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रोम एवं विश्व को पोप का संदेश : प्रभु का जन्म शांति का जन्म है

ख्रीस्त जयन्ती के अवसर पर अपने परम्परागत संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने रेखांकित किया कि येसु का जन्म हमारे जीवन और हमारी दुनिया में, शांति का मार्ग दिखलाता है तथा बालक येसु के चेहरे पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित करता है, साथ ही येसु के गहरे प्यार से प्रेरित होने के लिए आमंत्रित करता है ताकि हमारे हृदय में शांति उत्पन्न हो सके और हम सभी लोगों को उनकी शांति बांट सकें।

सि. उषा मनोरमा तिरकी, सि. अनुग्रह मिंज-वाटिकन सिटी

क्रिसमस महोत्सव के अवसर पर २५ दिसम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने, वाटिकन के झरोखे से रोम और विश्व के नाम अपना संदेश जारी किया। उन्होंने पूरे विश्व को सम्बोधित कर कहा, ² रोम और विश्वभर के प्यारे भाइयो एवं बहनो, ख्रीस्त जयन्ती मुबारको हो।²

कुँवारी मरियम से जन्मे प्रभु येसु ख्रीस्त, आप सभी को ईश्वर के प्रेम का वरदान प्रदान करें, जिसकी घोषणा स्वर्गदूतों ने बेतलेहेम में गड़ेरियों के लिए किया, ² स्वर्ग में ईश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उनके कृपापात्रों को शांति मिले।² (लूक.२,१४)

रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश
रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश

ईश्वर हमारे साथ

इस महापर्व के दिन, हम अपनी नजर बेतलेहेम की ओर उठाते हैं। प्रभु एक गोशाले से होकर इस दुनिया में आये और जानवरों की चरनी पर लेटे, क्योंकि जब मरियम के जन्म देने का समय आया, उनके माता -पिता को सराय में जगह नहीं मिली। वे हमारे बीच चुपचाप और अंधेरी रात में आये क्योंकि ईश्वर को किसी विशेष प्रकाश या मानव की ऊंची आवाज की आवश्यकता नहीं था। वे स्वयं एक शब्द हैं जो जीवन को अर्थ प्रदान करते, प्रकाश हैं जो हमारे रास्ते को आलोकित करते। वे सच्चे प्रकाश हैं जो सभी को ज्योति प्रदान करते हैं- सुसमाचार हमें बतलाता है – ²वे दुनिया में आ रहे थे।² (यो.१,९)  

येसु हमारे बीच जन्म लिये हैं; वे ईश्वर हमारे साथ हैं। वे हमारे दैनिक जीवन में हमारा साथ देने, हमारे साथ सब कुछ साझा करने : हमारा आनन्द और दुःख, आशा एवं डर बांटने आते हैं। वे एक असहय बच्चे के रूप में आते हैं। वे एक ठंढ़ी रात में, गरीबों के बीच जन्मे हैं। हर चीज की आवश्यकता में वे हमारे हृदय में दस्तक देते हैं ताकि ऊष्मा और आश्रय पा सकें।   

रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश
रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश

हमारे लिए ईश्वर के चिन्ह को देखें

बेतलेहेम के चरवाहों के समान, प्रकाश से जगमगाते, उस चिन्ह को हम देखने जाएँ जिसको ईश्वर ने हमारे लिए दिया है। हम अपनी आध्यात्मिक निंद्रा से जागें और पवित्रता की सतही चमक से ऊपर उठें जो हमें यह भूलने के लिए मजबूर करता है कि हम किसकी जयन्ती मना रहे हैं। हम उस शोर को छोड़ दें जो हमारे दिल को बेहोश करता और हमें हमारे लिए ईश्वर के पुत्र के जन्म पर चिंतन करने के बदले सजावट एवं उपहार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है।

संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, आइये हम अपनी नजर बेतलेहेम की ओर उठायें और शांति के राजकुमार के प्रथम हल्के रूदन को सुने। क्योंकि येसु सचमुच हमारी शांति हैं। वह शांति जिसे दुनिया नहीं दे सकती, शांति जिसे पिता ने अपने पुत्र को दुनिया में भेजकर मानव को प्रदान किया है।“ संत लेओ महान ने इस दिन के संदेश का सार इस प्रकार दिया है “प्रभु का जन्म शांति का जन्म है।“ येसु ख्रीस्त शांति के मार्ग भी हैं। उन्होंने अपने शरीरधारण, दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान के द्वारा उस रास्ते को खोल दिया है जो अपने आपमें बंद और युद्ध एवं शत्रुता की अंधेरी छाया से घिरी दुनिया से, एक ऐसी दुनिया की ओर ले जाती है जो खुली है और भाईचारा एवं शांति को जीने के लिए स्वतंत्र है। आइये, हम उसी रास्ते पर आगे बढ़ें। हमें ऐसा कर पाने, येसु के पीछे चल पाने के लिए, अपने आपके बोझ को छोड़ना होगा जो हमें नीचे झुकाता एवं हमारे रास्ते को बंद कर देता है।“

रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश
रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश

वे बोझ क्या हैं? वे खतरनाक बोझ कौन सी हैं? उन्हीं नकारात्मक शक्तियों ने सत्ता और धन, घमंड, पाखंड और झूठ से आसक्त राजा हेरोद और उसके राजदरबार को बालक येसु को पहचानने और स्वीकार करने से रोका। ये शक्तियाँ हमें भी बेतलेहेम जाने से रोकती हैं, क्रिसमस की कृपा से वंचित कर देती हैं और शांति के रास्ते के प्रवेश द्वार को बंद कर देती हैं। निश्चय ही, हमें दुःख के साथ यह स्वीकार करना पड़ेता है कि भले ही हमें शांति के राजकुमार दिये गये हों, युद्ध की बर्फीली हवाएँ मानवता को झकझोरती रहती हैं।

शांति का जन्म

यदि हम इस क्रिसमस को, येसु एवं शांति का जन्म चाहते हैं, तो हम बेतलेहेम को देखें, उस बालक के चेहरे को देखें जो हमारे लिए जन्में हैं। और उस छोटे एवं निर्दोष चेहरे में, हम सभी बच्चों के चेहरे को देखें, जो दुनिया में सभी ओर शांति के लिए तरस रहे हैं।

आइये, हम हमारे यूक्रेनी भाइयों एवं बहनों के चहरे को भी देखें, जो इस क्रिसमस को दस महीनों से जारी युद्ध के कारण अंधेरे और ठंढ में, अपने घरों से दूर मना रहे हैं। प्रभु हमें उन सभी पीड़ितों की सहायता के लिए एकजुटता के ठोस कार्यों के लिए प्रेरित करें, और उन लोगों के मन को प्रबुद्ध करें जिनके पास हथियारों की गड़गड़ाहट को शांत करने और इस मूर्खतापूर्ण युद्ध का तत्काल अंत करने की शक्ति है!

दुःख की बात है कि हम दुनियावी सोच-विचार से प्रेरित दूसरी सलाहों को मानना ​​पसंद करते हैं। फिर भी बालक की आवाज कौन सुन रहा है? 

रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश
रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश

पीड़ित लोगों की सच्ची मदद

 संत पापा ने कहा, “हमारा समय इस तीसरे विश्व युद्ध के अन्य क्षेत्रों और अन्य रंगमंचों में भी शांति के गंभीर अकाल का सामना कर रहा है। आइए, हम सीरिया के बारे में सोचें, जो अभी भी एक ऐसे संघर्ष से डरा हुआ है जो पृष्ठभूमि में चला गया है लेकिन समाप्त नहीं हुआ है। आइए, हम पवित्र भूमि के बारे में भी सोचें, जहां हाल के महीनों में हिंसा और टकराव बढ़े हैं, अनेक मौतें और अनेक लोगों के घायल होने की खबरें सामने आई हैं। आइए, हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि उनके जन्म की साक्षी वाली भूमि में इजरायल और फिलीस्तीनियों के बीच आपसी विश्वास बनाने के लिए संवाद और प्रयास फिर से शुरू हो सकें। बालक येसु मध्य पूर्व में रहने वाले ख्रीस्तीय समुदायों को संभालें, ताकि उनमें से प्रत्येक देश विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच भाईचारे के सह-अस्तित्व की सुंदरता का अनुभव कर सके। बालक येसु विशेष रूप से लेबनान की मदद करे, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद से और भाईचारे एवं एकजुटता से शक्ति से अंततः यह देश उभर सके। ख्रीस्त की ज्योति साहेल क्षेत्र को आलोकित करे, जहां लोगों और परंपराओं के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व संघर्ष और हिंसा द्वारा बाधित होता है। ख्रीस्त का प्रकाश यमन में एक स्थायी युद्धविराम और म्यांमार एवं ईरान को सुलह की ओर ले जाए। सभी तरह के रक्तपात का अंत करे। संत पापा ने विशेष रूप से हैती के लोगों को भी याद किया जो लंबे समय से पीड़ित हैं। बालक येसु अमेरिका में विभिन्न देशों द्वारा अनुभव किए जा रहे राजनीतिक और सामाजिक तनावों को शांत करने का प्रयास करने के लिए राजनीतिक अधिकारियों और सभी अच्छे लोगों को प्रेरित करे।

रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश
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शांति की भूख

संत पापा ने कहा कि आज के दिन, जब हम अच्छी तरह से सजी हुई खाने की मेज के चारों ओर बैठते हैं, तो हम बेथलहम को याद किये बिना नहीं रह सकते, एक शहर जिसका नाम "रोटी का घर" है, हम उन सभी के बारे में सोचें, खासकर बच्चे, जो भूखे रह जाते हैं जबकि भारी मात्रा में भोजन रोज बर्बाद हो रहा है और हथियारों को खरीदने के लिए बड़ी मात्रा में संसाधन खर्च किया जा रहा है। यूक्रेन में युद्ध ने इस स्थिति को और बदतर बना दिया है, जिससे पूरे लोगों पर, खासकर अफगानिस्तान और हॉर्न ऑफ अफ्रीका के देशों में अकाल का खतरा मंडरा रहा है। संत पापा ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि हर युद्ध भूख का कारण बनता है और भोजन को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है, जो पहले से ही पीड़ित लोगों को इसके वितरण में बाधा डालता है। इस दिन, आइए, हम शांति के राजकुमार से सीखें और उन लोगों से शुरुआत करें जिनके पास राजनीतिक जिम्मेदारियां हैं, भोजन को पूरी तरह से शांति का साधन बनाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करें। और जैसा कि हम अपने प्रियजनों के साथ सजी मेज के चारों ओर इकट्ठा होने का आनंद लेते हैं, आइए, हम उन परिवारों के बारे में सोचें जो बड़ी कठिनाई का अनुभव करते हैं और जो आर्थिक संकट के इस समय में बेरोजगारी और जीवन की आवश्यकताओं की कमी के कारण संघर्ष कर रहे हैं।”

रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश
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सभी के प्रति एकात्मता

संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयों और बहनों, आज, येसु सच्ची ज्योति, इस उदासीनता से बीमार दुनिया में आते हैं, एक ऐसी दुनिया में जो उनका स्वागत नहीं करती (सीएफ, योहन 1:11) और वास्तव में उन्हें अस्वीकार करती है, जैसा कि कई विदेशियों के साथ होता है, या उनकी उपेक्षा की जाती है, जैसा कि हम सभी अक्सर गरीबों के साथ करते हैं। आज हम उन कई विस्थापितों और शरणार्थियों को नहीं भूल सकते जो आराम, गर्मी और भोजन की तलाश में हमारे दरवाजे पर दस्तक देते हैं। आइए, हम हाशिए पर रहने वाले, अकेले रहने वालों, अनाथों, अनुभवी बुजुर्गों को याद करें और उन कैदियों को भी न भूलें, जिन्हें हम हमारे साथी पुरुषों और महिलाओं के रूप में नहीं, अपितु केवल उनकी गलतियों को देखते हैं।

खुला हृदय

संत पाप ने कहा कि बेतलेहेम हमें ईश्वर की सरलता दिखाता है, जिन्होंने बुद्धिमानों और ज्ञानियों के सामने नहीं, बल्कि दीन-हीन, शुद्ध और खुले हृदय वाले लोगों के सामने स्वयं को प्रकट करते हैं। (सीएफ मत्ती 11:25) चरवाहों की तरह, आइए, हम भी शीघ्रता से निकल पड़ें और ईश्वर की उस अकल्पनीय घटना से खुद को चकित होने दें जो हमारे उद्धार के लिए मनुष्य बन गये। वे, सभी अच्छाइयों का स्रोत, खुद को गरीब बनाते हैं, हमारी अपनी गरीब मानवता के बीच गरीब बनकर आते हैं। आइए, हम ईश्वर के प्रेम से खुद को गहराई से प्रेरित होने दें। आइए, हम येसु के पीछे चलें, जिसने अपनी महिमा से अपने आप को नीचे उतार दिया ताकि हम उसकी परिपूर्णता में सहभागी हो सकें।

रोम एवं विश्व को पोप फ्रांँसिस का संदेश
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25 December 2022, 15:40