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 रोम में पोंटिफिकल नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज के पुरोहितों, उपयाजकों, सेमिनारियों और कर्मचारियों के साथ संत पापा फ्राँसिस रोम में पोंटिफिकल नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज के पुरोहितों, उपयाजकों, सेमिनारियों और कर्मचारियों के साथ संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

संत पापा ने पुरोहितों को सुसमाचार के नबीय गवाह बनने हेतु प्रोत्साहित किया

संत पापा फ्राँसिस रोम में पोंटिफिकल नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज के पुरोहितों, उपयाजकों, सेमिनारियों और कर्मचारियों का वाटिकन में स्वागत कर उन्हें प्रभु के साथ निरंतर संवाद, कलीसिया में एकता और सबसे जरूरतमंदों की सेवा करके समाज में मिशनरी शिष्य बनने के लिए आमंत्रित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 14 जनवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में रोम में पोंटिफिकल नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज के पुरोहितों, उपयाजकों, सेमिनारियों और कर्मचारियों से मुलाकात की। संत पापा ने रोम में अध्ययन करने वाले भविष्य के अमेरिकी पुरोहितों को प्रभु के साथ "निरंतर संवाद" विकसित करने, कलीसिया में एकता को बढ़ावा देने और विशेष रूप से जरूरतमंद लोगों के लिए ईश्वर के प्रेम के सुसमाचार को लाने वाले भविष्यवक्ता बनने हेतु प्रोत्साहित किया।

एक "सिनॉडल यात्रा"

अपने संबोधन का परिचय देते हुए, संत पापा ने एक "सिनॉडल यात्रा" के रूप में उनके प्रशिक्षण और पुरोहिताई की तैयारी पर प्रकाश डाला, जिसमें उन्हें पवित्र आत्मा और एक दूसरे को सुनने के लिए बुलाया जाता है, ताकि यह पता चल सके कि ईश्वर के लोगों की मदद कैसे की जाए। उनकी सहभागिता के उपहार को जीएं और मिशनरी शिष्य बनें।”

संत पापा फ्राँसिस ने पुरोहिताई प्रशिक्षण के लिए आवश्यक संवाद, सहभागिता और मिशन तीन तत्वों पर अपना चिंतन साझा किया, जिसे संत योहन के सुसमाचार 1:35-42 में देखा जा सकता है। योहन बपतिस्ता के दो चेले अंद्रेयस और एक अन्य, येसु से मिलते हैं उनके साथ रहते हैं और उनके बारे में सिमोन पेत्रुस से कहते हैं।

संवाद

संत पापा ने कहा, कि पहला तत्व संवाद है। संत अंद्रेयस और संत सिमोन पेत्रुस की तरह, उनके सेमिनरी प्रशिक्षण के दौरान, प्रभु उनके साथ एक "व्यक्तिगत संवाद" में प्रवेश करते हैं, पूछते हैं कि वे क्या ढूंढ रहे हैं और उन्हें "आओ और देखो", बोलने के लिए आमंत्रित करें। उनके साथ उनके दिल से और "अपने आप को विश्वास और प्रेम में विश्वास के साथ उन्हें दे दें"। उन्होंने कहा, इसमें "येसु के साथ एक दैनिक संबंध" को बढ़ावा देना शामिल है, "विशेष रूप से प्रार्थना द्वारा, ईश्वर के वचन पर ध्यान, आध्यात्मिक संगत की मदद और पवित्र संदूक के सामने मौन में उन्हें सुनना" शामिल है।

सहभागिता

पुरोहिताई प्रशिक्षण में दूसरा मूलभूत तत्व सहभागिता है, "पहले ईश्वर के साथ और उन लोगों के साथ भी जो मसीह के शरीर, कलीसिया में एक साथ जुड़े हुए हैं। संत पापा फ्राँसिस ने रोम में प्रशिक्षण के दौरान, उन्हें "कलीसिया की एकता के रहस्य को वैध विविधता में प्रकट होने के बावजूद विश्वास की एकता में रहने" और "कलीसिया द्वारा व्यक्त किए जाने वाले नबी के रुप में प्रेम की गवाही" दोनों के लिए अपनी आँखें खुली रखने हेतु आमंत्रित किया। वे ज़रूरतमंदों की देखभाल के ठोस कार्यों को करें ताकि वे “भाईचारे का प्यार जो हमारे पड़ोसी की भव्यता को देखने, हर इंसान में ईश्वर को खोजने और आम जीवन की परेशानियों को सहन करने में सक्षम हो सकें।” (इवांजेली गौदियुम, 92)

गरीबों की सेवा का मिशन

अंत में, संत पापा फ्राँसिस तीसरे तत्व मिशन पर प्रकाश डाला, जो दूसरों के लिए येसु के सुसमाचार को लाना है, विशेष रूप से कमजोर और समाज के हाशिये पर। उन्होंने कहा, "आजकल हमें उनके प्रश्नों, चिंताओं और सपनों को सुनने की आवश्यकता है ताकि हम उन्हें ईश्वर की ओर बेहतर ढंग से ले जा सकें, जो आशा को फिर से जगाते हैं और सभी के जीवन को नवीनीकृत करते हैं।"

अपने संबोधन को समाप्त करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना की कि रोम में अध्ययन के उनके अनुभव और पोंटिफिकल नॉर्थ अमेरिकन कॉलेज में उनकी शिक्षा उन्हें "ईश्वर के प्रति विश्वासयोग्य प्रेम और भाइयों एवं बहनों के प्रति विनम्र सेवा" में बढ़ने में सक्षम बनाएगी।

 

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14 January 2023, 16:33