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कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य में सन्त पापा फ्राँसिस कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य में सन्त पापा फ्राँसिस   (AFP or licensors)

अफ्रीका अपने भाग्य का नायक बने, सन्त पापा फ्राँसिस

"अफ्रीका अपने भाग्य का नायक बने", "कांगो से हाथ हटायें! अफ्रीका से हाथ हटायें!" विश्व मीडिया में मंगलवार को गूँजी सन्त पापा फ्राँसिस की इन फटकारों के साथ सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु ने कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य तथा दक्षिण सूडान में अपनी छः दिवसीय प्रेरितिक यात्रा का शुभारम्भ किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

किनशासा, बुधवार, 1 फरवरी 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): "अफ्रीका अपने भाग्य का नायक बने", "कांगो से हाथ हटायें! अफ्रीका से हाथ हटायें!" विश्व मीडिया में मंगलवार को गूँजी सन्त पापा फ्राँसिस की इन फटकारों के साथ सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु ने कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य तथा दक्षिण सूडान में अपनी छः दिवसीय प्रेरितिक यात्रा का शुभारम्भ किया। मंगलवार, 31 जनवरी को प्रारम्भ यह प्रेरितिक यात्रा पाँच फरवरी तक जारी रहेगी। यात्रा के पहले दिन कॉन्गो के लोगों से सन्त पापा फ्राँसिस ने आग्रह किया कि वे हिंसा और घृणा को खारिज करके अपने भाग्य को अपने हाथों में लें।

कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य में स्वागत

कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किनशासा के अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति फेलिक्स टिशीकेदी सहित देश के गणमान्य अधिकारियों ने सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत किया। बच्चों ने गुलदस्ते अर्पित किये तथा युवाओं ने गीतों एवं लोकनृत्यों के साथ उनका भावपूर्ण अभिनन्दन किया। तदोपरान्त मध्य अफ्रीकी राष्ट्र के अधिकारियों, नागर समाज और राजनयिक कोर से मुलाकात कर सन्त पापा ने उन्हें अपना सन्देश दिया। 

कॉन्गो की लगभग नौ करोड़ की कुल आबादी में से पचास प्रतिशत लोग रोमी काथलिक कलीसिया के धर्मानुयायी हैं। काथलिक कलीसिया इस विशाल केन्द्रीय अफ्रीकी देश में स्कूलों, स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों एवं कल्याणकारी संस्थाओं का संचालन करने के साथ-साथ लोकतंत्र को बढ़ावा देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

संघर्ष, हिंसा, रक्तपात और शोषण के बीच कॉन्गो लोकतांत्रिक गण्रराज्य के लोगों ने आशा का परित्याग नहीं किया है। वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में 2018 से कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य में परमधर्मपीठ के प्रेरितिक राजदूत रहे  महाधर्माध्यक्ष हेक्टर बालेस्त्रेरो ने सन्त पापा फ्राँसिस की देश में प्रेरितिक यात्रा के प्रबन्धन को अपेक्षाओं के परे निरूपित किया। उन्होंने कहा कि अनगिनत चुनौतियों के बावजूद काथलिक धर्मानुयायियों का आनंद इतना महान है कि सब कुछ आसान हो जाता है: सपना सचमुच में हकीकत बन गया है।"   

लोगों की क़ीमत जानें

प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन, मंगलवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने अफ्रीका में व्याप्त  "लालच के ज़हर" से उत्पन्न संघर्षों की कड़ी निंदा की और कहा कि धनी विश्व को इस बात के प्रति सचेत होना पड़ेगा कि धरातल के अन्तर में विद्यमान खनिजों की तुलना में लोग कहीं अधिक कीमती हैं।

हवाईअड्डे से राजधानी किंशासा में अपनी पापामोबिल गाड़ी से यात्रा करते सन्त पापा का हजारों लोगों ने हर्षोल्लास के साथ, करतल ध्वनि और जयनारे लगाकर तथा वाटकिन एवं कॉन्गो के झंडे फहराकर स्वागत किया। देश आये खास मेहमान की एक झलक पाने के लिये कई मीलों दूर तक लोग पापामोबिल का पीछा करते दिखाई दिये। सन्त पापा फ्राँसिस की विदेश यात्राओं का यह सर्वाधिक जीवंत स्वागत था, किन्तु खुशी का यह माहौल उस समय एकाएक उदास और शांत हो गया जब  86 वर्षीय सन्त पापा ने राष्ट्रपति भवन में गणमान्य व्यक्तियों को सम्बोधित करते वक्त कांगो में व्याप्त "भयानक शोषण" की निंदा की, जहां विशाल खनिज संपदा ने युद्ध, विस्थापन और भूख को बढ़ावा दिया है।

कॉन्गो का शोषण बन्द करें

"कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से अपने हाथों को हटायें। अफ्रीका से अपने हाथ हटायें। अफ्रीका का दम घोटना बंद करें: यह छीन लिये जानेवाली कोई खदान नहीं है और न ही यह लूटा जाने वाला कोई इलाका ही है", सन्त पापा के इन शब्दों को सुनते ही सम्पूर्ण राष्ट्रपति भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। कान्गो में व्याप्त शोषण के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा कि  "लालच के जहर ने उसके हीरों को खून से रंग दिया है"।

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हीरा, सोना, तांबा, कोबाल्ट, टिन, टैंटलम और लिथियम के दुनिया के सबसे अमीर भंडार हैं, किन्तु इन्हीं के कारण देश के मिलीशिया, सरकारी सैनिकों और विदेशी आक्रमणकारियों के बीच संघर्ष को प्रश्रय मिला है। खनिजों में काम के लिये बच्चों सहित श्रमिकों का अमानवीय शोषण जारी है और साथ  पर्यावरण को भी क्षति पहुँच रही है।

कॉन्गो के विषय में सन्त पापा ने कहा, "ऐसा आभास होता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे (कांगो को) निगलने वाली हिंसा के प्रति उदासीन हो चुका है। हम उस रक्तपात के आदी नहीं हो सकते जिसने दशकों से इस देश को चिह्नित किया है और जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई है।" उन्होंने आशा व्यक्त की कि "विश्व उन विनाशकारी हालातों को स्वीकार करेंगे जिनसे सदियों के अन्तराल में स्थानीय लोगों की हानि हुई है, और इस देश और महाद्वीप को नहीं भूलेंगे।"

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, सशस्त्र संघर्षों के कारण, अनुमानित तौर पर 57 लाख लोग कांगो में आंतरिक रूप से विस्थापित हो गये हैं और 26 लाख लोग गंभीर भुखमरी का सामना कर रहे हैं।

 

 

 

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01 February 2023, 11:24