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विमान में पत्रकारों से बात करते संत पापा फ्राँसिस विमान में पत्रकारों से बात करते संत पापा फ्राँसिस 

पोप फ्राँसिस ˸ 'एक ही शताब्दी में तीन विश्व युद्ध ˸ शांतिवादी बनें'

बहरीन से रोम लौटने हुए विमान में संत पापा फ्राँसिस ने पत्रकारों से कई विषयों पर बातचीत की। उन्होंने अल अजहर के ग्रैंड ईमाम के साथ अपनी दोस्ती, महिलाओं के अधिकार एवं उनकी समानता सुनिश्चित करने के महत्व, आप्रवासी मुद्दे एवं बाल शोषण के खिलाफ, यूक्रेन एवं विश्व में युद्ध आदि विषयों पर प्रकाश डाला।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

फातिमा अल नाजेम, बहरीन न्यूज एजेंसी ˸ आपसे सवाल पूछने से पहले मैं आपको कुछ बतलाना चाहती हूँ। मेरे दिल में आपके लिए एक विशेष स्थान है, यह इसलिए केवल नहीं कि आपने मेरे देश का दौरा किया बल्कि इसलिए कि जब आप पोप चुने गये उस दिन मेरा जन्मदिवस था।

मेरा एक सवाल है ˸ बहरीन में आपकी ऐतिहासिक यात्रा के परिणाम को आप किस तरह देखते हैं और बहरीन के प्रयास को किस तरह देखते हैं जो बहरीन समाज के सभी क्षेत्रों में, सभी धर्मों, लिंगों और जातियों के सांप्रदायिक जीवन को मजबूत करने और बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है?

पोप फ्राँसिस ˸ ये मुलाकात की यात्रा थी क्योंकि इसका उद्देश्य निश्चय ही इस्लाम के साथ अंतरधार्मिक वार्ता में भाग लेना एवं बर्थोलोमियों के साथ ख्रीस्तीय एकता मुलाकात करना था। 

अल-अजहर के ग्रैंड इमाम द्वारा सामने रखे गए विचार, एकता की दिशा की खोज थी, इस्लाम के भीतर, बल्कि ख्रीस्तीय और अन्य धर्मों के साथ भी एकता लाना,  बारीक पृथकताओं और मतभेदों का सम्मान करते हुए। अंतरधार्मिक वार्ता या ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता में प्रवेश करने के लिए आपको खुद अपनी पहचान की जरूरत है। मैं मुस्लिम हूँ, मैं ख्रीस्तीय हूँ, मेरी पहचान ये है.. इस तरह आप अपने बारे बतला सकता हूँ। यदि आपकी पहचान परिभाषित नहीं है, यदि यह स्पष्ट नहीं है तो वार्ता में शामिल होना मुश्किल है क्योंकि आगे और पीछे कुछ नहीं है और इसलिए यह (पहचान होना) महत्वपूर्ण है। और ये दोनों (नेता) जो यहाँ आये, अल अजहर के ग्रैंड ईमाम और प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो दोनों की पहचान अत्यन्त प्रभावशाली है। और यह अच्छा है।

इस्लाम के दृष्टिकोण से, मैंने ग्रैंड ईमाम के तीन भाषणों को सुना और जिस तरह से वे अंतर-इस्लामिक संवाद पर जोर दे रहे थे, मतभेदों को मिटाने के लिए नहीं बल्कि एक-दूसरे को समझने और एक साथ काम करने के लिए, और एक-दूसरे के खिलाफ नहीं होने के लिए, मैं चकित था। हम ख्रीस्तीयों का इतिहास कुछ कम अच्छा रहा है जिसके कारण धार्मिक युद्ध हुए हैं ˸ ऑर्थोडॉक्स या लूथेरनों के विरूद्ध काथलिक। ईश्वर को धन्यवाद कि महासभा के बाद निकटता बढ़ी है और हम एक-दूसरे से बातचीत कर सकते हैं एवं मिलकर काम कर सकते हैं, और यह महत्वपूर्ण है कि हम दूसरों की भलाई करने का साक्ष्य दें। विशेषज्ञ और ईशशास्त्री, ईशशास्त्र पर चर्चा करते हैं, लेकिन जरूरी है कि हम विश्वासियों, मित्रों, भाईयों एवं बहनों के रूप में अच्छा काम करते हुए एक साथ चलें। 

