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रोता रोमाना के कानूनी प्रेरितिक ट्रेनिंग कोर्स के प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस रोता रोमाना के कानूनी प्रेरितिक ट्रेनिंग कोर्स के प्रतिभागियों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस  (Vatican Media)

पोप : कलीसिया के मुक्तिदायी मिशन से नजदीकी से जुड़ा है कैनन लो

संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक कलीसिया की न्यायिक प्रणाली रोता रोमाना के तत्वधान में आयोजित कानूनी प्रेरितिक ट्रेनिंग कोर्स के प्रतिभागियों से मुलाकात की तथा प्रेरितिक देखभाल एवं कलीसियाई कानून के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर प्रकाश डाला।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 18 फरवरी 2023 (रेई) – संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक कलीसिया की न्यायिक प्रणाली रोता रोमाना के तत्वधान में आयोजित कानूनी प्रेरितिक ट्रेनिंग कोर्स के प्रतिभागियों से मुलाकात की तथा  प्रेरितिक देखभाल एवं कलीसियाई कानून के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर प्रकाश डाला।

शनिवार को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में कानूनी प्रेरितिक ट्रेनिंग कोर्स के 300 प्रतिभागियों से मुलाकात करते हुए संत पापा ने कहा, “यह एक पहल है जो प्रेरितिक संविधान प्रेदिकाते इवंजेलियुम की भावना के अनुसार, कलीसिया के सुसमाचार प्रचार मिशन के लिए रोमन कूरिया की बहुमुखी सेवा का हिस्सा है।”

सुसमाचार प्रचार के साथ कानूनी प्रेरितिक ट्रेनिंग कोर्स को जोड़ते हुए संत पापा ने गौर किया कि अक्सर कैनन लॉ (कलीसियाई कानून) और येसु ख्रीस्त के सुसमाचार प्रचार के मिशन को दो अलग-अलग चीजों के रूप में देखा जाता हैं। उन्होंने कहा, “इसके बजाय, उस कड़ी को खोजना महत्वपूर्ण है जो उन्हें कलीसिया के एक मिशन के भीतर एकजुट करती है।” वास्तव में, कलीसियाई कानून का केंद्र ईश्वर के वचन और संस्कारों में है। हरेक व्यक्ति एवं हरेक समुदाय को अधिकार है कि वह ख्रीस्त से मुलाकात करे तथा हर नियम और कानूनी क्रिया को चाहिए कि वह इस मुलाकात की प्रमाणिकता एवं परिपूर्णता को महत्व दें। अतः सर्वोच्च नियम है आत्माओं की मुक्ति, जैसा कि कैनन लो (1752) में पुष्ट किया गया है। इस प्रकार, काथलिक कलीसिया के जीवन में कलीसियाई कानून इसके एक आवश्यक आयाम के रूप में गहराई से जुड़ा है, खासकर, मुक्तिदायी अच्छाईयों को बनाये रखने एवं हस्तांतरित करने में न्याय करने के द्वारा। संत पापा ने कहा कि इस अर्थ में, सुसमाचार का प्रचार करना, धर्माध्यक्षों एवं विश्वासियों दोनों की एक मौलिक न्यायिक प्रतिबद्धता है।

नियम प्रेम की शर्त है

संत पापा बेनेडिक्ट १६वें के शब्दों को याद दिलाते हुए संत पापा ने कहा, “कानून के बिना एक समाज, अधिकार से रहित समाज हो जाएगा। कानून प्रेम की शर्त है।" (सेमिनरी छात्रों के नाम पत्र, 18 अक्टूबर 2010, संख्या. 5)

उन्होंने कहा, “आपके कार्य विनियमन, प्रक्रियाओं और प्रतिबंध से संबंधित है लेकिन अधिकार की दृष्टि को नहीं खोना चाहिए और अपने कार्यों के केंद्र में लोगों को रखना चाहिए। ये अधिकार मनमाने दावे नहीं लेकिन अच्छाई के लिए, मुक्ति के उद्देश्य के लिए होना चाहिए, कलीसियाई समुदाय के अंदर प्राकृतिक संसाधनों के सम्मान को भूले बिना उन्हें पहचाना जाना एवं उनकी रक्षा की जानी चाहिए।“ संत पापा ने प्रतिभागियों से कहा कि कानून के संरक्षकों के रूप में उनकी खास जिम्मेदारी है कि स्थानीय कलीसियाओं के जीवन में न्याय की सच्चाई को उजागर करें, यह कार्य सुसमाचार प्रचार के लिए एक बड़ा योगदान है।  

संत पापा ने कहा कि इस दृष्टिकोण से वे कैनन लो को जानने और निष्ठापूर्वक उसका पालन करने के लिए बुलाये गये हैं हमेशा इस बात को मन में रखते हुए कि न्याय के साथ उन नियमों की व्याख्या करना और उन्हें लागू करना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा, कानून के धर्माचार्य “ठोस अच्छाई” की परख करने के लिए बुलाये गये हैं, जब वे किसी मामले पर कार्रवाई करते हैं, तो कानून में निहित सार्वजनिक हित की अनदेखी न करें।

कैनन लो में सिनॉडल यात्रा

संत पापा ने कैनन लोग एवं कलीसिया की सिनॉडालिटी के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "सिनॉडल भावना आपके न्यायिक कर्तव्यों के हर पहलू में होनी चाहिए। आपस में एक-दूसरे को सुनने में एक साथ आगे बढ़ते हुए पवित्र आत्मा का आह्वान करना, न्यायपूर्ण व्यक्ति बनने हेतु एक अनिवार्य शर्त है।”

उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे विनम्रता की भावना में अपने से अधिक अनुभवी साथियों से सलाह पूछें ताकि वे कलीसिया की बेहतर सेवा कर पायेंगे।  

न्यायाधिकरण एवं परिवार प्रेरितिक देखभाल

संत पापा फ्राँसिस ने परिवारों की प्रेरितिक देखभाल और कलीसिया के न्यायाधिकरणों के बीच संबंध पर भी विचार किया।

उन्होंने कहा, “परिवारों की एक अभिन्न प्रेरितिक देखभाल विवाह से संबंधित न्यायिक प्रश्नों की उपेक्षा नहीं कर सकती है," उदाहरण के लिए विवाह की शून्यता अथवा विवाह जो समाप्त नहीं हुआ है।

दोनों मामलों में, पोप ने कहा कि कानून के धर्माचार्य यह नहीं भूल सकते कि वे एक महत्वपूर्ण प्रेरितिक मामले के सवाल पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि “उनके कार्य हमेशा सच्चाई की मांग, पहुँच और विवेकपूर्ण तीव्रता से संचालित हों, फिर भी दम्पतियों के बीच मेल-मिलाप या उनके संबंध को मान्य बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।”

‘न्याय का दर्पण’

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने कानून के छात्रों को ईश्वर के वचन में सच्ची भलाई के लिए अपना शोध जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उन्हें तथा उनके कार्यों को "न्याय के दर्पण माता मरियम" को सौंप दिया।

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18 February 2023, 17:35