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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

अगुस्तिनियों से पोप : ‘ख्रीस्त को अपने जीवन के केंद्र में रखें’

संत पापा फ्राँसिस ने प्राइमेशियल कौंसिल ऑफ द कॉन्फेडरेशन कैनन रेगुलर ऑफ सेंट अगस्टीन (अगुस्तीनी) के सदस्यों को प्रोत्साहन दिया है कि वे जो कुछ भी करते हैं उसमें प्रभु की खोज करें, ईश्वर के प्रेम का साक्ष्य दें और सुसमाचार ही उनके जीवन का नियम बने, जब वे भविष्य की ओर अपनी आशा को नवीकृत कर रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 14 जनवरी 2023 (रेई) : संत पापा ने शुक्रवार को सदस्यों से कहा, “अपने जीवन एवं मिशन के केंद्र में ख्रीस्त को रखें तथा जो कुछ भी करते हैं उसमें ईश्वर के प्रेम का साक्ष्य दें।”

संघ की स्थापना 1959 में संत पापा जॉन २३वें के द्वारा किया गया था। अपने सम्बोधन में संत पापा ने याद किया कि समर्पित जीवन जल के समान है, यदि नहीं बहता, तो स्थिर हो जाता है और नमक के समान यदि अपना स्वाद खो देता तो बेकार हो जाता है। उन्होंने अलगाव एवं आत्म-केंद्रित होने के खिलाफ चेतावनी दी और धर्मसमाजियों को प्रोत्साहन दिया कि वे एक साथ काम करें एवं एक-दूसरे की मदद करें।  

“अतीत को महत्व देने का प्रोत्साहन देते हुए," उन्होंने “वर्तमान में पूरी तरह एवं बिना भय जीने की सलाह दी, ताकि वे नवीकृत आशा के साथ भविष्य के लिए खुले हो सकें।"  

संत पापा ने अगुस्तिनियों को बतलाया कि निर्माण करने का उनका एक महान इतिहास रहा है और पवित्र आत्मा उन्हें महान कार्य करने की शक्ति प्रदान करेगा।  

ख्रीस्त मुझमें जीते हैं

संत पापा ने कहा कि धर्मसमाजी जीवन का एक मौलिक नियम है, सुसमाचार में कहे गये ख्रीस्त के वचनों पर चलना।

उन्होंने कहा, “सुसमाचार को जीवन के नियम के रूप में लें, ताकि संत पौलुस के समान कह सकेंगे : ‘मैं नहीं किन्तु ख्रीस्त मुझमें जीते हैं।‘” “सुसमाचार आपकी डायरी हो, ताकि इसे विचारधारा तक सीमित करने के प्रलोभन से बचते हुए, यह आपके लिए हमेशा आत्मा और जीवन बन सके।”

हमारा पहले प्रेम ख्रीस्त हैं

सुसमाचार हमें लगातार याद दिलाता है कि हम अपने जीवन एवं मिशन के केंद्र में ख्रीस्त को रखें।

“यह हमें प्रथम प्रेम में वापस लाता है और ख्रीस्त को प्यार करने का अर्थ है कलीसिया, उसके शरीर को प्यार करना। ईश्वर ने हमें अपने लिए बनाया है और हमारा हृदय तब तक बेचैन रहता है जब तक यह उसमें विश्राम नहीं करता।” अतः सदस्यों से संत पापा ने आग्रह किया कि उनका मुख्य कार्य लगातार एवं हरदिन प्रभु की खोज करना हो।  

प्रभु को खोजने के रास्ते

संत पापा ने प्रभु को खोजने के कई तरीके बतलाये जिनमें मुख्य रूप से सामुदायिक जीवन और पवित्र धर्मग्रंथ का पाठ शामिल है जिनके पन्ने ख्रीस्त एवं कलीसिया की घोषणा करते हैं।

उन्होंने अगुस्तिनियों को निमंत्रण दिया कि वे धर्मविधि में प्रभु की खोज करें, विशेषकर, यूखरिस्त में, जो ख्रीस्तीय जीवन का सार है, साथ ही साथ, वे अध्ययन एवं अपने सामान्य प्रेरिताई में भी उन्हें पाने की कोशिश करें।

प्रभु आलोकित करते

पोप ने उन्हें संत अगुस्टीन के शब्दों को याद रखने के लिए प्रेरित किया ताकि वे स्वयं में प्रवेश कर सकें और अपने भीतर छिपे सत्य की खोज कर सकें। इस प्रकार, संत पापा ने कहा, आंतरिक गुरु का प्रकाश हमारे लिए लौकिक वास्तविकताओं को प्रकाशित करता है।

संत पापा ने प्रार्थना की कि संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ उनकी मुलाकात का यह समय अगुस्तिनियों को अपने कारिज्म पर फिर से विचार करने और अपने समुदाय के भीतर एवं सबसे पहले ईश्वर के साथ घनिष्ठता बढ़ाने में मदद करे।

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने कलीसिया में साक्ष्य देने और उनकी उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद दिया तथा उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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14 January 2023, 15:48