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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

देवदूत प्रार्थना में पोप : ईश्वर का न्याय करुणामय है जो बचाता है

येसु के बपतिस्मा महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व बतलाया कि येसु किस तरह पापियों को बचाते हुए ईश्वरीय न्याय को पूरा करने आये। उन्होंने दिखाया कि ईश्वर का सच्चा न्याय करुणामय है जो बचाता है। येसु के शिष्यों के रूप में हम भी दूसरों के भार को हल्का करने एवं दयालु बनने के लिए बुलाये गये हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 8 जनवरी 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 8 जनवरी को प्रभु के बपतिस्मा महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

ईश्वर का न्याय

आज हम प्रभु के बपतिस्मा का महापर्व मना रहे हैं और सुसमाचार एक विस्मयकारी दृश्य प्रस्तुत करता है : यह पहली बार है जब येसु नाजरेथ में छिपे जीवन के बाद सार्वजनिक रूप से प्रकट होते हैं; वे योहन से बपतिस्मा लेने के लिए यर्दन नदी के तट पर पहुँचते हैं। (मती. 3,13-17) यह एक धर्मविधि थी जिसके द्वारा लोग पश्चाताप करते और मन-परिवर्तन करते थे। धर्मविधि के प्रवेश गान में कहा गया है कि लोग बपतिस्मा लेने के लिए “खाली आत्मा और खाली पाँव” जाते थे, अर्थात् दीनता और पारदर्शी हृदय के साथ। लेकिन येसु को पापियों के साथ देखकर लोग विस्मित होकर पूछने आते हैं। पाप रहित होते हुए भी ईश्वर के पुत्र, एक पवित्र व्यक्ति को क्यों ऐसा करने की आवश्यकता पड़ी? इसका उत्तर हम येसु द्वारा योहन को कहे गये शब्दों में पाते हैं: अभी ऐसा ही होने दीजिए। यह हमारे लिए उचित है कि हम इस तरह हर धर्मविधि पूरी करें। (पद.15) हर धर्मविधि पूरी करें का अर्थ क्या है?

पापियों को बचाना

बपतिस्मा लेने के द्वारा येसु ने ईश्वर के न्याय को प्रकट किया, जिसको प्रकट करने के लिए वे दुनिया में आये थे। हम न्याय का एक संकीर्ण विचार रखते हैं और सोचते हैं कि इसका अर्थ है कि जो कोई गलती करता है वह उसकी कीमत चुकाये एवं अपनी गलती की भरपाई करे। लेकिन ईश्वर का न्याय जैसा कि धर्मग्रंथ हमें बतलाता है, उससे बढ़कर है। इसका उद्देश्य दोष के लिए दण्ड देना नहीं है बल्कि उसकी मुक्ति है और उसका पुनःजन्म है, उसे फिर से न्यायोचित बनाना है। यह न्याय प्रेम से आता है, करुणा और दया की गहराई से, जो ईश्वर का हृदय है, पिता का हृदय जो हमें बुराई से शोषित एवं पाप और दुर्बलता के भार से दबे हुए देखकर द्रवित हो जाता है। इस प्रकार ईश्वर का न्याय, दण्ड नहीं देता बल्कि जैसा कि संत पौलुस कहते हैं हमें न्यायसंगत बनाकर अपना पुत्र बनाता है। (रोम 3:22-31), हमें बुराई के जाल से मुक्त करता, चंगा करता और पुनः उठाता है। तब हम समझते हैं कि यर्दन के किनारे, येसु अपने मिशन के अर्थ को प्रकट करते हैं: कि वे ईश्वरीय न्याय को पूरा करने आये, जिसका अर्थ है पापियों को बचाना, वे अपने कंधे पर दुनिया के पाप उठाने आये और अगाध गर्त, मृत्यु के जल में प्रवेश किये ताकि वे हमें बचा सकें और हमें डूबने न दें।

वे दिखलाते हैं कि ईश्वर का सच्चा न्याय करूणा है जो बचाती है, प्रेम करती है जो हमारी मानवीय स्थिति में शामिल होती, हमारे निकट आती, हमारी पीड़ा में सहानुभूति प्रदान करती, हमारे अंधेरे में प्रवेश करती है ताकि प्रकाश को वापस ला सके।

संत पापा बेनेडिक्ट १६वें ने पुष्ट किया है कि ईश्वर खुद मृत्यु के गर्त में जाकर हमें बचाना चाहा, ताकि हर व्यक्ति, चाहे वह कितना ही गिरा हुआ क्यों न हो, वह ईश्वर का सहारा पा सके और अंधकार से पुनः प्रकाश में ऊपर उठ सके, जिसके लिए वह बनाया गया है। (उपदेश, 13 जनवरी 2008)  

हमारा न्याय

प्यारे भाइयो एवं बहनो, हम येसु के शिष्य भी, इस रास्ते पर, दूसरों के साथ संबंध में, कलीसिया में, समाज में न्याय पर चलने के लिए बुलाये गये हैं: न्याय करने और दण्ड देने वालों की कठोरता के साथ नहीं, जो अच्छे और बुरे में बांटते हैं, लेकिन उन लोगों की करुणा में जो भाई बहनों की कमजोरी और घावों में उनके साथ सहानुभूति रखते एवं उनका स्वागत करते हैं ताकि वे ऊपर उठ सकें।

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम उन्हें न बाटें बल्कि उनके साथ शामिल हों। आइये, हम येसु के समान करें, एक-दूसरे का बोझ हल्का करें, एक-दूसरे को सहानुभूति से देखें, एक-दूसरे की मदद करें। हम अपने आप से पूछें : क्या मैं बांटनेवाला व्यक्ति हूँ अथवा साझा करनेवाला?

तब माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, और अब आइये हम माता मरियम से प्रार्थना करें जिन्होंने येसु को जन्म दिया, हमारी दुर्बलता में उन्हें रखा ताकि हम पुनः जीवन पा सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस का संदेश

 

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08 January 2023, 13:14