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पोप बेनेडिक्ट १६वें पोप बेनेडिक्ट १६वें  

रिज़ोली ने पोप बेनेडिक्ट के दस महत्वपूर्ण भाषणों का संग्रह प्रकाशित किया

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 10 जनवरी 2023 (रेई) – वाटिकन प्रकाशन केंद्र, लिब्रेरिया एदीत्रिचे वातिकाना (एल ई वी) ने रिज़ोली के साथ, "ईश्वर के साथ आप कभी अकेले नहीं है" शीर्षक पर, पोप बेनेडिक्ट १६वें के १० सबसे प्रभावशाली भाषणों के संग्रह को प्रकाशित किया है। किताब की प्रस्तावना जेस्विट फादर फेदरिको लोमबारदी द्वारा लिखी गई है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 10 जनवरी 2023 (रेई) – यह पहली बार है जब संत पापा बेनेडिक्ट १६वें के परमाध्यक्षीय काल में उनके सबसे प्रभावशाली भाषणों के संग्रह को प्रकाशित किया गया है, जिसका शीर्षक है, "ईश्वर के साथ आप कभी अकेले नहीं है" (“कोन दियो नोन सेई माई सोलो”) किताब का प्रकाशन इटली के रिज़ोली के साथ वाटिकन प्रकाशन केंद्र, लिब्रेरिया एदीत्रिचे वातिकाना (एल ई वी) द्वारा ९ जनवरी को, संत पापा बेनेडिक्ट १६वें के निधन ३१ दिसम्बर २०२२ के एक सप्ताह बाद किया गया। 

किताब की प्रस्तावना जेस्विट फादर फेदरिको लोम्बारदी द्वारा

किताब की प्रस्तावना वाटिकन रेडियो, वाटिकन टीवी और वाटिकन प्रेस कार्यालय के पूर्व निदेशक, एवं वर्तमान में वाटिकन जोसेफ रत्जिंगर फाउंडेशन के अध्यक्ष फादर फेडेरिको लोम्बार्डी, येसु समाजी ने लिखी है।

किताब में पोप बेनेडिक्ट १६वें के सीमित भाषणों को चुना गया है जिनको उन्होंने २२ दिसम्बर 2005 से लेकर २७ फरवरी २०१३ के बीच दिया था। उनका पहला ऐतिहासिक भाषण रोमन कूरिया के सदस्य के लिए था जिसको उन्होंने अपने परमाध्यक्षीय काल के पहले वर्ष में दिया था और अंतिम भाषण, आमदर्शन समारोह के दौरान दी गई थी, जिसको उन्होंने इस्तीफा देने के बाद अंतिम बार सम्पन्न किया था।

एक महत्वपूर्ण चुनाव

अपनी प्रस्तावना में फादर लोम्बारदी ने बतलाया है कि यह चुनाव, "सबसे पहले एक ईशशास्त्री के रूप में और फिर एक पोप के रूप में जोसेफ रत्जिंगर के विपुल उत्पादन और सघन कार्यों को, निश्चय ही कम करनेवाला है और कुछ हद तक संदिग्ध" है।

साथ ही, उन्होंने गौर किया है कि पोप बेनेडिक्ट १६वें के विचार और उसके विकास, पूरी तरह सुसंगत, और "संगठित" हैं "कि इसकी मुख्य पंक्तियों को उनके लेख के सीमित चयन से शुरू करने पर भी समझा जा सकता है"।

चयनित लेखों को मुख्य मुद्दों को संबोधित करते हुए अलग-अलग समय, स्थानों और संदर्भों में उच्चारित किया गया है, जो उनके परमाध्यक्षीय और संपूर्ण ईशशास्त्रीय विचारों को रेखांकित करते हैं: विश्वास और तर्क के बीच संबंध द्वारा, सांसारिकता की ओर बढ़ते आधुनिक समाज में ईश्वर की खोज से लेकर, बुराई के सामने ईश्वर की उपस्थिति के सवाल, और परिषद के द्वारा स्वीकार किये जाने तक। इसमें पुरोहितों के लिए समर्पित वर्ष के समापन के अवसर पर उपदेश भी शामिल है। (2009-2010), कई हस्ताक्षेपों में याजकों के द्वारा यौन दुराचार के विषय पर उनके हस्ताक्षेप को भी लिया गया है जो उनके परमाध्यक्षीय काल के दौरान उभरा।

 बेनेडिक्ट १६वें की यूरोप द्वारा ख्रीस्तीय जड़ों को खोने की चिंता

वाटिकन में, या लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में, या पेरिस (कॉलेज देस बर्नार्डिन्स) में, या जर्मनी (बर्लिन, कोलोन, ऑशविट्ज़) में, पुस्तक के लिए चुने गए सभी प्रवचन यूरोपीय देश में उच्चारित किए गए थे।

फादर लोम्बार्डी की यह टिप्पणी, संयोग नहीं है कि "अंतिम 'यूरोपीय पोप' अपने महाद्वीप की संस्कृति और इतिहास को अच्छी तरह से जानते थे, और आश्वस्त थे कि यह कोई संयोग नहीं है कि तर्क के साथ संवाद में ख्रीस्तीय धर्म द्वारा ग्रहण किया गया रूप यूरोप में बना था।”

तर्क और विश्वास के बीच संवाद में उत्साह

इन दस प्रभावशाली भाषणों से स्पष्ट रूप से उभरता है कि पोप बेनेडिक्ट सोलहवें की तीव्र इच्छा थी, हमारे समय की नाटकीय चुनौतियों का "व्यक्तिगत रूप से सामना करना और तर्क एवं विश्वास के बीच सभी संवादों को प्रत्येक व्यक्ति और पूरे मानव परिवार की अच्छाई और मुक्ति के लिए एक आवश्यक तरीके के रूप में प्रस्तावित करना।”

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10 January 2023, 16:07