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संत पापाः आंतरिक शांति निर्णय की सुदृढ़ता

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में आत्म-परीक्षण के संबंध में आंतरिक शांति को सही निर्णय का मापदण्ड बतलाया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन संत पापा पौल षष्टम् के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

आत्म-परीक्षण की प्रक्रिया में, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने निर्णय के उपरांत होने वाली बातों पर गौर करें। संत पापा ने कहा कि मुझे एक निर्णय लेना है, इसके लिए मैं प्रार्थना करता और आत्म-परीक्षण करते हुए इस प्रक्रिया के अंत में निर्णय लेता हूँ। इस प्रक्रिया के बाद में हमें चाहिए कि हम ध्यानपूर्वक निशानियों को देखें जो हमारे निर्णय को उचित होने की सुदृढ़ता प्रदान करती हैं या उसे अनुचित निरुपित करती हैं। यह इसलिए क्योंकि बहुत बार हमारे जीवन के सही और गलत निर्णय कुछ निशानियों के द्वारा अपनी सुदृढ़ता को प्राप्त करते हैं।

समय की मौलिकता

वास्तव में, हमने इस बात पर गौर किया कि समय कैसे अपने में एक आधारभूतशिला होती जिसके फलस्वरुप हम ईश्वर की वाणी को बहुत सारी आवाजों के बीच में पहचानते हैं। केवल वे ही समय के ईश्वर हैं, जो उनकी वास्तविकता की एक मैलिक निशानी है, जो उन्हें दूसरी कमियों से अगल करती है। एक अच्छे आत्मा के कार्यों की सुनिश्चित निशानी हमारे लिए यह है कि यह हमारे लिए अनंत शांति लाती है। एक लम्बी गोता लगाने के बाद यदि आप निर्णय लेते और इसके द्वारा एक बड़ी शांति का अनुभव करते हैं तो यह एक अच्छी निशानी है कि आप ने एक सुन्दर मार्ग का चयन किया है। एक शांति जो हमारे लिए सामंजस्य, एकता, जोश और उत्साह लाती है।

हमारी सहभागिता

संत पापा ने प्रार्थना करने के निर्णय को एक उदाहरण स्वरुप प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि मैं आधा घंटा प्रार्थना में व्यतीत करने का निर्णय लेता हूँ, इसके बाद मैं पूरे दिन को बेहतर तरीके से व्यतीत करने में सक्षम होता हूँ। मैं अपने को शांति में पाता हूँ, चिंताएँ मुझमें कम हो जाती हैं, मैं अपने कार्यों को उत्साह और अधिक बेहतर ढ़ंग से करता हूँ, मेरा संबंध कुछ मुश्किल लोगों के संग भी सहज हो जाता है... तो ये सारी बातें मुझे उस अच्छे निर्णय की ओर इंगित कराती हैं। आध्यात्मिक जीवन हमारे लिए गोलाकार होता है, क्योंकि अच्छी चीजों का चुनाव हमारे पूरे जीवन के लिए लाभदायक होता है। यह इसलिए क्योंकि इसके द्वारा हम ईश्वर की सजृनात्मकता में सहभागी होते हैं।

हमारे लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो निर्णय के उपरांत हमारे लिए चीजों की सुस्पष्टता प्रकट करती हैं विशेष रुप से हमारा निर्णय सही है या नहीं। इसके संबंध में हमने कुछ चीजों पर अपनी धर्मशिक्षा माला में पहले ही जिक्र किया है, लेकिन हम उनके संबंध में कुछ और बातों को देख सकते हैं।

स्वतंत्रता की अनुभूति

संत पापा ने कहा कि पहले स्थान में हम यह देखते हैं कि हमारा निर्णय ईश्वरीय प्रेम के उत्तरानुरूप, उदारता में है या नहीं। यह भय, मनोभावओं के ब्लैकमेल या दबाव में उत्पन्न नहीं होता है बल्कि यह कृतज्ञता में ईश्वर से मिले उपहार के कारण होता है जो हमारे हृदय को उद्वेलित करता और हम उनके संग स्वतंत्र रुप में एक संबंध स्थापित करते हैं।

हमारा अस्तित्व

एक दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य जीवन में अपने अस्तित्व का एहसास, जहाँ हम अपने को ईश्वरीय बृहृद योजना के अंग स्वरुप पाते हैं, यह हममें कुछ करने की चाह उत्पन्न करता है। संत पेत्रुस के प्रांगण में दो खास केन्द्र-बिन्दु हैं जहाँ से हम सारे स्तंभों को सर्वश्रेष्ठ संरेखित देख सकते हैं। उसी भांति एक व्यक्ति जब अपने को व्यवस्थित पाता तो उसे इस बात का एहसास होता है कि उसे वह मिल गया है जिसकी खोज वह कर रहा है, वह अपने जीवन की बहुत सारी बातों में सामंजस्य की वृद्धि पाता है, वह अपने जीवन में महत्वपूर्ण बातों को क्रमशः व्यवस्थित करता है, वह सहज ही ऐसा कर लेता और अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना उत्साह और धैर्य से करता है।

