संत पापा फ्राँसिस: यूनियनों के बिना, कोई कर्मचारी स्वतंत्र नहीं है
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार 20 दिसंबर 2022 (वाटिकन न्यूज) संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को वाटिकन के संत पापा पॉल षष्टम सभागार में इटालियन जनरल कन्फेडरेशन ऑफ लेबर (सीजीआईएल) के करीब पांच हजार सदस्यों से मुलाकात कर कहा, "श्रमिकों के बिना कोई संघ नहीं है और संघ के बिना कोई स्वतंत्र कर्मचारी नहीं है।"
अपने संबोधन में, संत पापा ने खेद व्यक्त किया कि आधुनिक तकनीकी प्रगति के बावजूद - "और कभी-कभी ठीक तकनीकी तंत्र नामक उस विकृत प्रणाली के कारण" - श्रम संबंधों में न्याय के लिए हमारी अपेक्षाएं आदर्श से कम हैं।
श्रम समाज का निर्माण करता है
संत पापा ने जोर देकर कहा कि काम या श्रम "समाज का निर्माण करता है" और यह "नागरिकता का प्राथमिक रूप" है जिससे समुदाय अपना रूप लेता है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों और उनकी आर्थिक व राजनीतिक परियोजनाओं के बीच संबंधों के माध्यम से "'लोकतंत्र' के ताने-बाने को दिन-ब-दिन जीवंत किया जाता है।"
उन्होंने लोगों को "काम की भावना" में शिक्षित करने, श्रमिकों के बीच भाईचारे का निर्माण करने और इस बात पर जोर देने को कहा कि मानव व्यक्ति मुनाफे से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
श्रम की दुनिया में विकृतियाँ
इसी तरह, संत पापा ने कहा कि श्रम के क्षेत्र में "विकृतियों" को इंगित करना आवश्यक है, जिसमें लैंगिक भेदभाव, युवा लोगों के लिए काम की अनिश्चितता और "अतिरेक की संस्कृति" जैसे विचलन शामिल हैं। उन्होंने श्रमिकों की सुरक्षा और श्रमिकों के शोषण पर भी अपनी चिंता व्यक्त की।
"कार्यस्थल पर अभी भी बहुत अधिक मौतें, विकृतियाँ और चोट लगती हैं!"
संत पापा फ्राँसिस ने जोर देकर कहा कि यूनियनों को "बेजुबानों की आवाज" कहा जाता है, इसलिए "आपको उन लोगों को आवाज देने के लिए शोर करना होगा जिनकी कोई आवाज नहीं है।" उन्होंने विशेष रूप से, युवाओं की देखभाल करने के लिए यूनियनों को धन्यवाद दिया, " जिन्हें अक्सर अनिश्चित, अपर्याप्त और गुलाम बनाने वाले अनुबंधों के लिए मजबूर किया जाता है" और "हर उस पहल के लिए जो सक्रिय श्रम नीतियों को बढ़ावा देती है और लोगों की गरिमा की रक्षा करती है।"
अन्य अवसरों की तलाश में अपनी नौकरी छोड़ने के लिए युवा और बुजुर्गों की प्रवृत्ति को पहचानते हुए, संत पापा ने जोर देकर कहा कि इसे "डिसइंगेजमेंट" (अलगाव) के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि "काम को मानवीय बनाने" के आह्वान के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूनियन इस क्षेत्र में सक्रिय हो सकते हैं, काम की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना और लोगों को उनकी प्रतिभा के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियों को खोजने में मदद करना।
काम की दुनिया के प्रहरी
संत पापा फ्राँसिस ने तब संघ के सदस्यों को "काम की दुनिया के प्रहरी" बनने, गठबंधन बनाने और कार्यस्थल में शांति को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया। "शांति के लिए शिक्षित करना, यहां तक कि कार्यस्थल में भी, जो अक्सर संघर्ष से चिह्नित होता है, हर किसी के लिए, और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आशा का संकेत बन सकता है।"
संत पापा ने संघियों को गरीबों, प्रवासियों, कमजोरों और विकलांग लोगों और बेरोजगारों के पक्ष में उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हुए अपना संबोधन समाप्त किया और उन्होंने उन्हें उन लोगों की भी देखभाल करने के लिए आमंत्रित किया जो यूनियनों में शामिल नहीं होने का चुनाव करते हैं क्योंकि यूनियनों ने अपना विश्वास खो दिया है; साथ ही उन्हें "युवा जिम्मेदारी के लिए जगह बनाने" को कहा। संत पापा ने अंत में उन्हें अपने संरक्षक संत जोसेफ की सुरक्षा में समर्पित किया।
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