विभाजित राष्ट्रों के धर्माध्यक्ष सन्त पापा के इर्द-गिर्द एकजुट
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
किनशासा, शुक्रवार, 3 फरवरी 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): सीमावर्ती देशों के बीच बरकरार तनावों की पृष्ठभूमि में, शुक्रवार को कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य एवं रुआण्डा के काथलिक धर्माध्यक्ष सन्त पापा फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा के दौरान एक साथ आए।
सन्त पापा के इर्द-गिर्द एकजुट
मंगलवार 31 जनवरी को कॉन्गो पहुंचे 86 वर्षीय काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस शुक्रवार को पड़ोसी देश दक्षिण सूडान का रुख कर रहे हैं। दक्षिण सूडान में सन्त पापा फ्राँसिस कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेल्बी के साथ संयुक्त रूप से देश का दौरा करेंगे। सन्त पापा की दक्षिण सूडान प्रेरितिक यात्रा को ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक मार्ग पर अग्रसर होती एक अभूतपूर्व "शांति की तीर्थयात्रा" के रूप में वर्णित किया गया है।
किनशासा में जब संत पापा फ्राँसिस ने एनडोलो हवाई अड्डे पर ख्रीस्तयाग के अवसर पर हृदय के क्षमादान की बात की थी, तब उनके साथ यूखारिस्तीय समारोह में रुआण्डा, बुरुण्डी तथा कॉन्गो ब्राज़ाविले के काथलिक धर्माध्यक्षों सहित युद्धरत मिलिशिया और विद्रोही समूह के कुछ लोग भी शामिल थे। इन राष्ट्रों के काथलिक धर्माध्यक्षों ने गुरुवार को अपने- अपने राष्ट्रों को प्रस्थान करने से पहले सन्त पापा के साथ अपने अनुभवों को वाटिकन मीडिया के पत्रकारों के साथ साझा किया।
एक खास पल
किनशासा के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल फ्रीदोलीन बेसुंगु ने कहा, "हम एक खास पल में जी रहे हैं। हमें चाहिये कि हम राजनीति को हमें विभाजित नहीं करने दें, और देखें कि हम एक साथ क्या कर सकते हैं।" उन्होंने कहा, "सन्त पापा का संदेश बहुत शक्तिशाली था, जबकि राजनेता लोगों के बीच नफरत बोते हैं, ज़ेनोफ़ोबिया का साधन बनाते हैं, और लोगों के बीच अविश्वास पैदा करते हैं, धर्माध्यक्षों और कलीसिया को एक अलग रास्ते पर चलने की ज़रूरत है, उन्हें किसी प्रकार के तर्क में नहीं पड़ना चाहिए।”
कार्डिनल फ्रीदोलीन बेसुंगु ने रुआण्डा से आये अपने भाइयों को "किंशासा आने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिये महान साहस की आवश्यकता थी, एक सामान्य मिशन को पूरा करने का साहस।"
रुआण्डा के कार्डिनल अन्तोन कामबान्दा ने कहा कि उस क्षेत्र में चल रही हिंसा और संघर्ष के कारण यह यात्रा सम्भव नहीं थी, इसलिये हम प्रभु ईश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। उन्होंने कहा, "हम धर्माध्यक्ष, आठ में से छह, यहाँ आए। शांति का संदेश जो संत पापा हमारे पास लाने आए थे, हम सभी से संबंधित है। यह हम सभी का स्पर्श करता है, इसने मुझे व्यक्तिगत रूप से छुआ है।
बोझिल हृदय से, कार्डिनल ने 1994 में अपने देश में हुए नरसंहार को याद किया, जब जातीय-राजनीतिक संघर्ष के कारण 100 दिनों में कम से कम 800,000 लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा, "यह बाहर से, दूसरों द्वारा किया गया नरसंहार नहीं था, दुर्भाग्यवश, यह रुआण्डा वासियों द्वारा ही किया गया था।
क्षमा, शांति सीखें
इसी बीच कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य में काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष तथा किसांगानी के महाधर्माध्यक्ष मारसेल तापा ने क्षमा और शांति के विकास की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, "हम सभी को शांति का निर्माण करना चाहिए। क्षमा करना सीखना होगा और उस समुदाय की पुनर्खोज करना होगा जो हमें और हमारे मिशन को एकजुट करता है।"
"हमें स्वयं को विश्वास दिलाना होगा कि व्यक्तिगत और संस्थागत क्षमा आपस में जुड़े हुए हैं। ईश्वर की सन्तान और बपतिसमा संस्कार में भाइयों और बहनों के रूप में, हमें एक-दूसरे को क्षमा करना सीखना होगा। उन्होंने कहा, सन्त पापा अच्छी तरह से जानते हैं कि यहाँ क्या चल रहा है और जो कुछ चल रहा है वह शांति के लिए खतरा है, एक ऐसी समस्या है जो पूरे उपमहाद्वीप को प्रभावित करती है। सन्त पापा ने हमें उस भाईचारे के बारे में जागरूकता विकसित करने के लिए आमंत्रित किया है जो हमें एकजुट करता है।
शुक्रवार को सन्त पापा फ्रांसिस ने दक्षिण सूडान की यात्रा से पूर्व काथलिक धर्माध्यक्षों से मुलाकात कर उन्हें अपना सन्देश दिया।
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