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जब स्कूल्स फॉर पीस नेशनल नेटवर्क के सदस्य सन्त पापा फाँसिस से मिले, 28.11.2022 जब स्कूल्स फॉर पीस नेशनल नेटवर्क के सदस्य सन्त पापा फाँसिस से मिले, 28.11.2022  

सन्त पापा ने किया शांति हेतु एक साथ मिलकर चलने का आह्वान

सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व में शांति स्थापना हेतु हर कठिनाई का सामना एकजुट होकर करने का आह्वान किया है। वाटिकन ने शुक्रवार, 16 दिसम्बर को सन्त पापा के विश्व शांति सन्देश 2023 की प्रकाशना कर दी। काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित विश्व शांति दिवस प्रत्येक वर्ष पहली जनवरी को मनाया जाता है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 16 दिसम्बर 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व में शांति स्थापना हेतु हर कठिनाई का सामना एकजुट होकर करने का आह्वान किया है। वाटिकन ने शुक्रवार, 16 दिसम्बर को सन्त पापा के विश्व शांति सन्देश 2023 की प्रकाशना कर दी। काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित विश्व शांति दिवस प्रत्येक वर्ष पहली जनवरी को मनाया जाता है।  

शांति पथ पर एक साथ  

पहली जनवरी 2023 को मनाये जानेवाले विश्व शांति दिवस के लिये प्रकाशित अपने सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने आग्रह किया है कि विश्व में व्याप्त कठिनाइयाँ जैसे कोविद महामारी तथा युद्ध से लड़ने के लिये यह ज़रूरी है कि हम सब एकसाथ मिलकर शांति पथ पर आगे बढ़ें।     

सन्त पापा ने लिखा, "जब दुखद घटनाएँ हमारे जीवन को अभिभूत करने लगती हैं, और हम स्वतः को अन्याय एवं  पीड़ा के अन्धकारपूर्ण भंवर में फँसा हुआ महसूस करते हैं, तो हमें अपने हृदयों को आशा के लिए खुला रखने और ईश्वर पर भरोसा रखने के लिए आमंत्रित किया जाता है, इसलिये कि ईश्वर सदैव हमारे संग उपस्थित रहते तथा कोमलता के साथ हमारी थकान में हमें सम्भालते हैं और इससे भी बढ़कर वे हमें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।"

सबसे सब समय जागते रहने का आह्वान कर सन्त पापा फ्राँसिस ने थेसलनीकियों को प्रेषित सन्त पौल के पहले पत्र के प्रथम दो पदों से अपना शांति सन्देश आरम्भ किया, "भाइयो, आप लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्रभु का दिन, रात के चोर की तरह, आयेगा, इसलिये इसके निश्चित समय के विषय में आपको कुछ लिखने की ज़रूरत नहीं है।"

सन्त पापा ने कहा कि सन्त पौल के शब्द सतर्क रहने तथा भय, दुःख या त्याग में पीछे हटने अथवा व्याकुलता या हतोत्साह के आगे न झुकने का निमंत्रण है। इसके विपरीत, सन्त का आग्रह है कि सबसे अंधेरे समय में भी हम निगरानी रखने वाले प्रहरी की तरह बने रहें तथा भोर के पहले प्रकाश को देखने के लिए तैयार रहें।

कोविद महामारी से सीख

उन्होंने कहा कि विगत तीन वर्षों से विश्व, कोविद महामारी से, लड़ता रहा जिसने हमारे दैनिक जीवन को अस्थिर किया, हमारी योजनाओं और दिनचर्या को अस्त-व्यस्त कर दिया, और यहाँ तक कि सबसे समृद्ध समाजों में भी शांति को भंग कर दिया। कई श्रमिकों ने अपने रोज़गार खो दिये और कई व्यावसाय लॉकडाऊन के कारण बन्द हो गये। इसके अतिरिक्त, यह महामारी बड़ी संख्या में हमारे भाइयों और बहनों की मृत्यु का कारण बनी।

सन्त पापा ने कहा कि सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि हमने कोविद महामारी से सीखा क्या? उन्होंने कहा, "तीन वर्ष बाद, सवाल करने, सीखने, आगे बढ़ने और ख़ुद को व्यक्तियों और समुदायों के रूप में रूपान्तरित करने का सही समय है; यह "प्रभु के दिन" की तैयारी के लिए एक सौभाग्यशाली क्षण है।"

सन्त पापा ने कहा, "संकटकाल से हम पहले जैसे कभी नहीं निकलते: हम या तो बेहतर बनते हैं या फिर पहले से भी खराब निकलते हैं, इसीलिये आज हमसे प्रश्न किया जाता है कि कोविद महामारी से हमने क्या सीखा? पुरानी आदतों की बेड़ियों को तोड़ने, बेहतर तरीके से जीने और नई चीजों की हिम्मत करने के लिए हमें कौन से नए रास्ते अपनाने चाहिए? हम जीवन और आशा के कौन से लक्षण देख सकते हैं, जो हमें आगे बढ़ने में मदद करें और हमारी दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की कोशिश करें?"

सार्वभौमिक मूल्यों की तलाश

सन्त पापा ने कहा कि कोविद महामारी के अनुभवों से हम यह निश्चित्त रूप से कह सकते हैं कि हमसब को एक दूसरे की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारा सबसे बड़ा और सबसे नाजुक खज़ाना ईश सन्तान रूप में भाइयों और बहनों के सदृश हमारी साझा मानवता है, क्योंकि हममें से कोई भी अकेला अपने आप को नहीं बचा सकता, हमें एक दूसरे की ज़रूरत है। परिणास्वरूप, हमें तत्काल एक साथ मिलकर उन सार्वभौमिक मूल्यों की तलाश करने और उन्हें बढ़ावा देने की आवश्यकता है जो इस मानव बिरादरी के विकास का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

कोविद महामारी के बाद विश्व में उभरी समस्याओं के प्रति ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा,  "हमें उन कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए जो शांति को आगे बढ़ाते तथा उन संघर्षों और युद्धों को समाप्त करते हैं जो ग़रीबी और मृत्यु को प्रश्रय देते हैं।"

विविध समस्याओं में शांति की खोज

उन्होंने कहा, "हमें अपने आम घर की देखभाल करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्पष्ट और प्रभावी उपायों को लागू करने में तत्काल शामिल होने की आवश्यकता है। हमें असमानता के वायरस से लड़ने और सभी के लिए भोजन और सम्मानित श्रम सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, उन लोगों को समर्थन देने की ज़रूरत है जिनके पास न्यूनतम वेतन भी नहीं है और जो बड़ी मुश्किल में जीवन यापन कर रहे हैं।"

इसके अतिरिक्त, सन्त पापा ने आप्रवासियों के स्वागत तथा उनके समाज में एकीकरण के  लिए उपयुक्त नीतियों को विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि केवल इन स्थितियों के प्रति उदार प्रतिक्रियाओं द्वारा तथा ईश्वर के अनंत और दयालु प्रेम से प्रेरित परोपकारिता के साथ, हम एक नई दुनिया का निर्माण करने तथा ईशराज्य उसके राज्य के विस्तार में योगदान करने में सक्षम होंगे, जो प्रेम, न्याय और शांति का राज्य है।

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16 December 2022, 11:16