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परमधर्मपीठीय उर्बान सेमिनरी के समुदाय के साथ संत पापा फ्राँसिस परमधर्मपीठीय उर्बान सेमिनरी के समुदाय के साथ संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

परमधर्मपीठीय उर्बान सेमिनरी के छात्रों से संत पापाः संवाद के सच्चे गवाह बनें

संत पापा फ्राँसिस ने विश्वास के प्रचार के लिए बने परमधर्मपीठीय उर्बान सेमिनरी के समुदाय से मुलाकात की और छात्रों को संवाद और भाईचारे के प्रामाणिक और निवर्तमान मिशनरी बनने के लिए प्रोत्साहित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 21 जनवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : शनिवार 21 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के कोनचिस्तोरो भवन में पोंटिफिकल उर्बान सेमिनरी के वरिष्ठों, कार्यरत कर्मचारियों और गुरुकुल के छात्रों के साथ मुलाकात की। संत पापा ने फादर रेक्टर को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने सभी प्रशिक्षकों और सभी छात्रों को बधाई दीऔर कहा, “उर्बान सेमिनरी के छात्रों के रूप में आप एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा की जीवित धारा का हिस्सा हैं, जिसे सन् 1627 में संत पापा उर्बान अष्टम ने तथाकथित "मिशन" के लिए पुरोहितों के प्रशिक्षण हेतु रोम में एक सेमिनरी स्थापित करने का निर्णय लिया था, जो आज भी इसकी वैधता को बरकरार रखता है।

नई मिशनरी चुनौतियों का सृजनात्मकता के साथ सामना करना

संत पापा ने कहा कि वे यहाँ प्रशिक्षण पाने और रचनात्मक तरीके से व्याख्या करने के लिए बुलाये गये हैं, जिससे वे वर्तमान समय की कई जरूरतों और सवालों से खुद को चुनौती दे सकें। वास्तव में, आज पूरी कलीसिया "प्रेरितिक और मिशनरी मनपरिवर्तन" के लिए और भविष्य के पुरोहितों के प्रशिक्षण के लिए भी बलाई गई है। इस परिप्रेक्ष्य में आप कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा और मददगार हो सकते हैं।

इस वर्ष, सुसमाचार प्रचार हेतु गठित धर्मसंध की चार सौवीं वर्षगांठ,के अवसर पर संत पापा ने  हर मिशन के आध्यात्मिक स्रोत के रूप में येसु के साथ रहने और व्यक्तिगत संबंध को मजबूत बनने हेतु प्रेरित किया। संत पापा ने शुरुआती प्रशिक्षण के दौरान ध्यान रखने और मिश्नरी-शिष्य बनने की महत्वपूर्ण विशेषताओं पर ध्यान आकर्षित कराया।

विश्वसनीय मिशनरी होने के लिए प्रामाणिकता का साहस

संत पापा ने कहा कि शिष्य मिश्नरी बनने पहली विशेषता है प्रामाणिकता का साहस। हमें ईश्वर और हमारे भाइयों और बहनों के प्रति हमारी निकटता को उस हद तक मजबूत करना है कि हम मुखोटों के बिना दूसरों को अपना परिचय दे सकें।  हम "हृदय की ईमानदारी और विनम्रता विकसित करें, जो हमें हमारी आंतरिक नाजुकता और कमजोरी पर ईमानदारी के साथ नज़र डालने का साहस प्रदान करे।"  हमें याद रखना चाहिए कि हम विश्वसनीय मिशनरी हैं। सादगी और ईमानदारी हमारे जीने की शैली होनी चाहिए। संत पापा ने छात्रों को फरीसियों की तरह "औपचारिकता के प्रलोभन" या "पद" के आकर्षण के खिलाफ चेतावनी दी।

खुद से बाहर जाना

एक दूसरी विशेषता है खुद से बाहर जाने की क्षमता। विश्वास का जीवन एक निरंतर "पलायन" है, हमारी मानसिक योजनाओं से बाहर निकलना, हमारे डर के घेरे से, हमें आश्वस्त करने वाली छोटी-छोटी निश्चितताओं से बाहर निकलना, अन्यथा हम एक ऐसे ईश्वर की पूजा करने का जोखिम उठाते हैं जो केवल हमारी जरूरतों का एक प्रक्षेपण है और इसलिए एक "मूर्ति" और यहां तक ​​कि दूसरों के साथ प्रामाणिक मुलाकातों का अनुभव भी नहीं करता है। इसके बजाय, हमें अपने आप से बाहर निकलने के जोखिम को स्वीकार करना है, जैसा कि इब्राहीम, मूसा और गलील के मछुआरों ने गुरु का अनुसरण करने के लिए किया था।

शांति के निर्माण हेतु संवाद के लिए खुलापन

अंत में,संत पापा ने कहा कि मिशनरी-शिष्य की एक अंतिम महत्वपूर्ण विशेषता है संवाद के लिए खुलापन। सबसे पहले प्रार्थना में ईश्वर के साथ संवाद करना, जो उनका स्वागत करना, हमारे अहंकार का पलायन भी है, क्योंकि वे हम में बोलते हैं और हमारी आवाज सुनते हैं और फिर भाईचारे की बातचीत के लिए, दूसरे के सामने हम अपने को खोलते हैं।

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21 January 2023, 15:02