरे हैं।" उन्होंने कहा, "उन लोगों के विलाप का हम स्वागत करें जो पीड़ित हैं और यह सुनिश्चित करें कि उनकी पुकार सुनी जाये। इसे एक कमरे में बंद न होने दें, न ही इसे केवल "समाचार" बनने दें: पीड़ितों के लिये अपने भीतर जगह बनाएं और इसे अपनी व्यक्तिगत और ठोस भागीदारी से आगे बढ़ाएँ।"

उन्होंने कहा, आज यह ज़रूरी है कि हम उनकी आवाज़ बनें जिनकी आवाज़ सुनी नहीं जाती, जो रोगग्रस्त हैं, जो आर्थिक एवं नैतिक दोनों समर्थनों के बिना अकेले हैं तथा सहायता की गुहार लगा रहे हैं।   

उदारता के ख़मीर बनें

सन्त पापा ने चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों से आग्रह किया के वे अपनी निःस्वार्थ सेवा द्वारा उदारता के ख़मीर बनों। उन्होंने कहा, "आभार और पारस्परिकता की जीवन शैली" को साझा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि "हम सभी जरूरतमंद हैं और हम सभी कुछ दे सकते और साथ ही प्राप्त भी कर सकते हैं, यहां तक ​​कि केवल हमारी एक मुस्कान भी अन्यों के लिये एक वरदान सिद्ध हो सकती है।

उन्होंने कहा कि एक शरीर के सदस्यों के रूप में एक साथ काम करने की ज़रूरत है, ताकि एक की पीड़ा सभी की पीड़ा बने और प्रत्येक के योगदान को आशीर्वाद के रूप में सभी द्वारा स्वागत किया जा सके।

उन्होंने कहा कि दर्द में बीमारों के क़रीब रहना आसान नहीं है, इस तथ्य से हम भली भाँति परिचित हैं तथापि निराश नहीं होवें एवं स्वास्थ्य सेवा के अपने मिशन पर आगे बढ़ने के लिये येसु मसीह के दुखदायी मुखमण्डल को याद करें, जिन्होंने "हमारी कमजोरी को हमारे लिए मरने की हद तक साझा करना चाहा और जो कभी भी हमारा परित्याग नहीं करते।"

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10 February 2023, 11:43