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बीमार व्यक्ति को आशीष देते संत पापा फ्राँसिस बीमार व्यक्ति को आशीष देते संत पापा फ्राँसिस   (Vatican Media)

विश्व रोगी दिवस हेतु पोप फ्राँसिस का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने ३१वें विश्व रोगी दिवस के लिए अपना संदेश जारी किया है तथा काथलिकों से अपील की कि वे भले समारी के आदर्श को अपनाते हुए रोगियों के प्रति सहानुभूति रखें एवं उनकी देखभाल करें, जब दुनिया उन्हें दरकिनार करती है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, १२ जनवरी २०२३ (रेई) – संत पापा फ्राँसिस ने ३१वें विश्व रोगी दिवस के लिए अपना संदेश जारी किया है तथा काथलिकों से अपील की कि वे भले समारी के आदर्श को अपनाते हुए रोगियों के प्रति सहानुभूति रखें एवं उनकी देखभाल करें, जब दुनिया उन्हें दरकिनार करती है।

कलीसिया जब सिनॉडल रास्ते पर यात्रा कर रही है, पोप फ्राँसिस ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया है कि वे इस सच्चाई पर चिंतन करें कि दुर्बलता एवं बीमारी के अनुभव के द्वारा ही हम, ईश्वर के तरीके से एक साथ आगे चल सकते हैं, और ईश्वर के तरीके हैं – सामीप्य, सहानुभूति और कोमलता। ३१वें विश्व रोगी दिवस के लिए पोप ने अपना संदेश मंगलवार को जारी किया।

काथलिक कलीसिया ११ फरवरी को लूर्द की माता मरियम के पर्व के दिन हर साल विश्व रोगी दिवस मनाती है। इस वर्ष उनके संदेश की विषयवस्तु है “उनकी देखभाल करें: सहानुभूति उपचार का एक सिनॉडल (एक साथ) अभ्यास।” इस विषयवस्तु को संत लूकस रचित सुसमाचार के भले समारी के दृष्टांत से लिया गया है।  

तनाव के कारण महसूस की गई बीमारी अमानवीय

अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने "रोगियों के प्रति करुणा और देखभाल को उपचार के सिनॉडल अभ्यास के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसके लिए ईश्वर हमें बुलाते हैं। यह देखते हुए कि यद्यपि बीमारी हमारी मानवीय परिस्थिति का हिस्सा है, तथापि "देखभाल और करुणा के बिना, तनाव और परित्याग के कारण यदि इसका अनुभव किया जाता है तो यह अमानवीय हो सकता है"।

"घबराहट, बीमारी और कमजोरी का अनुभव मानव यात्रा के हिस्से हैं। ईश्वर के लोगों से अलग करने के बजाय, वे हमें प्रभु के ध्यान के केंद्र में लाते हैं, क्योंकि वे हमारे पिता हैं और वे अपने एक भी बच्चे को खोना नहीं चाहते।”

भले समारी के भाईचारा का संदेश

संत पापा ने संदेश में लिखा है कि अच्छे समारी के दृष्टान्त में डाकुओं द्वारा पीटे और लूटे गए व्यक्ति के "अकेलेपन और परित्याग की स्थिति" आज भी "हमारे बहुत से भाइयों और बहनों" द्वारा अनुभव किये जाते हैं, जो "ऐसे समय में छोड़ दिए जाते हैं जब उन्हें सबसे अधिक "मदद" की आवश्यकता होती है।"

उन्होंने कहा है कि वास्तव में, "येसु के इस दृष्टान्त और आज की दुनिया में भाईचारे को नकारे जानेवाले के कई तरीकों के बीच एक गहरा संबंध है", जिसमें प्रकृति प्रदत्त "मानव जीवन और उसकी गरिमा पर अन्याय और हिंसा के कारण होनेवाले हमलों में फर्क करना आसान नहीं है।”

