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सन्त पापा फ्राँसिस आम दर्शन  समारोह के अवसर पर, तस्वीरः 30.11.2022 सन्त पापा फ्राँसिस आम दर्शन समारोह के अवसर पर, तस्वीरः 30.11.2022  

काथलिक शिक्षक मानवता की सेवा में संवाद को बढ़ावा दें

संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक शिक्षा सम्बन्धी अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय के महासचिव को एक संदेश भेजकर मानवता की सेवा में संवाद को बढ़ावा देने हेतु काथलिक शिक्षा की भूमिका का समर्थन किया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 2 दिसम्बर 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक शिक्षा सम्बन्धी अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय के महासचिव को एक संदेश भेजकर मानवता की सेवा में संवाद को बढ़ावा देने हेतु काथलिक शिक्षा की भूमिका का समर्थन किया है।

पुलों के निर्माण का आह्वान

सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस लिखते हैं कि काथलिक शिक्षा कार्यक्रमों और संसाधनों को एक ऐसे शब्द को आवाज देनी चाहिए जो हमसे परे जाता हो तथा श्रेषठकर हो और साथ ही सभी धर्मों के लोगों के बीच संवाद के पुलों का निर्माण करते हुए उनकी अखंडता में व्यक्तियों का निर्माण करता हो।

फ्राँस के मारसेल शहर में काथलिक शिक्षा सम्बन्धी अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय की बैठक जारी है जिसमें भाईचारे वाली मानवता के निर्माण हेतु रिश्तों के ताने-बाने को बहाल करने में काथलिक शिक्षकों की भूमिका पर विशद विचार विमर्श किया जा रहा है।

कार्यालय के महासचिव फिलिप रिचर्ड को भेजे सन्देश में सन्त पापा शिक्षा को कलीसियाई जीवन का अनिवार्य अंग निरूपित करते हुए कहते हैं कि एक ख्रीस्तानुयायी के लिये शिक्षा एक दायित्व और एक चुनौती है, साथ ही "यह उस नबूवती भूमिका में भाग लेने का भी एक तरीका है जिसे प्रबु येसु मसीह ने कलीसिया के लिये छोड़ा है।"  

ईश वचन को आवाज़ दें

सन्त पापा ने कहा, "जब हम शिक्षा के करीब आते हैं तो हम केवल उसके मानवीय पक्ष के बारे में सोच कर केवल  कार्यक्रमों, प्रशिक्षण, संसाधनों और स्वागत के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते इसलिये कि ख्रीस्तीय बुलाहट  हमें उस शब्द को आवाज देने हेतु हमारा आह्वान करती है जो हमारा नहीं है, बल्कि जो हमसे परे है तथा हमसे श्रेष्ठकर है।"

उन्होंने शिक्षकों और शैक्षिक कार्यक्रमों को तैयार करने वालों को आमंत्रित किया कि वे व्यक्तियों के प्रशिक्षण में वे सदैव व्यक्तियों की अखंडता के गठन के प्रति चौकस रहें, जिसका अर्थ न केवल ज्ञान प्राप्त करने के लिए उपकरण प्रदान करना है, बल्कि "स्वयं को जानना और अन्यों को तथा स्वयं को प्यार करने में सक्षम होने के रूप में पहचानना भी है।"

उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका अर्थ न तो धर्मान्तरण है और न ही उन लोगों को अलग करना है जो हमारे समान नहीं सोचते हैं। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया "स्कूल को अखण्ड रूप में जीवन में एक सबक के रूप में आकार दिया जाना चाहिये चाहिए जिसमें परिवार या समाज जैसे अन्य निकायों के साथ घनिष्ठ सहयोग में विभिन्न तत्व एकीकृत होते हैं।"

काथलिक स्कूलों की अस्मिता

सन्त पापा ने कहा कि इस तरह, हमारे स्कूलों की पहचान "खुद को उपस्थित करने और संवाद में प्रवेश करने में सफल होगी। हमारे स्कूल एक ऐसा शब्द बन सकेंगे विश्वासियों के लिये एक चुनौती हो सकता है किन्तु गैर-ख्रीस्तीयों के साथ संवाद के पुल का निर्माण करने में  सक्षम बन सकते हैं।"

इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कि ईश्वर के साथ सहभागिता में हम ख्रीस्तीय मानव जाति की सेवा में एक सामान्य योजना हेतु काम करने के लिये बुलाये गये हैं, सन्त पापा ने कहा कि "हमारी कक्षाएं कोई इकाई नहीं है और न ही हमारे स्कूल जलरोधी डिब्बे नहीं हैं,"  इसलिये हम काथलिक शिक्षक अपने "मतभेदों के बावजूद" सबके कल्याण के लिये काम करें। 

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02 December 2022, 12:00