खोज

काथलिक शिक्षकों के विश्वसंघ (डब्ल्यूयूसीटी) से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस काथलिक शिक्षकों के विश्वसंघ (डब्ल्यूयूसीटी) से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस  

पोप ने शिक्षकों को वैचारिक उपनिवेशीकरण के खिलाफ चेतावनी दी

काथलिक शिक्षकों के विश्वसंघ (डब्ल्यूयूसीटी) से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक शिक्षकों को सलाह दी कि वे एक पूर्ण मानव एवं पूर्ण ख्रीस्तीय बनें जबकि चेतावनी दी कि वे वैचारिक उपनिवेशीकरण से बचें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 12 नवम्बर 2022 (रेई) ˸ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को वाटिकन में काथलिक शिक्षकों के विश्वसंघ से मुलाकात की। जो अपने संघ की आमसभा के लिए रोम में एकत्रित हैं। सभा में नये कार्यकारी समिति का चुनाव किया जाएगा।

काथलिक शिक्षकों के विश्वसंघ की स्थापना 1951 में काथलिक शिक्षकों को एक साथ लाने के लिए एक नेटवर्क के रूप में किया गया है। जिसका उद्देश्य है स्कूल और शिक्षा जगत में कलीसिया के शिक्षकों को अध्ययन एवं शोध कार्य में सहयोग देना। इसकी प्राथमिकता है एक शैक्षणिक प्रणाली तैयार करना जिसमें अभिभावक, शिक्षक और विद्यार्थी शामिल हों ताकि शैक्षणिक समुदाय में सभी को सही जिम्मेदारी मिल सके।  

"पोप के सहयोगी"

अपने सम्बोधन में संत पापा ने पुरानी समिति के सदस्यों को उनके निष्ठापूर्ण एवं उदार सेवा के लिए धन्यवाद दिया तथा संघ को प्रोत्साहन दिया कि वे आज की विभिन्न चुनौतियों का सकारात्मक रूप देखें जो नेतृत्व को विशेष रूप से प्रभावित करता है।  

उन्होंने गौर किया कि "पोप के सहयोगियों" के रूप में संघ का मिशन, काथलिक शिक्षकों को प्रोत्साहित एवं प्रेरित करना है कि वे एक शिक्षक एवं विश्वास के साक्षी के रूप में अपने मिशन के महत्व के प्रति सचेत हो सकें, व्यक्तिगत रूप में एवं सामूहिक रूप में भी।

उन्होंने कहा, "इस तरह आप अकादमी की दुनिया में कलीसिया की सेवा को काथलिक शिक्षकों को विश्वास में समर्थन देने के लिए प्रस्तुत करते हैं, ताकि वे अपना काम कर सकें और उत्तम तरीके से गवाही दे सकें, ऐसी स्थितियों में जो अक्सर संबंधपरक और संस्थागत स्तर पर जटिल होती हैं।

काथलिक शिक्षक पूर्ण मानव एवं पूर्ण ख्रीस्त बनने के लिए बुलाये गये

इस बात को याद करते हुए कि स्कूल समुदाय में काथलिक शिक्षकों का बड़ा महत्व है संत पापा ने काथलिक शिक्षकों को याद दिलाया कि वे पूर्ण मानव और पूर्ण ख्रीस्तीय होने के लिए बुलाये गये हैं। अतः उन्हें अति आध्यात्मिक और अलौकिक नहीं होना बल्कि अपने समय एवं संस्कृति पर आधारित होना चाहिए, ताकि वे विद्यार्थियों की सबसे बड़ी जरूरत, सवाल, भय और सपनों को समझ सकें। ख्रीस्तीयता के बिना मानववाद नहीं है और न ही मानववाद के बिना ख्रीस्तीयता।

साथ ही, काथलिक शिक्षकों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वे अपने जीवन एवं वचन से ख्रीस्तीय विश्वास को प्रकट करें जो "युवाओं के सपनों के पंखों को काटे बिना और उनकी आकांक्षाओं को प्रभावित किए बिना" सभी मानवीय अनुभवों को स्वीकार करता है।

संत पापा ने याद किया कि कलीसिया की परम्परा में युवाओं की शिक्षा का एक लक्ष्य है, व्यक्ति के हर आयाम में, हरेक व्यक्ति का अभिन्न विकास ।

एक बड़ी जिम्मेदारी

संत पापा ने आगे जोर दिया कि शिक्षक जिनकी बड़ी जिम्मेदारी है, जो बड़े पदों पर हैं, बच्चों, किशोर और युवाओं के जीवन में चिन्ह छोड़ते हैं; बेहतर या बदतर।  

"हम सभी अपने व्यक्तिगत अनुभव से जानते हैं कि शिक्षा देने के काल में, अच्छे शिक्षक एवं बुद्धिमान गुरू बनना कितना महत्वपूर्ण होता है।"  

कठोरता शिक्षा का नष्ट करती है

संत पापा ने कहा कि शिक्षकों को यह भी जरूरी है कि वे अपनी प्रेरणाओं एवं पद्धतियों का लगातार मूल्यांकन करें। वे कठोर नहीं हो सकते क्योंकि कठोरता शिक्षा को नष्ट करती है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

12 November 2022, 17:34