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बालक येसु को चुम्बन देते संत पापा फ्राँसिस बालक येसु को चुम्बन देते संत पापा फ्राँसिस 

क्रिसमस में पोप : उपभोक्तावाद के बीच येसु ईश्वर का सामीप्य प्रकट करते हैं

ख्रीस्त जयन्ती महापर्व के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने 24 दिसम्बर की शाम 7.30 बजे (भारत समय 12 बजे) वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रभु येसु को उनके सामीप्य के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने पूरी दुनिया को मुक्तिदाता ख्रीस्त के जन्म का संदेश देते हुए क्रिसमस के सच्चे अर्थ पर प्रकाश डाला। उन्होंने बतलाया कि एक ही शक्ति है जो दुनिया बदल सकती है वह है प्रेम की शक्ति।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 24 दिसंबर 2022 (रेई) – पोप फ्राँसिस ने बालक येसु को अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विश्वासियों से खचाखच भरे वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में, ख्रीस्त जयन्ती के समारोही जागरण मिस्सा की शुरूआत की। उन्होंने अपने प्रवचन में ख्रीस्त जयन्ती के अर्थ पर चिंतन करते हुए कहा कि क्रिसमस के अर्थ को पुनः प्राप्त करने के लिए हमें चरनी पर नजर डालना होगा। जो कोई संयोगात्मक चिन्ह नहीं है जिसमें होकर ख्रीस्त इस दुनिया में प्रकट हुए, बल्कि एक घोषणापत्र है कि ईश्वर इतिहास में प्रवेश किये ताकि उसे नया इतिहास बना सकें। इस चरनी के द्वारा वे हमें तीन चीजें बतलाते हैं : सामीप्य, गरीबी और ठोस।

संत पापा ने कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो, आज रात ईश्वर आपके नजदीक आते हैं क्योंकि वे आपकी चिंता करते हैं। एक चरनी में आपका भोजन बनकर कहते हैं, यदि आप विभिन्न घटनाओं से भस्म होते हुए महसूस करते हैं, यदि आत्मग्लनि और असमर्थता की भावना आपको खाये जा रही है, यदि आप न्याय के भूखे हैं, मैं ईश्वर, आपके साथ हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम्हें कैसे जीना पड़ता हैं। मैंने इसे चरनी में महसूस कर लिया है। मैं आपकी दयनीय स्थिति और कहानी को जानता हूँ। मैंने आपको यह बतलाने के लिए जन्म लिया है कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा। क्रिसमस की चरनी में बालक ईश्वर का पहला संदेश है कि वे हमारे साथ हैं। वे हमें प्यार करते हैं, हमें खोज करते हैं। ढाढ़स रखो डरो मत, निराश होकर मत छोड़ दो। ईश्वर ने चरनी में जन्म लिया है ताकि आपको उस स्थान पर पुनः ला सकें जहाँ से आप सोचते हैं कि बिलकुल नीचे गिर चुके हैं। कोई ऐसी बुराई या पाप नहीं है जिससे येसु हमें बचाना न चाहते हों। क्रिसमस का अर्थ है ईश्वर हमारे निकट हैं : हम भरोसा को पुनः जगा सकें।"

क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस
क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस

नीचे संत पापा फ्राँसिस के पूरे उपदेश को दिया जा रहा है।

यह रात, क्या अब भी हमारे जीवन से कुछ कहती है? येसु के जन्म के दो हजार वर्षों बाद, सजावट एवं उपहारों के साथ कई बार क्रिसमस मना चुके हैं, उपभोक्तावाद जिसने हमारे पर्व मनाने के रहस्य को ढंक लिया है, एक खतरा है : हम क्रिसमस से संबंधित कई चीजों को जानते हैं, लेकिन इसके अर्थ को भूल जाते हैं। इसके अर्थ को हम किस तरह वापस पा सकते हैं? और सबसे बढ़कर इसको पाने के लिए कहाँ जाना पड़ेगा? येसु के जन्म का सुसमाचार बिलकुल इसी को बतलाने के लिए लिखा गया है, जो हमारा हाथ पकड़कर हमें उस स्थान पर ले चलता हैं जहाँ ई्श्वर हमें लेना चाहते हैं।

