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संत पौल महागिरजाघर में ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह का समापन संत पौल महागिरजाघर में ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह का समापन  (Vatican Media)

ख्रीस्तियों से पोप, युद्ध एवं अन्याय का हर जगह बहिष्कार करें

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह के अंतिम दिन रोम के संत पौल महागिरजाघर में संध्या वंदना का नेतृत्व किया, जहाँ उन्होंने चिंतन किया कि ख्रीस्तीय किस तरह अपनी गलतियों को महसूस करने एवं अपने दृष्टिकोण को बदलते हुए ईश्वर को केंद्र में रखने के लिए बुलाये गये हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पौलुस के मन-परिवर्तन पर्व के अवसर पर संध्या वंदना के दौरान संत पापा ने अपने उपदेश में कहा कि क्रूर हिंसा के सामने प्रभु हमारी उदासीनता और समझदारी की कमी से दुःखी हैं। उन्होंने युद्ध, हिंसा और अन्याय के खिलाफ हर जगह कदम उठाने का आह्वान किया।   

रोम के संत पौल महागिरजाघर में ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह के वार्षिक कार्यक्रम का समापन करते हुए संत पापा ने सभी ख्रीस्तीय समुदायों को निमंत्रण दिया कि वे अपने दृष्टिकोण में बदलाव लायें एवं एकता के रास्ते पर एक साथ आगे बढ़ें “जिसको प्रभु ने हमारे सामने रखा है।”  

संत पापा ने दैनिक पाठ पर चिंतन किया जो मन-परिवर्तन का आह्वान करता है तथा याद दिलाया कि “हम ख्रीस्त में भाइयों और बहनों के रूप में एक साथ आने की खुशी मना रहा है” एक ऐसे समय में जो संकटपूर्ण एवं परेशान करनेवाले समाचारों से भरा है।

"हम शायद समाज की बुराइयों को बाइबिल की निंदा द्वारा आसानी से दूर कर सकते हैं! फिर भी यदि हम इस समय की गहन व्याकुलता के प्रति संवेदनशील हैं, जिसमें हम जी रहे हैं, तो हमें इस बात के प्रति और भी अधिक चिंतित होना चाहिए कि प्रभु जिनके लिए हम जीते हैं, उनके लिए दुःख का कारण क्या है।”

“चूँकि हम उन्हीं के नाम पर जमा हुए हैं, हम चीजों के केंद्र में उनके शब्दों को रखे बिना नहीं रह सकते।”

भलाई करो, न्याय खोजो

ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की विषयवस्तु थी, “भलाई करो; न्याय की खोज करो”। संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमें बुराई को त्यागने एवं मन-परिवर्तन करने हेतु चेतावनी देते हैं।

उन्होंने कहा, “चेतावनी और मन-परिवर्तन दो शब्द हैं जिनपर मैं इस संध्या आपके साथ चिंतन करना चाहता हूँ।”

नबी इसायस की भविष्यवाणी को लेते हुए संत पापा ने कहा कि प्रभु होम या चढ़ावा नहीं चाहते बल्कि चाहते हैं कि गरीब को मदद मिले, अनाथ को न्याय मिले, विधवा की समस्याओं पर ध्यान दिया जाए।”  

संत पापा ने कहा कि ईश्वर दुखित होते हैं जब हम जो विश्वासी कहलाते, लेकिन उनके सामने चीजों को देखने के अपने ही तरीकों को रखते हैं, जब हम स्वर्ग के बदले दुनिया के न्याय का अनुसरण करते, जब हम बाह्य धार्मिक क्रिया-कलापों पर ध्यान देते जबकि जिनकी हमें चिंता करनी है उनके लिए उदासीन रहते।”  

“ईश्वर हमारी उदासीनता एवं समझदारी की कमी से दुखित होते हैं।”

इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि एक दूसरा और सबसे गंभीर कारण है जो सर्वशक्तिमान को दुःख देता है वह है पवित्र वस्तुओं को अपवित्र करनेवाली हिंसा। "हम कल्पना कर सकते हैं कि खुद को ईसाई कहनेवालों द्वारा किए गए युद्धों और हिंसा के कृत्यों को उन्होंने कितनी पीड़ा के साथ देखा होगा।" प्रभु की चेतावनी एक ख्रीस्तीय और एक ख्रीस्तीय समुदाय के रूप में हमें सोचने के लिए प्रेरित करती है।

हमारे लिए कोई बहाना नहीं

उन्होंने कहा, “मैं आज फिर एक बार कहना चाहता हूँ कि अपनी विकसित आध्यात्मिकता एवं ईशशास्त्र के द्वारा हमारे पास कोई बहाना नहीं है।” फिर भी, ऐसे लोग हैं जो संकीर्ण और हिंसक राष्ट्रवाद, जेनोफ़ोबिया और अवमानना ​​​​एवं यहाँ तक ​​​​कि अलग-अलग लोगों के साथ दुर्व्यवहार का समर्थन करने के लिए अपने विश्वास से प्रोत्साहन या अनुमति महसूस करते हैं।

उन्होंने कहा, “विश्वास, को "इन प्रवृत्तियों के सामने एक महत्वपूर्ण भावना बनाए रखना और जब भी वे अपना सिर पीछे करते हैं, तत्काल प्रतिक्रिया देनी चाहिए।"

ईश्वर के साथ सब कुछ संभव

संत पापा ने आगे कहा कि हमारी गलतियों को पहचानने के बाद, प्रभु हमें उनका समाधान करने के लिए कहते हैं।

"ईश्वर को समझने में हमारी विफलता और हमारे अंदर छिपी हिंसा के कारण, हम स्वयं को मुक्त करने में असमर्थ हैं, ईश्वर के बिना, उनकी कृपा के बिना, हम अपने पापों से चंगे नहीं हो सकते।"

"ईश्वर की कृपा हमारे परिवर्तन (...) का स्रोत है। हम अपने आप से सफल नहीं हो सकते, लेकिन ईश्वर के साथ, सब कुछ संभव है।"

उन्होंने इस बात पर भी चिंतन किया कि किस प्रकार मन-परिवर्तन, सामुदायिक और कलीसियाई है, और उन्होंने सभी ख्रीस्तीयों को एक साथ, दृष्टिकोण में बदलाव के लिए खुला होने हेतु आमंत्रित किया।

उन्होंने कहा कि विश्व में सभी ख्रीस्तीय पवित्र आत्मा के द्वारा एक हो सकते हैं जैसा कि संत जॉन ख्रीस्तोस्तोम लिखते हैं- 'जो रोम में रहते हैं वे जानते हैं कि भारत में वे एक ही शरीर के अंग हैं'।

अंततः संत पापा ने काथलिक कलीसिया की सिनॉडल यात्रा में भाग लेने के लिए अपना आभार प्रकट किया। उन्होंने निमंत्रण दिया कि प्रार्थना, सेवा, संवाद में भाग लेने एवं ख्रीस्तीय एकता, जैसा प्रभु चाहते हैं उसके लिए एक साथ काम करने के द्वारा वे आगे बढ़ते रहें। संत पापा ने समारोह में उपस्थिति विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय के सदस्यों को धन्यवाद दिया।

अंत में, उन्होंने कहा, "हम सब मिलकर उस मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं जिसको प्रभु ने हमारे सामने रखा है, एकता का मार्ग।"

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26 January 2023, 15:08