भला समारी एक अलग कहानी बतलाता है : उस व्यक्ति की कहानी जो अपमानित विदेशी है, किन्तु दया से द्रवित होता और रास्ते पर एक अनजान व्यक्ति की देखभाल करता, उसके साथ एक भाई के रूप में पेश आता है। संत पापा ने कहा कि बिना सोचे ऐसा करते हुए वह एक अंतर लाता है, दुनिया को अधिक भाईचारापू्र्ण बनाता है।

हम सभी कमजोर एवं दुर्बल हैं

"दक्षता की व्यापक संस्कृति" की प्रभुत्ववाली दुनिया में जो हमारी दुर्बलता को दरी के नीचे छिपाकर  दूर करने के लिए प्रेरित करती है, "हमारी मानवीय कमजोरियों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ती", इसलिए कलीसिया भले समारी के सुसमाचारी उदाहरण से प्रेरित होने के लिए आमंत्रित की जाती है, ताकि वह एक सच्चा 'क्षेत्रीय अस्पताल' बन सके, क्योंकि उसका मिशन देखभाल के कार्यों में प्रकट होता है, विशेष रूप से हमारे समय की ऐतिहासिक परिस्थितियों में।

"हम सभी नाजुक और कमजोर हैं, और हमें उस करुणा की आवश्यकता है जो जानती है कि किस तरह रूकना, झुकना, चंगा करना और ऊपर उठाना है। इस प्रकार, बीमारों की दुर्दशा एक पुकार है जो उदासीनता को काटती है और उन लोगों की गति को धीमा कर देती है जो अपने रास्ते पर चलते हैं मानो कि उनकी कोई बहन और भाई नहीं है।"

एक साथ आगे बढ़ना

संदेश में कहा गया है कि जब विश्व रोगी दिवस बीमार लोगों के लिए प्रार्थना करने एवं उनके निकट आने का आह्वान करता है, यह "एक साथ आगे बढ़ने के एक नए तरीके के संबंध में ईश प्रजा, स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और नागरिक समाज के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी लक्ष्य रखता है"। भले समारी के दृष्टांत के अंत में सलाह दी गई है कि किस तरह भाईचारापूर्ण व्यवहार करना है। इसकी शुरूआत आमने-समने मुलाकात से होती है, जिसको व्यवस्थित देखभाल के रूप में विस्तृत किया जा सकता है।  

बुनियादी और आवश्यक स्वास्थ्य सेवा का अधिकार

इस संबंध में, संत पापा फ्राँसिस ने एक "बुनियादी और आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकार की गारंटी देने हेतु रणनीतियों और संसाधनों" की तत्काल आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया है, यह गौर करते हुए कि कोविड-19 महामारी ने "मौजूदा लोगों की कल्याणकारी प्रणाली की संरचनात्मक सीमाओं" को उजागर कर दिया है जबकि "विशेषज्ञता और एकजुटता के महान नेटवर्क पर दबाव डाला है"।

भला समारी सराय के माली से कहता है कि वह उसकी देखभाल करे (लूक १०,३५) येसु वही निमंत्रण हम सभी को देते हैं। वे हमारा आह्वान करते हैं कि हम जाकर उसी के समान कार्य करे। दृष्टांत दिखलाता है कि हम उन पुरूषों और महिलाओं से किस तरह समुदाय का पुनः निर्माण कर सकते हैं जो तिरस्कृत लोगों से समाज के निर्माण करना नहीं चाहते और एक पड़ोसी के रूप में गिरे हुए लोगों को उठाने एवं उन्हें पुनः स्थापित होने में मदद नहीं देते हैं।   

किसी को पीछे न छोड़ें

अपने संदेश को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने फिर से दोहराया कि रोगी "ईश्वर की प्रजा के केंद्र में हैं, और कलीसिया उनके साथ एक मानवता की निशानी के रूप में आगे बढ़ती है जिसमें हर कोई कीमती है और किसी को भी त्यागा या पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए।”

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12 January 2023, 16:47