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संत पापा फ्राँसिस धर्मशिक्षा देते हुए संत पापा फ्राँसिस धर्मशिक्षा देते हुए  

आमदर्शन समारोह में पोप : हर दिन कृपा का समय है

संत पापा फ्राँसिस ने 25 जनवरी के आमदर्शन समारोह में प्रेरितिक उत्साह पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ाते हुए विश्वासियों को बतलाया कि जो लोग ख्रीस्त का अनुसरण करते हैं उनके लिए हरेक दिन कृपा का समय एवं एक नया अवसर है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 25 जनवरी 2023 (रेई) : संत पापा ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम सभागार में एकत्रित, सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पिछले बुधवार को हमने येसु की उदघोषणा के मॉडल पर चिंतन किया था, उनके प्रेरितिक हृदय पर, जो हमेशा दूसरों तक पहुँचता है। आज हम उन्हें उद्घोषणा के एक गुरू के रूप में देखेंगे। आइये, हम उस घटना से प्रेरित हों जिसमें वे अपने गाँव नाजरेथ के सभागृह में शिक्षा देते हैं। येसु नबी इसायस के ग्रंथ से एक पाठ पढ़ते हैं  (इसा. 61:1-2) और उसके बाद अपने छोटे उपदेश से सभी को विस्मित कर देते हैं। वे कहते हैं, “धर्मग्रंथ का यह कथन आज आप लोगों के समने पूरा हो गया है।" (लूक. 4:21) इसका अर्थ है कि उस भविष्यवाणी में येसु के लिए सार तत्व निहित है जिसमें वे अपने बारे बतलाना चाहते हैं। अतः जब कभी हम येसु के बारे बात करना चाहते हैं, तब हमें उनकी प्रथम घोषणा में वापस लौटना चाहिए। संत पापा ने सार तत्वों पर प्रकाश डालते हुए कहा, पहला तत्व है आनन्द।

सुसमाचार का प्रचार सिर्फ आनन्द से किया जा सकता

येसु घोषणा करते हैं, “प्रभु का आत्मा मुझपर छाया रहता है।...उसने मुझे भेजा है जिससे कि मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ।”(पद 18) संत पापा ने कहा, “आनन्द बगैर येसु के बारे नहीं बोला जा सकता क्योंकि विश्वास एक अनोखी प्रेम कहानी है जिसे बतलाया जाना है। येसु का साक्ष्य देने का अर्थ है उनके नाम पर दूसरों के लिए कुछ करना, उसे वही व्यक्ति कर सकता है जिसने अपने जीवन में सुन्दर वरदानों को प्राप्त किया है और जिन्हें व्यक्त करने के लिए सिर्फ शब्द पर्याप्त नहीं हैं।” इसके विपरीत जब आनन्द घट जाता है, तब सुसमाचार का प्रचार नहीं किया जा सकता क्योंकि सुसमाचार का अर्थ ही है आनन्द के समाचार की घोषणा।

संत पापा ने कहा कि एक उदास ख्रीस्तीय, सुन्दर चीजों पर बात कर सकता है लेकिन सब बेकार है क्योंकि वह जो समाचार देते वह आनन्दरहित है।

लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

साहसपूर्ण आनन्द, एक नया जीवन

दूसरा तत्व : मुक्ति। येसु कहते हैं कि वे “बंदियों को मुक्त करने के लिए भेजे गये हैं।” इस का अर्थ है कि जो व्यक्ति ईश्वर की घोषणा करता है वह धर्मांतरण नहीं कर सकता, दूसरों पर दबाव नहीं डालता लेकिन उन्हें मुक्त करता है। वह लोगों पर भार नहीं डालता लेकिन उनके भार को हल्का करता है, उनके बीच शांति लाता, दोष भावना नहीं। निश्चय ही येसु का अनुसरण करने में वैराग्य और त्याग शामिल हैं, हालांकि, जो लोग ख्रीस्त का साक्ष्य देते हैं वे यात्रा के कठिन परिश्रम से बढ़कर लक्ष्य की सुन्दरता को देखते हैं। जब हम अपनी किसी सुखद यात्रा के बारे बतलाते तब हम स्थान की मनमोहकता की चर्चा करते, जिसको हमने देखा और अनुभव किया है, लेकिन एयर पोर्ट में घुसने एवं पंक्ति में खड़े होने की बात नहीं करते। उसी प्रकार, मुक्तिदाता के अनुरूप घोषणा में मुक्ति की घोषणा होनी चाहिए।

