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संत पापा बेनेडिक्ट १६वें का पार्थिव शरीर संत पापा बेनेडिक्ट १६वें का पार्थिव शरीर  (ANSA)

देवदूत प्रार्थना में पोप : हम पोप बेनेडिक्ट के वरदान के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं

नव वर्ष के दिन संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। जहाँ अपने संदेश के आरम्भ में उन्होंने ससम्मान सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट १६वें की याद करते हुए उनके लिए माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करने का आह्वान किया। पोप बेनेडिक्ट १६वें का निधन शनिवार को हुआ।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 1 जनवरी 2023 (रेई) – संत पापा फ्राँसिस ने १ जनवरी को माता मरियम ईश्वर की माता एवं विश्व शांति दिवस के अवसर पर वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्यारे भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, खुश नया साल।

नये साल की शुरूआत को अति पवित्र मरियम को समर्पित किया गया है, जिसको हम आज ईश्वर की माता के पर्व के रूप में मनाते हैं। इस समय हम उनकी मध्यस्थता द्वारा सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट १६वें के लिए प्रार्थना करें, जो बीते कल सुबह इस दुनिया से विदा हो गये। आइये, हम सभी एक साथ, एक हृदय एवं एक आत्मा से, सुसमाचार एवं कलीसिया के इस विश्वासी सेवक के वरदान के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें।

जब हम गोशाले में मरियम की कल्पना करते हैं जहाँ येसु का जन्म हुआ था, तब हम अपने आप से पूछें “कुँवारी मरियम ने हमसे बात करने के लिए कौन सी भाषा का प्रयोग किया? हम इस नये साल के लिए उनसे क्या सीख सकते हैं?

मरियम से सीख

वास्तव में, यदि हम उस दृश्य पर गौर करते हैं जिसको आज धर्मविधि हमारे लिए प्रस्तुत करती है, तब हम पाते हैं कि मरियम नहीं बोलती हैं। वे उस रहस्य का स्वागत करतीं हैं जिसको उन्होंने विस्मय के साथ अनुभव किया है, हर चीज को वे अपने हृदय में संचित रखती हैं और सबसे बढ़कर, बालक की चिंता करती हैं, जैसा कि सुसमाचार बतलाता है वे “चरनी पर लेटे हुए थे।”(लूक.2:16) संत पापा ने कहा, “लिटाना” क्रिया का अर्थ है सावधानी से रखना और बतलाता है कि मरियम की उत्तम भाषा थी उनकी ममता, उन्होंने बड़े स्नेह से बालक की देखभाल की। यह मरियम की महानता है। जब स्वर्ग दूत आनन्द मनाते, चरवाहे दौड़े आते और सभी ऊंचे स्वर से ईश्वर की स्तुति करते हैं, तब मरियम मौन रहती हैं, वे अतिथियों को उन सभी बातों के बारे नहीं बतलाती हैं जो उनके साथ हुआ। वे दृश्य को खोने नहीं देतीं। हम दृश्य को तुरन्त खो देते हैं, लेकिन वे नहीं खोती हैं – इसके विपरीत वे बालक को केंद्र में रखती हैं और बड़े प्यार से उसकी देखभाल करती हैं। एक कवि ने लिखा है कि मरियम भी “गंभीरता से चुप रहना जानती थीं”...क्योंकि वह अपने ईश्वर के नजर नहीं खोना चाहती थी।”(ए. मेरीना, कोरपो द’ आमोरे। उन इनकोंत्रों को जेसु, मिलान २००१, ११४)

देखभाल

संत पापा ने कहा कि यह मातृत्व की खास भाषा है : देखभाल करने की कोमलता। वास्तव में, अपने गर्भ में नौ महीने तक एक रहस्यमय अद्भुत उपहार को धारण करने के बाद, माताएँ अपने बच्चों को ध्यान के केंद्र में रखना जारी रखती हैं: वे उन्हें खिलाती हैं, उन्हें अपनी बाहों में लेतीं, कोमलता से उन्हें पालने में बिठाती हैं। देखभाल करना, ईश्वर की माता की भी भाषा है। संत पापा ने कहा, “माताओं की भाषा है देखभाल करना”।  

हरेक माँ की तरह, मरियम ने अपने गर्भ में जीवन को धारण किया और इस तरह वे हमारे भविष्य के बारे बात करती हैं। साथ ही यह हमें याद दिलाता है कि यदि हम नये साल को सचमुच अच्छा बनाना चाहते हैं, यदि हम आशा को पुनः स्थापित करना चाहते हैं, तब हमें स्वार्थ से प्रेरित भाषाओं, व्यवहार एवं चुनावों को छोड़ना होगा और प्यार की भाषा सीखनी होगी, जो चिंता करती है। चिंता करना एक नई भाषा है जो स्वार्थ की भाषाओं के विपरीत जाती है। यह प्रतिबद्धता है : अपने आपकी चिंता है, हम प्रत्येक को अपने जीवन की चिंता करना है, अपने समय की चिंता, अपनी आत्मा की चिंता, सृष्टि की चिंता और पर्यावरण की चिंता जिसमें हम जीते हैं। अपने पड़ोसियों की चिंता करना है, जिनको प्रभु ने हमारी बगल में रखा है, इसके साथ ही, उन भाई-बहनों की भी चिंता करना है जो जरूरतमंद हैं और हमारे ध्यान एवं हमारी करुणा को अपनी ओर खींचते हैं। माता मरियम को बालक येसु की चिंता करते देख, हम दूसरों की चिंता करना, यहाँ तक कि खुद की भी चिंता करना सीखें, अपने आंतरिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक जीवन, उदारता आदि की।

विश्व शांति दिवस

आज विश्व शांति दिवस मनाते हुए, आइये, हम उस जिम्मेदारी की चेतना को पुनः प्राप्त करें जिसको हमें भविष्य के निर्माण के लिए दिया गया है, जब हम युद्ध की त्रासदी के सामने व्यक्तिगत एवं सामाजिक संकट में जी रहे हैं, “हम हमारी दुनिया की चुनौतियों को जिम्मेदारी एवं सहानुभूति के साथ जीने के लिए बुलाये गये हैं, और इसे निभा सकते हैं यदि हम एक-दूसरे की चिंता करेंगे एवं सभी मिलकर हमारे आमघर की देखभाल करेंगे।”

तब संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, “आइये हम अति पवित्र ईश माता मरियम से प्रार्थना करें, ताकि इस युग में जो अविश्वास एवं उदासीनता से दूषित है, हमें सहानुभूति रखने एवं एक-दूसरे की चिंता करने की शक्ति प्रदान करे- दूसरों की जरूरतों से प्रेरित होने एवं उनके सामने रूकने का बल प्रदान करे।”   

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस का संदेश

 

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01 January 2023, 14:46