बेनेडिक्ट 16 वें के अन्तयेष्टि याग में सन्त पापा का प्रवचन
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 05 जनवरी सन् 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्रागँण में, गुरुवार, 5 जनवरी 2023 को, गहन कोहरे को काटते हुए निकलते सूर्य की रोशनी में, सेवानिवृत्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की अन्तयेष्टि सम्पन्न की गई। सन्त पापा फ्राँसिस की अध्यक्षता में सम्पन्न अन्तयेष्टि याग में तमाम विश्व के कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों सहित कई राष्ट्राध्यक्षों, राष्ट्र प्रतिनिधियों तथा देश-विदेश के लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यूरोप तथा अन्य महाद्वीपों के अनेक राष्टों में अन्तयेष्टि याग का सीधा प्रसारण किया गया।
पूर्ण समर्पण
"हे पिता! मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ" (लूक. 23: 46), सन्त लूकस रचित सुसमाचार से लिये प्रभु येसु ख्रीस्त के इन शब्दों से सन्त पापा फ्राँसिस ने अन्तयेष्टि याग के दौरान अपना प्रवचन आरम्भ करते हुए बेनेडिक्ट 16 वें के विषय में कहा: … "प्रभु येसु मसीह द्वारा क्रूस पर उच्चरित ये शब्द उनके सम्पूर्ण जीवन का सार थाः पिता ईश्वर के हाथों में अनवरत आत्म समर्पण। उनके हाथ क्षमा और करुणा, चंगाई और दया, अभिषेक और आशीष के हाथ थे, जिसके कारण उन्होंने खुद को अपने भाइयों और बहनों के ख़ातिर अर्पित कर दिया।
प्रभु येसु, उन व्यक्तियों और उनकी कहानियों के प्रति उदार रहे जिनका उन्होंने रास्ते में साक्षात्कार किया, उन्होंने स्वतः को ईश पिता की इच्छानुसार ढलने दिया। उन्होंने सुसमाचार के अनुकूल समस्त परिणामों और कष्टों को अपने कंधों पर लिया, यहाँ तक कि प्रेम के ख़ातिर अपने हाथों को बेधते हुए देखा। सन्त थॉमस से और हम सबसे प्रभु येसु कहते हैं, मेरे हाथों को देखो, छेदे हुए हाथ जो अनवरत हम तक पहुँचते रहते हैं तथा जैसा कि सन्त योहन अपने सुसमाचार में लिखते हैं, हमें हमारे प्रति ईश्वर के प्रेम को स्वीकार करने तथा उनमें विश्वास करने के लिये आमंत्रित करते हैं (दे. 1 योहन 4: 6)।
येसु के मनोभावों के अनुकूल
"हे पिता! मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ" । यह वह आमंत्रण और जीवन का कार्यक्रम है जिसका सम्पादन प्रभु हमारे आभ्यन्तर में प्रेरित करते हैं। एक कुम्हार की तरह (देखिये इसायाह 29:16), वे हर पुरोहित के हृदय को आकार देना चाहते हैं, जब तक कि वह अपने मनोभावों को येसु मसीह के मनोभावों के अनुकूल न बना लें (देखिये, फिलिप्पियो. 2:5)। प्रभु और उनके लोगों की सेवा में कृतज्ञ भक्ति में संलग्न, अनुग्रहपूर्ण उपहार के लिए धन्यवाद ज्ञापन से उत्पन्न सेवा: ईश्वर फुसफुसाते हैं, "तुम मेरे हो ... तुम उनके हो, तुम मेरे हृदय के संरक्षण में हो।" मेरे हाथों में रहो और तुम्हारा हाथ मुझे दे दो”।
सन्त पापा ने कहा, ... "यहाँ हम ईश्वर की "कृपालुता" और उनके सामीप्य को देखते हैं, जो स्वयं को अपने शिष्यों के नाजुक हाथों में सौंपने के लिए तैयार हैं, ताकि वे अपने लोगों को तृप्त कर सकें और उनके साथ कह सकें: लो और खाओ, लो और पियो, क्योंकि यह मेरा शरीर है जो तुम्हारे लिए दिया जा रहा है (दे. लूक 22:19)।
बेनेडिक्ट 16 वें सच्चे मेषपाल
सेवानिवृत्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की ईश भक्ति एवं उनके उत्कृष्ट गुणों को याद कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, ... "प्रार्थनापूर्ण भक्ति में संलग्न, मौन रूप से संरचित तथा चुनौतियों और प्रतिरोध के बीच परिष्कृत होती भक्ति का सामना हर मेषपाल को (दे. पेत्रुस 1 6-7) ईश आज्ञा का पालन करते हुए और उनमें विश्वास की अभिव्यक्ति करते हुए अपने रेवड़ को खिलाने के लिये करना पड़ता है (दे. योहन 21:17)। एक मालिक एवं स्वामी की तरह, एक पुरोहित और मेषपाल भी मध्यस्थता और अपने लोगों का अभिषेक करने का भार वहन करता है, विशेष रूप से, उन स्थितियों में जहां अच्छाई को जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और हमारे भाइयों और बहनों की प्रतिष्ठा खतरे में पड़ जाती है (दे, हिब्रू 5:7-9)। इस मध्यस्थता के दरम्यान, प्रभु, मौन रूप से, उसमें विनम्रता की भावना का संचार करते हैं जो समझने, स्वीकार करने, आशा करने और जोखिम उठाने के लिए तैयार रहती है, भले ही वह कितनी भी ग़लतफहमियों का ही परिणाम क्यों न हो। यह किसी अनदेखे और मायावी फल का स्रोत है, जो उस व्यक्ति को जानने से उत्पन्न हुआ है जिस पर उसने अपना भरोसा रखा है" (दे. 2 तिमोथी 1:12)।
सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि बेनेडिक्ट 16 वें का भरोसा प्रार्थना और आराधना से उत्पन्न भरोसा था, यह समझने में सक्षम कि एक मेषपाल से क्या उम्मीद की जाती है, तथा यह कि उसके मनोभावों एवं उसके निर्णयों को ईश्वर, अच्छे समय के अनुसार, आकार देने में सक्षम हैं (दे, योहन 21:18): 24 अप्रैल 2005 को, उनके परमाध्यक्षीय काल के आरम्भ में बेनेडिक्ट 16 वें के प्रवचन के शब्दों के अनुसार, "भोजन देने का अर्थ है प्रेम करना, और प्रेम करने का अर्थ है कष्ट सहने के लिए भी तैयार रहना। प्यार करने का अर्थ है अपनी भेड़ को वह देना जो वास्तव में अच्छा है, ईश्वर के सत्य का, ईश्वर के वचन का, और ईश्वर की उपस्थिति का पोषण प्रदान करना”।
पुरोहित अथवा मेषपाल के मिशन में आगे-आगे चलनेवाले पवित्रआत्मा की सांत्वना से पोषित भक्ति में संलग्न। सुसमाचार के सौन्दर्य और आनंद को संप्रेषित करने के भावुक प्रयास में (दे. गाओदेते एज़ुलताते, 57)। उन सब लोगों की फलप्रद गवाही में, जो मरियम के सदृश, कई तरह से क्रूस तले प्रभु चरणों में खड़े रहते हैं। कष्टकर, तथापि, सुदृढ़ शांति में जो न तो हमला करती है और न ही जबरदस्ती। हठीली लेकिन धैर्यवान आशा में कि प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के प्रति वफादार रहेंगे, उस प्रतिज्ञा के प्रति जो उन्होंने हमारे पूर्वजों और उनके वंशजों से की थी (दे. लूक 1:54-55)।
बेनेदिक्ट येसु के विश्वासयोग्य मित्र
सन्त पापा ने कहा, "प्रभु येसु के अंतिम शब्दों और उनके पूरे जीवन की गवाही को थामे हुए, हम भी, एक कलीसियाई समुदाय के रूप में, उनके पद चिन्हों पर चलना चाहते हैं और अपने भाई को पिता के हाथों सौंपना चाहते हैं। ईश्वर के दयालु हाथ उनके दीपक को सुसमाचार के तेल से प्रज्ज्वलित पायें जिसका उन्होंने प्रचार-प्रसार किया तथा जिसका अपने सम्पूर्ण जीवन के दौरान महान साक्ष्य प्रदान किया" (दे. मत्ती 25:6-7)।
03 सितम्बर 590 ई. से 12 मार्च 604 ई. तक काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष रहे सन्त पापा ग्रेगोरी महान का स्मरण कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "अपने परमाध्यक्षीय काल के अन्त में, सन्त ग्रेगोरी महान ने एक मित्र से आग्रह किया कि वह उन्हें आध्यात्मिक संगत प्रदान करें: "वर्तमान जीवन के जहाज़ की तबाही के बीच, मुझे बनाए रखें, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं, आपकी प्रार्थना के फलक से, चूंकि मेरा अपना वजन मुझे नीचे गिराता है, आपकी योग्यता का हाथ मुझे ऊपर उठाएगा।” यहां हम एक पुरोहित या मेषपाल की जागरूकता को देखते हैं जो बोझ वह अकेले नहीं ढो सकता, वस्तुतः, जिसे वह कभी अकेला नहीं ढो पाता, उसे वह इस प्रकार उसके सिपुर्द किये गये लोगों की प्रार्थनाओं और देखभाल के सिपुर्द कर देता है। यहां एकत्रित हुए ईश्वर के विश्वासयोग्य लोग अब उसके साथ जाते हैं और ईश्वर के समक्ष उस व्यक्ति का जीवन सौंपते हैं जो उनके मेषपाल थे। मसीह की कब्र पर मौजूद महिलाओं के सदृश, हम भी कृतज्ञता की ख़ुशबू और आशा का सुगन्धित मरहम लेकर आए हैं, ताकि उनके प्रति एक बार फिर अपना प्रेम प्रदर्शित कर सकें, प्रेम जो कभी मरता नहीं सदैव अमर रहता है। हम इसे उसी ज्ञान, कोमलता और समर्पण के साथ करना चाहते हैं, जैसा कि वर्षों के अन्तराल में उन्होंने हमें सिखाया। एक साथ मिलकर हम कहना चाहते हैं, "ईशपिता, हम उनकी आत्मा को आपके हाथों के सिपुर्द करते हैं"।
बेनेदिक्ट, दूल्हे येसु के विश्वासयोग्य मित्र, अन्ततः आपका आनन्द प्रभु की आवाज़ सुनने में परिपूर्ण हो, अभी और सदा-सर्वदा के लिए!"
इस मंगलयाना से सन्त पापा फ्राँसिस ने दिवंगत आत्मा सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें को भावभीनी श्रद्धान्जलि अर्पित कर अपना प्रवचन समाप्त किया।
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