हमारी अच्छाई ईश्वर जानते हैं 

निर्णय की सुदृढ़ता के संबंध में एक दूसरी अच्छी निशानी यह है कि वह अपने निर्णय के संबंध में अपने को स्वंतत्र पाता है, इसके बारे में स्वयं से प्रश्न कर सकता है, असंभावना की स्थिति में वह तत्परता में उसका परित्याग कर सकता है, उन सारी परिस्थितियों में वह ईश्वरीय योजना को जानने की कोशिश करता है। यह इसलिए नहीं कि वे हमें उन चीजों से वंचित करने की चाह रखते हैं जो हमारे लिए प्रिय हैं बल्कि इसलिए कि हम बिना आसक्ति में स्वतंत्रतापूर्वक जीवनयापन कर सकें। केवल ईश्वर जानते हैं कि हमारे लिए क्या सचमुच अच्छा है। किसी चीज के प्रति स्वामित्व का भाव अच्छाई का शत्रु होता जो प्रेम को खत्म कर देता है-घरेलू संदर्भ में हिंसक घटनाएँ जिनकी चर्चा हम दर्भाग्यपूर्ण ढ़ंग से अखबारों में देखते हैं, सदैव प्रेम को अपने अधिकार में करने के कारण होता है। किसी को सदैव सुरक्षा में रखने की चाह उसकी स्वतंत्रता को नष्ट करती, जीवन का गला घोंट देती और उसे नरक बना देती है।

संत पापा ने कहा कि हम केवल स्वतंत्रता में प्रेम करने के योग्य होते हैं, यही कारण है कि ईश्वर ने हम सभों को स्वतंत्र बनाया है, जहाँ हम उन्हें भी नकार सकते हैं।

हमारी उदारता अर्थपूर्ण

हम जिन चीजों को सबसे अधिक प्रेम करते हैं उन चीजों को उन्हें देना हमें जीवन और उसकी सच्चाई को सही अर्थ में जीने के योग्य बनाता है। उन्होंने जीवन का दान हमें अपनी उदारता में एक मुफ्त उपहार स्वरुप दिया है, जहाँ हम अपने जीवन के इतिहास और सारी चीजों को उनके करूणमय हाथों में पाते हैं। धर्मग्रंथ बाईबल इसे हमारे लिए ईश्वर का भय कहता है, यह उनसे डरना नहीं बल्कि उनपर श्रद्धा रखना, उन्हें आदार देना हैं। आदार हमारे लिए विवेक रुपी उपहार को धारण करने हेतु एक अपरिहार्य परिस्थिति है। यह भय है जो हमारे जीवन से अन्य सभी भयों को दूर कर देता है क्योंकि यह उस ईश्वर की ओर अभिमुख होता जो सभी चीजों के स्वामी हैं। उनकी उपस्थिति में हमें कोई भी चीज विचलित नहीं कर सकती है। संत पौलुस इस बात को आश्यर्यजनक रुप में अनुभव करते हुए कहते हैं, “मैं दरिद्रता और सम्पन्नता दोनों से परिचित हूँ। चाहे परितृप्ति हो या भूख, समृद्धि हो या अभाव-मुझे जीवन के उतार-चढ़ाव का पूरा अनुभव है। जो मुझे बल प्रदान करते हैं, मैं उनकी सहायता से कब कुछ कर सकता हूँ।” वे स्वतंत्र व्यक्ति हैं जो सभी परिस्थितियों में ईश्वर की महिमा करते हैं।

निर्णय की जटिलता

हम इस बात को अनुभव करते हैं कि एक अच्छा निर्णय लेना अपने जटिल है, और यह हमारे लिए इस बात से सुनिश्चित कराती है कि हम अपने स्वास्थ्य, भविष्य, अपने प्रियजनों, योजनाओं को अपने में नियत्रित नहीं कर सकते हैं। हमारे लिए जरुरी यह है कि हम अपने विश्वास को दुनिया के सृजनहार में बनाये रखें, जो हमें अतुल्य प्रेम करते हैं और जो यह जानते हैं कि हम उनके साथ कुछ आश्चर्यजनक चीजों का निर्माण कर सकते हैं, जो अनंत है। संतों का जीवन इसे हमारे लिए अति सुन्दर ढ़ंग से प्रस्तुत करता है। हम इस तरह निर्णयों को लेते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ें, हमारे हृदय के अंदर होने वाली बातों के लिए प्रार्थना करते हुए जीवन में धीरे-धीरे आगे बढ़े।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों के संग हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। 

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07 December 2022, 14:48