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इटली के राष्ट्रीय संघ के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस इटली के राष्ट्रीय संघ के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस  (ANSA)

पोप : हम हरेक अपने दैनिक जीवन में शांति का साक्ष्य दें

संत पापा फ्राँसिस विकलांग पूर्व सैनिकों और सिविल सेवकों के लिए इटली के राष्ट्रीय संघ के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने उन्हें "समाज में शांति के लिए एक ताकत बनने के लिए प्रोत्साहित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 21 जनवरी 2023 (रेई) – विकलांग पूर्व सैनिकों और सिविल सेवकों के लिए इटली के राष्ट्रीय संघ एक गैर-लाभकारी संगठन है जो क्षेत्रीय एवं प्रांतीय कार्यालयों के साथ पूरे देश में मौजूद है। संघ उन सभी लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है, जो राज्य और स्थानीय, क्षेत्रीय और संस्थागत निकायों द्वारा नियोजित हैं, जिन्हें सेवा में और सैन्य एवं सिविल सेवा के कारण अंगभंग और दुर्बलता का सामना करना पड़ रहा है।

प्रार्थना में एकजुट

संत पापा ने कहा, “आप का संघ एक सामाजिक अर्थ देने के लिए प्रतिबद्ध है, उन लोगों को जिन्हें व्यक्तिगत रूप से, एक नकारात्मक अनुभव हुआ है, हरेक ने अलग-अलग परिस्थितियों में एक सीमा का सामना किया है। यह आयाम एक महान नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्य है। यह हरेक व्यक्ति को अपने आपमें बंद नहीं रहने, अपनी परिस्थिति से ऊपर उठने, मुलाकात, बांटने एवं एकात्मता के लिए खुला होने का आह्वान है। और यह एक महान परिवर्तन ला सकता है।”   

संत पापा ने शारीरिक कठिनाई को सकारात्मक रूप में स्वीकार करने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, “सीमा, जो भार ढोना है वह बना रहेगा, वह समाप्त नहीं होगा लेकिन एक सकारात्मक अर्थ प्रदान करेगा, अपनी स्थिति के सामने घटाव चिन्ह के बदले एक जोड़ चिन्ह लगायें। और इसे एक साथ मिलकर किया जा सकता है क्योंकि हम एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।”

शांति निर्माता बनने हेतु बुलावा

नकारात्मक से सकारात्मक मनोभाव अपनाने का महत्व बतलाते हुए संत पापा ने कहा कि नकारात्मक से सकारात्मक में बदलना येसु ख्रीस्त के रहस्य का एक मुख्य आयाम है। येसु ने ईश्वर के प्रेम की शक्ति से, बुराई को अच्छाई में बदल दिया, न केवल सैद्धांतिक रूप में बल्कि खुद अपने व्यक्तिगत अनुभव, अपने शरीर के द्वारा।

उन्हें जो बुराई सहना पड़ा उसकी पराकाष्ठा, क्रूस पर दुःखभोग और मृत्यु थी, जिसको उन्होंने हमारे लिए मुक्ति बलिदान के रूप में बदल दिया। पिता के प्रेम और करुणा को येसु ने यूखरिस्त द्वारा ठोस रूप दिया। उन्होंने अपने शिष्यों के लिए अपने बलिदान का संस्कार छोड़ दिया है। जिसके माध्यम से उन्होंने बुराई को अच्छाई में, घृणा को प्रेम में और हिंसा को चंगाई में बदल दिया है। संत पापा ने येसु के इस मनोभाव को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दोनों रूपों में अपनाने की सलाह दी।  

संत पापा ने शारीरिक रूप से विकृति के शिकार लोगों की शांति निर्माण हेतु प्रतिबद्धता पर गौर करते हुए कहा, “मुझे पता है कि आप में से कुछ लोगों के लिए विकलांगता का कारण एक शांति मिशन, या सार्वजनिक व्यवस्था और वैधता के लिए एक सेवा की पूर्ति से जुड़ा है। यह आपके संघ की नैतिक विरासत को समृद्ध करता है।”

किन्तु संत पापा ने याद दिलाया कि शांति निर्माण का कार्य सभी लोगों का है, चाहे हम किसी भी पृष्टभूमि में क्यों न हों। येसु ने पर्वत प्रवचन में कहा है, “धन्य हैं वे जो मेल कराते हैं वे ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे।” (मती. 5:9)

प्रेम की शक्ति

संत पापा ने वर्तमान में जारी युद्ध की याद करते हुए कहा कि युद्ध जो एक अजेय राक्षस के समान लग रहा है हम उसे समाप्त करने के लिए प्रार्थना के अलावा क्या कर सकते है?  उन्होंने कहा कि हम अपने प्रतिदिन के जीवन में हर प्रकार की हिंसा एवं शोषण को दूर कर, युद्ध को रोकने में सहयोग दे सकते हैं। जो आसान नहीं है क्योंकि कभी-कभी एक शब्द ही किसी भाई या बहन को दुःख देने अथवा मार डालने के लिए काफी होता है।

संत पापा ने कहा कि इस तरह संघ समाज में शांति स्थापित करने का एक ताकत बन सकता है और संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान करने में सहयोग दे सकता है। वह सार्वजनिक हित की खोज कर सकता है एवं उन लोगों की ओर ध्यान खींच सकता है जो कम सुरक्षित हैं।

संत पापा ने संघ को धन्यवाद देते हुए प्रोत्साहन दिया कि वे अपनी यात्रा में आगे बढ़ें। तथा ईश्वर से प्रार्थना करते हुए उनपर तथा उनके परिवारों पर ईश्वर की आशीष की कामना की।

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21 January 2023, 16:10