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नेपोमुक के संत जोन नेपोमुक के संत जोन  

नेपोमुक सेमिनरी के सदस्यों से पोप ˸ शांति के निर्माता बनें

संत पापा फ्रांसिस ने परमधर्मपीठीय नेपोमुक सेमिनरी कॉलेज के सदस्यों का अभिवादन किया। रोम स्थिति यह सेमिनरी खासकर, चेक और स्लोवाकिया के लिए है। संत पापा ने उनसे मुलाकात करते हुए अपील की कि वे युद्ध और तनाव के इस समय में मुलाकात, शांति और वार्ता के लिए सेतु का निर्माण करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

परमधर्मपीठीय नेपोमुक कॉलेज के सेमिनरी छात्रों एवं शिक्षकों ने बृहस्पतिवार को संत पापा फ्राँसिस से वाटिकन में एक व्यक्तिगत मुलाकात की।

अपने सम्बोधन में संत पापा फ्राँसिस ने कॉलेज के संरक्षक नेपोमुक के संत जोन के साक्ष्य की याद की, जिन्होंने 14वीं शताब्दी में बोहेमिया में जीवन व्यतीत किया था।  

बोहेमिया की रानी के पापमोचक नेपोमुक के संत जोन ने राजा के लिए उस बात को प्रकट करने से इंकार कर दिया था जिसको रानी ने पापस्वीकार में कही थी।

इसके कारण संत को प्रताड़ित किया गया था और पवित्र संस्कार के प्रति दृढ़ निष्ठा के कारण एक पुल से फेंके जाने से उसकी मृत्यु हो गई थी।

संत पापा ने कहा कि यह साहस उन असंख्या धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों के लिए एक आदर्श है जिन्होंने कलीसिया के मिशन एवं अपनी बुलाहट पर विश्वस्त बने रहने के कारण राजा को नहीं कहा था।

संत पापा ने पुरोहितों को सलाह दी कि वे अपने ही जीवन को केंद्र में रखने के बदले येसु को रखें तथा हर प्रकार के दुनियावी नायकत्व के प्रलोभन से बचें।

ख्रीस्त को "हाँ" कहने का साहस करें

संत पापा ने कहा कि दृढ़ता और साहस नेपोमुक के संत जॉन की विशेषताएँ हैं जो सेमिनरियों के दृष्टिकोण में हमेशा होने चाहिए। उन्होंने कहा कि ये कलीसिया के मिशनरियों की सेवा के लिए एक "जीवित जड़" के समान हैं।   

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि दुनिया के दबावों के लिए "नहीं" कहने में सक्षम होना, मीडिया, राजनीतिक शक्तियों और सांस्कृतिक दबावों के माध्यम से भारी पड़ना, ख्रीस्तीय होने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कलीसिया एवं ख्रीस्त के लिए संत जॉन का "हाँ" हमारे लिए उदाहरण है कि हम दुनिया की शक्ति के ऊपर अपने अंतःकरण को प्राथमिकता दें।  

संत पापा ने कहा, "मैं उम्मीद करता हूँ कि परमधर्मपीठीय कॉलेज जो महान बोहेमियाई पुरोहित एवं शहीद के नाम को धारण करता है, हमेशा ख्रीस्त और पवित्र आत्मा के संबंध पर स्थापित स्वतंत्रता, आंतरिक आजादी का घर एवं स्कूल होगा।"

सेतु का निर्माण

नेपोमुक के संत जॉन की स्मृति का सम्मान करने का एक उपयुक्त तरीका, अपने भीतर "पुलों का निर्माण" करना और लोगों के विभिन्न समूहों के बीच संवाद करना जहां विभाजन और गलतफहमी है।

"हमें मुलाकात के विनम्र और साहसी साधन बनाने के लिए विभिन्न विरोधी लोगों और समूहों के बीच संवाद हेतु खुद को सेतु बनाने की जरूरत है।"

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "ख्रीस्त के सेवक की पहचान" में यह एक प्रमुख विशेषता है, जैसा कि "इतने सारे पुरोहितों और धर्माध्यक्षों" की कहानियों से स्पष्ट होता है, जिन्होंने संघर्ष और विभाजन के क्षणों के दौरान शांतिदूतों के रूप में सेवा की।

येसु केंद्र में

भाईचारा और संवाद के इन "पुलों" के निर्माण में पहला कदम, प्रार्थना या "ख्रीस्त के हृदय पर जोर से दस्तक देना" है।

पोप ने तब जनवरी 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान कार्डिनल मार्टिनी द्वारा दिए गए एक संदेश का उल्लेख किया: "मध्यस्थता का अर्थ है संघर्ष में दोनों पक्षों के बीच अपने आप को उस स्थान पर रखना, जहां संघर्ष हो रहा है। [...] यह क्रूस पर येसु ख्रीस्त का भाव है।"

संत पापा ने पुरोहितों को सलाह दी कि वे अपने जीवन को केंद्र में रखने के बजाय येसु को रखें तथा हर प्रकार के दुनियावी नायकत्व के प्रलोभन से बचें।

इस बात पर गौर करते हुए कि नेपोमुक कॉलेज कई अलग-अलग देश के विद्यार्थियों को शामिल करने में प्रगति की है, संत पापा ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि विविधता बेहतर "पुलों" के निर्माण का अभ्यास करने का एक तरीका है, जिससे वे मुलाकात की संस्कृति के सेवकों के रूप में,  दूसरों की मौलिकता, साथ ही साथ आम मानवता को समझने में सक्षम होते है।

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10 नवंबर 2022, 17:26