वास्तव में, इसकी शुरूआत हमारे ही समान परिस्थिति में हुई : प्रत्येक व्यक्ति व्यस्त और एक महत्वपूर्ण अवसर को मनाने की तैयारी कर रहा था, एक बड़ी जनगणना जिसके लिए कई तैयारियों की आवश्यकता होती है। इस अर्थ में आज के क्रिसमस का माहौल पहले के ख्रीस्त जयन्ती से मिलता-जुलता है। लेकिन उस सांसारिक दृश्य से सुसमाचार की कहानी अलग है। वह एक छोटी चीज में टिक जाता है, जो सचमुच महत्वपूर्ण है जिसका जिक्र तीन बार किया गया है जिसकी ओर कहानी के मुख्य पात्र केंद्रित हैं : पहला मरियम, जो येसु को चरणी में लिटाती हैं, (लूक.२,७) दूसरा, स्वर्गदूत जो चरवाहों को संदेश देता है कि "आप एक बालक को कपड़ों में लपेटा और चरणी में लेटा हुआ पायेंगे।" (१२) उसके बाद चरवाहे जो येसु को चरणी पर लेटे हुए पाते हैं। (१६) क्रिसमस के अर्थ को पुनः प्राप्त करने के लिए हमें चरनी पर नजर डालना होगा। परन्तु चरनी क्यों इतना महत्वपूर्ण है? क्योंकि यह कोई संयोग का चिन्ह नहीं है जिसमें होकर ख्रीस्त इस दुनिया में प्रकट होते हैं। यह एक घोषणापत्र है जिसमें ईश्वर इतिहास में प्रवेश करते हैं ताकि उसे नया इतिहास बना सकें। इस चरनी के द्वारा वे वास्तव में क्या बोलना चाहते हैं? वे तीन चीजें बोलते हैं : सामीप्य, गरीबी और वास्तविकता।   

[ Photo Embed: चरनी के सामने प्रार्थना करते संत पापा फ्राँसिस]

ईश्वर हमारे साथ हैं

चरनी का प्रयोग भोजन को मुँह के निकट लाने और जल्दी-जल्दी खाने के लिए किया जाता है। अतः यह मानवीय होने और पेटूपन का प्रतीक हो सकता है क्योंकि जानवर जहाँ गोशाले में चारा खाते हैं, वहीं मानव, दुनिया में सत्ता और धन के भूखे अपने पड़ोसियों और भाई-बहनों को खाते हैं। आज कितनी जगहों में युद्ध हो रहे हैं, प्रतिष्ठा और स्वतंत्रता छीने जा रहे हैं, और इस मानवीय पेटूपन के शिकार सबसे अधिक कमजोर और दुर्बल लोग हो रहे हैं। इस क्रिसमस में भी कुछ लोग धन, सत्ता और सुख चैन के लालची हैं जिनके पास कोई जगह नहीं है। जैसा येसु के साथ हुआ था, (७) वैसे ही कई छोटे, अजन्मे, गरीब बच्चे के साथ हो रहा है। संत पापा ने कहा, "मैं सबसे बढ़कर युद्ध, गरीबी और अन्याय के शिकार बच्चों की याद करता हूँ। लेकिन येसु वहाँ भी जन्म लेते हैं, उस चरनी में जहाँ कचरे और फेंकी गई वस्तुएँ हैं। बेतलेहेम के उस बालक में, हरेक बच्चा शामिल है। और उनमें जीवन, राजनीति और इतिहास को देखने का निमंत्रण दिया जाता है। बहिष्कार एवं असुविधा की चरनी में येसु अपनी जगह लेते हैं क्योंकि वहाँ मानवता, उदासीनता की समस्या है, जिसको पेटूपन के द्वारा अधिकार जताने एवं उपभोग करने के लिए उत्पन्न किया गया है। येसु का जन्म वहीं हुआ था और हम उस चरनी को हमारे निकट पाते हैं। वे हमारे भोजन बनकर आते हैं। ईश्वर एक ऐसे पिता नहीं हैं जो अपने बच्चों को खा जाते बल्कि ऐसे पिता हैं जो येसु में हम सभी को अपने बेटे-बेटियाँ बनाते और बड़े स्नेह से पोषित करते हैं। वे हमारे हृदय का स्पर्श करने आते और हमें बतलाते हैं कि एक ही शक्ति है जो दुनिया को बदल सकती है, वह है प्रेम। वे दूर और शक्तिशाली बनकर नहीं रहते हैं बल्कि नजदीक आते एवं विनम्र बनते हैं। जो स्वर्ग में विराजमान थे वे अपने आपको एक चरनी में रखते हैं।  