तीसरा तत्व है : प्रकाश। येसु कहते हैं कि वे “अंधों को दृष्टिदान” का संदेश देने आये हैं। यह गौर करनेवाली बात है कि पूरे बाईबिल में येसु से पहले कोई भी अंधा चंगा नहीं हुआ था। वास्तव में यह एक प्रतिज्ञा का चिन्ह है जो मसीह के साथ आनेवाला था। लेकिन यह सिर्फ शारीरिक दृष्टि नहीं है बल्कि एक ऐसा प्रकाश है जो जीवन को एक नये तरीके से देखने के लिए खोलता है। संत पापा ने कहा कि प्रकाश का आना, पुनःजन्म लेना सिर्फ येसु के साथ हो सकता है। यदि हम गौर करें तो हमारे लिए एक ख्रीस्तीय जीवन इसी तरह शुरू होता है, बपतिस्मा के द्वारा, जिसको प्राचीन काल में "प्रबोधन" (एनलाईटनमेंट) कहा जाता था। येसु हमें किस प्रकार की दृष्टि प्रदान करते हैं? वे पुत्रत्व की दृष्टि प्रदान करते हैं : वे पिता के प्रिय पुत्र हैं, अमर हैं और उनके साथ हम भी ईश्वर के प्रिय संतान हैं, हमेशा प्यार किये जाते हैं, हमारी गलतियों एवं त्रुटियों के बावजूद। इस प्रकार जीवन शून्य की ओर एक अंधी यात्रा नहीं है, यह भाग्य या किस्मत की बात भी नहीं है। न ही संयोग है और न तारों पर निर्भर है, अथवा स्वास्थ्य या आर्थिक स्थिति पर ही आधारित।

लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

जीवन प्रेम पर आधारित

संत पापा ने कहा कि जीवन प्रेम पर आधारित है, पिता के प्रेम पर, जो अपने प्रिय बच्चों की देखभाल करते हैं। इस दृष्टिकोण को दूसरों के साथ बांटना कितना सुन्दर है। क्या हमने अपने जीवन पर गौर किया है, क्या यह एक प्रेम का भाव है? क्या यह प्रेम करने का निमंत्रण है? यह अत्यन्त खुबसूरत है लेकिन हम बहुधा किसी कठिनाई, बुरी खबर के सामने इसे भूल जाते हैं, जो बुरा है, संत पापा ने इसे दुनियावी तरीके का जीवन कहा।

घोषणा का चौथा तत्व है : चंगाई। येसु कहते हैं, कि वे "दलितों को स्वतंत्र" करने आये हैं। दलित एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने जीवन में दूसरों के द्वारा शोषित महसूस करता है, वह बीमार, थका, भारी दिल, अपराधी, गलत, दोषी और पापी महसूस करता... जिनसे वह कुचला जाता है। हममें से कितनों ने ऐसा महसूस किया है? हम दोषी होने की भावना से कुचले जाते हैं यह वास्तव में पाप की बुराई का भार है जिससे कोई भी मानवीय औषधि चंगा नहीं कर सकती।

हमारे लिए शुभ संदेश

यदि किसी व्यक्ति ने कुछ किया है और उसके लिए उसे अपराधी होने का एहसास होता है और उसे बुरा लगता है तो उसके लिए अच्छा खबर है कि ये पुरानी बुराई और पाप जो अजेय प्रतीत होते थे येसु के द्वारा अब अंतिम शब्द नहीं रह गये हैं। मुझ से गलती हो सकती है क्योंकि मैं कमजोर हूँ। हम में से प्रत्येक गलतियाँ कर सकते हैं लेकिन यही अंतिम शब्द नहीं है। अंतिम शब्द है येसु के फैले हाथ, जो हमें पोप से ऊपर उठाते। येसु हमें एक बार, या दो बार अथवा तीन बार नहीं उठाते बल्कि हमेशा उठाते हैं। हम जब कभी बीमार पड़ते वे हमेशा अपना हाथ हमारी ओर बढ़ाते, हमें सिर्फ उन्हें पकड़ना है, उनके द्वारा उठाया जाना है। हमारे लिए शुभ संदेश है कि येसु के साथ बुराई अंतिम शब्द नहीं है। अंतिम शब्द है येसु के फैले हाथ जो हमें आगे ले जाते। येसु हमें पाप से हमेशा चंगा करते हैं और इस चंगाई के लिए मुझे कितना चुकाना है? कुछ नहीं। वे हमें हमेशा चंगा करते एवं मुफ्त में चंगा करते हैं।

लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

येसु हमारी प्रतीक्षा करते हैं

वे उन लोगों को निमंत्रण देते हैं जो थके-मांदे और बोझ से दबे हुए हैं। किसी व्यक्ति को येसु से मुलाकात करने में मदद देना और उसे डॉक्टरों के डॉक्टर येसु के पास ले जाना जो जीवन को सुधार सकते हैं। उन लोगों के पास जाना ही सुसमाचार सुनाना है। और उनसे कहना है, “भाई या बहन मेरे पास आपकी अनेक समस्याओं का उत्तर नहीं है लेकिन येसु आपको जानते हैं, वे आपको प्यार करते, वे आपको चंगा कर सकते हैं और आपके हृदय को शांत कर सकते हैं।” यदि कोई व्यक्ति बोझिल है अतीत के लिए चिंतित है। कई बार हम सुनते हैं : "मुझे अतीत के घाव से चंगा होना है...जो मेरे लिए बहुत भारी है। संत पापा ने कहा कि तब उसे क्षमा की आवश्यकता है। और जो व्यक्ति येसु में विश्वास करता है उसे इस चीज को दूसरों को देना है: यह ईश्वर की क्षमाशीलता की शक्ति है जो आत्मा को हर प्रकार के संदेह से मुक्त करती। संत पापा ने कहा कि हम इस बात को न भूलें कि ईश्वर सब कुछ भूल जाते हैं। वे कैसे सब कुछ भूल सकते हैं? जी हाँ वे भूलते हैं, हमारे पापों को याद नहीं करते। हमें सिर्फ उनके निकट आना है और वे हमारे सब पापों को माफ कर देते हैं। हम सुसमाचार की याद करें, उड़ाव पुत्र ने जैसे ही कहा कि मैंने आपके विरूद्ध पाप किया है, वैसे ही पिता ने उसे बोलने से रोक लिया, उन्होंने उसे पूरा वाक्य भी बोलने नहीं दिया। यह कितना सुन्दर है। येसु हमें क्षमा देने, हमें चंगा करने के लिए हमारा इंतजार करते हैं। कितनी बार? वे हमेशा माफ करते हैं। पर हम एक ही प्रकार की गलतियाँ दुहराते हैं और वे भी हमें माफ करते जाते हैं। इसलिए हम संदेह न करें। संत पापा ने विश्वासियों को जोर देते हुए कहा कि यदि कोई अपने पाप के भार से दबा हुआ हो और अतीत के लिए चिंतित हो एवं क्षमा पाना चाहता हो तो वह जान ले कि येसु ऐसा कर सकते हैं। वे हर प्रकार के संदेह से हमारी आत्मा को मुक्त कर सकते हैं। बाईबिल एक ऐसे वर्ष का जिक्र करता है जिसमें व्यक्ति अपने ऋण के भार से मुक्त हो सकता है और वह है जयन्ती वर्ष, अनुग्रह का वर्ष। यह येसु की घोषणा का अंतिम बिन्दु है।  

जयन्ती वर्ष का उद्घाटन करते संत पापा फ्राँसिस
जयन्ती वर्ष का उद्घाटन करते संत पापा फ्राँसिस

अनुग्रह का वर्ष

येसु कहते हैं कि वे "प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करने आये हैं।" (लूक. 4:19) संत पापा ने कहा कि यह कोई योजना के तहत जयन्ती मनाना नहीं है, जैसा कि हम मनानेवाले हैं जिसमें सब कुछ योजनावद्ध है। क्योंकि ख्रीस्त के साथ कृपा जीवन को नवीन बनाता और हमेशा आश्चर्यचकित करता है। ख्रीस्त में हरेक दिन की जयन्ती है, जो हमारे पास आते, हमारी चिंता करते एवं हमें क्षमा प्रदान करते हैं। येसु की घोषणा हमेशा कृपा का विस्मय लाता है। इस विस्मय को हम नहीं भूल सकते, कि हम माफ किये गये हैं। हमारे प्रभु महान हैं क्योंकि हम नहीं बल्कि ईश्वर की कृपा हममें अप्रत्याशित कार्य करती है। ये ईश्वर के अनुठे कार्य हैं जो हमें हमेशा विस्मित करते। ईश्वर हमेशा हमारा इंतजार करते, सभी समय वे हमारी राह देते रहते हैं। संत पापा ने कहा कि सुसमचार के साथ विस्मय की भावना एवं नवीनता होती है जिसका नाम है येसु। इसकी घोषणा करने में वे हमारी मदद करते हैं। वे आनन्द, मुक्ति, दृष्टि, स्वतंत्रता और विस्मय की घोषणा करने में हमारी सहायता करते हैं। और इन्हीं के द्वारा येसु अपने आपको प्रकट करते हैं।

हृदय से दरिद्र बनें

संत पापा ने कहा, “सुसमाचार की घोषणा, जिसको सुसमाचार पाठ में दरिद्रों को सम्बोधित किया गया है। हम अक्सर उन्हें भूल जाते जबकि येसु स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वे ही इसको ग्रहण करनेवाले हैं क्योंकि वे ईश्वर के कृपापात्र हैं। आइये हम इस बात को याद रखें कि येसु का स्वागत करने के लिए हम प्रत्येक को अंदर से दरिद्र बनना है।” दरिद्रता के उस मनोभाव को धारण करना है जिसके द्वारा हम कह सकें, प्रभु मुझे आपकी क्षमा की आवश्यकता है, मुझे मदद की जरूरत है, मुझे शक्ति आवश्यक है। दूसरे शब्दों में, यह आत्मनिर्भरता के दावे से ऊपर उठना है ताकि हम कृपा की आवश्यकता महसूस कर सकें और उनकी आवश्यकता महसूस कर सकें। संत पापा ने येसु से मुलाकात करने का सीधा रास्ता बतलाते हुए कहा कि यह खुद को अभावग्रस्त बनाना है। कृपा की आवश्यकता महसूस करना है। यदि हम क्षमा किये जाने, आनन्द पाने की आवश्यकता महसूस करेंगे तो वे हमारे पास आयेंगे।   

आमदर्शन समारोह में संत पापा की धर्मशिक्षा

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25 January 2023, 16:01