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इताली काथलिक एनजीओ, "अफ्रीका के साथ डॉक्टर्स कुआम्म" को सम्बोधित करते संत पापा फ्रांँसिस इताली काथलिक एनजीओ, "अफ्रीका के साथ डॉक्टर्स कुआम्म" को सम्बोधित करते संत पापा फ्रांँसिस 

पोप ने इताली काथलिक एनजीओ "कुआम्म" के कार्यों की सराहना की

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को इताली काथलिक एनजीओ, "अफ्रीका के साथ डॉक्टर्स कुआम्म" के 6 हजार सदस्यों से मुलाकात की जिन्होंने अफ्रीका में स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने हेतु रोम में एक वार्षिक सभा में भाग लिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 19 नवम्बर 2022 (रेई) ˸ "अफ्रीका के साथ डॉक्टर्स" द्वारा आयोजित सभा के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर संत पापा ने कहा कि उनका कार्य "दैनिक आहार" प्रदान करने के समान है।

कुआम्म की स्थापना 70 साल पहले 1950 में इटली के पादुआ शहर में हुआ था। वर्तमान में यह सात अफ्रीकी देशों में मौजूद है – जो अंगोला, इथियोपिया, मोजाम्बिक, दक्षिण सूडान, सिएरा लियोन, तंजानिया और युगांडा के अफ्रीकी अस्पतालों, नर्सिंग और मिडवाइफरी स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी में काम कर रहा है।

स्वास्थ्य, पहली चीज

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "आपका कार्य, 'हे पिता हमारे' की प्रार्थना में हम जो हर दिन मांगते हैं उसका ठोस अभ्यास है। हम पिता ईश्वर से याचना करते हैं˸ 'प्रतिदिन का आहार आज हमें दे।' और यह "आहर" स्वास्थ्य भी है।"

संत पापा ने कहा कि स्वास्थ्य, भोजन, पानी, मकान और रोजगार के समान एक प्राथमिक चीज है। और आप यह सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं कि यह दैनिक भोजन, 21वीं सदी के बहुत सारे भाई-बहनों के लिए कम न हो, जिन्हें सामान्य मौलिक स्वास्थ्य सुविधा नसीब नहीं है।

उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि आज हथियारों में अरबों खर्च किये जा रहे हैं। जब हम हे पिता हमारे की प्रार्थना में "प्रतिदिन का आहार आज हमें दे" कहते हैं, हमें अपनी प्रार्थना पर गौर करने की आवश्यकता है क्योंकि बहुत सारे लोगों को इस रोटी का केवल छोटा टुकड़ा मिलता है अथवा वह भी नहीं मिल पाता क्योंकि उनका जन्म दुनिया के किसी खास भाग में हुआ है।"

संत पापा ने उन माताओं की याद की जो बच्चों को सुरक्षित जन्म नहीं दे सकते और कई बार उन्हें अपनी जान गवाँनी पड़ती है अथवा अनेक बच्चे शिशु आवस्था में ही मौत के शिकार हो जाते हैं।  

मध्य अफ्रीका एवं दक्षिणी सूडान

संत पापा ने मध्य अफ्रीका और दक्षिणी सूडान की याद की। वे बहुत गरीब एवं कमजोर देश हैं जिन्हें दुनिया इस लिए महत्वपूर्ण मानती है क्योंकि वह उनके संसाधनों का लाभ उठाती है। जबकि ये देश प्रभु के लिए प्रिय हैं जिन्होंने मिशनरी डॉक्टरों को सुसमाचार के भले समारी का साक्ष्य देने भेजा है।  

संत पापा ने मिशनरियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि वे कठिन चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरें, सुदूर क्षेत्रों में जाएँ जहाँ हिंसा का डर है और जहाँ लोगों के लिए चिकित्सा सुविधा मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा, "उनके साथ रहें।" यदि वर्षों के मेहनत के बाद भी सफलता न मिले तो वे हताश-निराश न हों। सेवा और संवाद के लिए सभी से खुले, शांति और संघर्षों पर काबू पाने के साधन के रूप में दृढ़ बने रहें।

एक साथ कार्य करना

संत पापा ने अफ्रीका में कुआम्म के कार्यों की सराहना की जो स्थानीय कलीसिया एवं देश के संस्थानों के साथ हमेशा मिलकर कार्य करता है ताकि वहाँ के लोगों के बीच एकता, सहयोग एवं प्रोत्साहन को बढ़ावा दिया जा सके। शक्तियों के साथ जुड़कर एवं अनुभवों को साझा करते हुए, वे प्रत्येक की बेहतर सेवा कर सकते हैं। खासकर, ऐसे समय में जब कोविड -19 महामारी, युद्ध एवं आर्थिक संकट लोगों के जीवन पर भारी बोझ डाल रहा है, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण को बढ़ा रहा है। संत पापा ने इसे छिपा "युद्ध" कहा जिसको अक्सर अनदेखा किया जाता है एवं जिसका प्रभाव गरीबों पर सबसे अधिक पड़ता है।

संत पापा ने ईश्वर से कामना की कि "प्रभु इस रात्रि को पार करने में मदद दें, आपके हृदय में साहस प्रदान करते हुए इसे सबेरा में बदल दें, जो आशा के उन नन्हें अंकुरों को प्रकाशित करेगा जिसकी झलक हम देख रहे हैं और जिसका साक्ष्य आप खुद दे रहे हैं। अफ्रीका जो अनुभव कर रहा है उसकी आवाज बनने; गरीबों की छिपी एवं मौन पीड़ा को सतह में लाने के लिए धन्यवाद, जिसको आप अपने दैनिक जीवन की प्रतिबद्धता में पाते हैं।"

उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे अफ्रीका की आवाज बने रहें, जागरूकता लाते रहें, दुनिया को उनके संघर्ष एवं आशा के बारे बतलायें, दुनिया के अंतःकरण को जगायें जो अपने आप पर बहुत अधिक ध्यान देती और दूसरों पर बहुत कम। प्रभु अपने शोषित लोगों की पुकार सुनते हैं और हमें गरीबों के साथ एक नए भविष्य, विनम्रता और दृढ़ता के कारीगर बनने के लिए कहते हैं।"

नेताओं को बढ़ाना

अंत में, संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे युवाओं पर ध्यान दें, उन्हें प्रशिक्षण, सभाओं, विश्वविद्यालयों में आपसी आदान-प्रदान के कार्यक्रमों एवं विभिन्न प्रकार से प्रोत्साहित करें। ताकि वे अपने देशों में वर्तमान और भविष्य के अच्छे नायक हो सकें, जो मानव विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम नेताओं को आगे बढ़ा सकें।

"अफ्रीका के साथ डॉक्टर्स" को सम्बोधित करते संत पापा फ्राँसिस

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19 November 2022, 15:33