संत पापा ने कहा, प्यारे भाइयो एवं बहनो, आज रात ईश्वर आपके नजदीक आते हैं क्योंकि वे आपकी चिंता करते हैं। एक चरनी में आपका भोजन बनकर कहते हैं, यदि आप विभिन्न घटनाओं से भस्म होते हुए महसूस करते हैं, यदि आत्मग्लनि और असमर्थता की भावना आपको खाये जा रही है, यदि आप न्याय के भूखे हैं, मैं ईश्वर, आपके साथ हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम्हें कैसे जीना पड़ता हैं। मैंने इसे चरनी में महसूस कर लिया है। मैं आपकी दयनीय स्थिति और कहानी को जानता हूँ। मैंने आपको यह बतलाने के लिए जन्म लिया है कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और रहूँगा। क्रिसमस की चरनी में बालक ईश्वर का पहला संदेश है कि वे हमारे साथ हैं। वे हमें प्यार करते हैं, हमें खोज करते हैं। ढाढ़स रखो डरो मत, निराश होकर मत छोड़ दो। ईश्वर ने चरनी में जन्म लिया है ताकि आपको उस स्थान पर पुनः ला सकें जहाँ से आप सोचते हैं कि बिलकुल नीचे गिर चुके हैं। कोई ऐसी बुराई या पाप नहीं है जिससे येसु हमें बचाना न चाहते हों। क्रिसमस का अर्थ है ईश्वर हमारे निकट हैं : हम भरोसा को पुनः जगा सकें।

क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस
क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस

गरीबों के बिना क्रिसमस नहीं

बेतलेहेम की चरनी, सामीप्य के साथ-साथ गरीबी के बारे बतलाती है। वास्तव में, चरनी के आसपास अधिक चीजें नहीं थीं, सिवाय कुछ घास, कुछ जानवर और कुछ दूसरी चीजें के। लोग गोशाले की ठंढ में नहीं बल्कि गर्म सराय में थे। लेकिन येसु वहाँ नहीं किन्तु चरनी में जन्म लिए जो याद दिलाता है कि उनके आसपास कोई नहीं, केवल मरियम, जोसेफ और कुछ चरवाहे थे, ये सभी गरीब लोग थे, जो स्नेह और विस्मय की भावना से जुड़े हुए थे, जिनके पास न धन था और न ही कोई बड़ी संभावना। इस प्रकार गरीब चरनी ने जीवन की समृद्धि लायी, धन और सत्ता नहीं बल्कि संबंध एवं लोगों को लाया।

पहले व्यक्ति और प्राथमिक धन हैं, येसु। किन्तु क्या हम उनकी बगल में रहना चाहते हैं? क्या हम उनके नजदीक जाते हैं क्या हम उनकी गरीबी को पसंद करते हैं? अथवा क्या हम अपनी पसंद की सुख सुविधा में रहना चाहते हैं? सबसे बढ़कर क्या हम उनके पास जाते हैं जो हमारी दुनिया के गरीब चरनी में पड़े हैं? वे वहाँ उपस्थित हैं और हम एक ऐसी कलीसिया बनने के लिए बुलाये गये हैं जो गरीब येसु की पूजा करती और गरीबों में येसु की सेवा करती है। जैसा कि एक संत धर्माध्यक्ष ने कहा है, कलीसिया अन्याय की संरचनाओं को बदलने के प्रयासों का समर्थन करती और आशीर्वाद देती है एवं केवल एक शर्त निर्धारित करती है: कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन गरीबों के सच्चे हित में हों। (धर्माध्यक्ष ऑस्कर रोमेरो, १जनवरी १९८०, प्रेरितिक पत्र)।

निश्चय ही, बेतलेहेम की गुफा की सुन्दरता को स्वीकारने के लिए सांसारिक ऊष्मा का त्याग करना सहज नहीं है, लेकिन याद रखें कि गरीबों के बिना क्रिसमस नहीं है। यदि हम उनके बिना क्रिसमस मनाते हैं तो वह येसु का क्रिसमस नहीं है। प्यारे भाइयो एवं बहनो, क्रिसमस में ईश्वर गरीब है : जो प्रेम (परोपकार) को जन्म देता है।  

क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस
क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस

ईश्वर ने सचमुच शरीरधारण किया

इस तरह हम तीसरे बिन्दु पर आते हैं : चरनी ठोस चीज की बात करती है। निश्चय ही, चरनी पर पड़ा बालक हमें प्रभावित करता है, बिलकुल निरे रूप में। यह याद दिलाता है कि ईश्वर ने सचमुच शरीरधारण किया। अतः उनके लिए सिद्धांत, सुन्दर विचार एवं भक्ति भावना काफी नहीं है। येसु जिनका जन्म गरीबी में हुआ, जो गरीबी में जीयेंगे और गरीब ही मर जायेंगे उन्होंने गरीबों के बारे कोई भाषण नहीं दिया, बल्कि हमारे लिए इसे अंत तक जीया। वे जन्म से लेकर मृत्यु तक गरीब रहे। लकड़ी के रूखड़ेपन, हमारे अस्तित्व के ऊबड़-खाबड़ को स्वीकारा। उन्होंने सिर्फ शब्दों से हमें प्रेम नहीं किया, न ही मजाक में हमसे स्नेह किया।  

इसलिए वे दिखावटी से संतुष्ट नहीं होते। वे सिर्फ अच्छे मतलबों को नहीं चाहते बल्कि खुद शरीरधारण करते हैं। जिन्होंने चरनी में जन्म लिया, हमसे एक ठोस विश्वास की खोज करते हैं जो भक्ति और परोपकार से निर्मित हो, मजाक और दिखावे से नहीं। वे जो चरनी में लिटाये गये और क्रूस पर भी लिटाये जायेंगे, हमसे सच्चाई की मांग करते हैं, चीजों की वास्तविकता तक पहुँचने, बहाना बनाने, न्यायसंगत ठहराने नहीं किन्तु पाखंड को क्षमा याचना की चरनी पर रखने के लिए कहते हैं। वे जो मरियम द्वारा कोमलता से चरनी में लपेटे गये थे, हमें प्रेम का वस्त्र धारण करने के लिए कहते हैं। ईश्वर दिखावटी नहीं वास्तविकता पसंद करते हैं। आइये, हम इस क्रिसमस को बिना कुछ अच्छा काम किये न जाने दें। उनके जन्म दिवस पर हम उन्हीं की पसंद अनुसार उपहार भेंट करें। क्रिसमस में ईश्वर वास्तविक हैंः उनके नाम पर हम उन लोगों में थोड़ी आशा जगायें जो उम्मीद खो चुके हैं।

क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस
क्रिसमस के अवसर पर रात्रि जागरण समारोह मनाते संत पापा फ्राँसिस

बालक येसु से प्रार्थना

चरनी पर पड़े येसु, हम आपकी खोज करते हैं। प्रभु आपको धन्यवाद, हम आपको बिलकुल नजदीक पाते हैं, हमेशा हमारे नजदीक। हम आपको गरीब पाते हैं ताकि हम सीख सकें कि सच्चा धन भौतिक वस्तु में नहीं बल्कि लोगों में है, खासकर, गरीबों में। हमें क्षमा कीजिए यदि हमने आपको नहीं पहचाना और आपकी सेवा नहीं की। हम आपको वास्तविकता में पाते हैं क्योंकि हमारे लिए आपका प्रेम सच्चा है, हमारी सहायता कीजिए ताकि हमारे विश्वास में मांस और जीवन (वास्तविक) हो। आमेन।    

संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण
संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण

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24 December 2022, 16:25