मैं तब भी प्रभावित हुआ जब बुजुर्गों की समिति में, सृष्टि एवं सृष्टि की रक्षा पर बातें कही गईं, यह आम चिंता का विषय है मुस्लिम, ख्रीस्तीय (और) सबके लिए। अभी वाटिकन राज्य सचिव एवं अल अजहर के ग्रैंड ईमाम एक ही विमान में, भाइयों के रूप में बहरीन से काहिरा जा रहे हैं। यह हृदयस्पर्शी है। इससे कुछ अच्छा हो रहा है।

प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो की उपस्थिति – जो ख्रीस्तीय एकता वार्ता के क्षेत्र में एक अधिकारी हैं – उन्होंने भी अच्छा किया है। हमने इसे ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना में देखा और उनके शब्दों में भी सुना। सरांश के तौर पर यह एक मुलाकातों की यात्रा थी। मेरे लिए नयी बात थी उस संस्कृति को जानना जो प्रत्येक के लिए खुली है। आपकी संस्कृति में सभी लोगों के लिए स्थान है। मैंने राजा को भी देखा जिन्होंने मुझे बतलाया कि यहाँ हरेक व्यक्ति वही करता है जो वह चाहता। यदि एक महिला काम (नौकरी) करना चाहती है तो कर सकती है। पूरी तरह खुलापन है। धार्मिक रूप से भी खुलापन है। मैं ख्रीस्तीयों की वास्तविक संख्या से चकित रह गया – फिलीपींस से, भारत के केरल से – जो यहाँ रहते और काम करते हैं।  

फातिमा अल नाजेम ˸ वे सभी आपका भला चाहते हैं...

यही विचार है जिसको मैंने पाया, मैंने कुछ नया देखा जिसने मुझे समझने और अधिक लोगों से बातचीत करने में मदद दी। मूल शब्द है वार्ता, और वार्ता की शुरूआत, आपको अपनी पहचान से करनी होती है, अतः अपनी पहचान बनायें। 

फातिमा अल नाजेम ˸ धन्यवाद, संत पिता। मैं सर्वशक्तिमान अल्ला से प्रार्थना करूँगी कि वे आपको अच्छा स्वास्थ्य, खुशी एवं लम्बी आयु की आशीष प्रदान करें।

संत पापा ˸ जी हाँ, मेरे लिए प्रार्थना करें, मेरे खिलाफ नहीं (हंसते हैं)।  

ईमद अत्राक ˸ संत पिता, मानव बंधुत्व के दस्तावेज पर हस्ताक्षर होने के तीन साल बाद, बगदाद की यात्रा और हाल में कजाकिस्तान की यात्रा ˸ क्या यह एक ऐसा मार्ग है जिसके बारे में आपको लगता है कि यह ठोस फल दे रहा है? क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि यह वाटिकन में एक मुलाकात में अपनी पराकाष्ठा पर होगी? उसके बाद में आज लेबनान का जिक्र करने के लिए धन्यवाद देता हूँ क्योंकि एक लेबनान निवासी होने के वास्ते मैं बतला सकता हूँ कि हमें आपकी यात्रा की अति आवश्यकता है, खासकर, क्योंकि इस समय हमारे लिए राष्ट्रपति भी नहीं है, जिससे आप सीधे आकर लोगों का आलिंगन कर सकते हैं।

पोप फ्राँसिस ˸ धन्यवाद। मैं इन दिनों इसपर बहुत अधिक सोच रहा था। हमने इसके बारे ग्रैंड ईमाम से भी बातें कीं कि अबू धाबी दस्तावेज़ का विचार कैसे आया? पहला, जिसपर हमने एक साथ काम किया। वे एक औपचारिक मुलाकात के लिए वाटिकन आये थे; हमारे नवाचार बैठक के बाद, करीब दोपहर के भोजन का समय हो चुका था, वे जा रहे थे और मैं विदा देने के लिए उनके पीछे चल रहा था, मैंने उनसे पूछा˸ आप भोजन के लिए कहाँ जा रहे हैं? मैं नहीं जानता कि उन्होंने क्या कहा लेकिन हमने उस दिन एक साथ मध्याहन-भोजन करने का निश्चय किया। यह विचार अंदर से आया। तब, खाने की मेज पर, वे, उनके सचिव, दो सलाहकार, मैं, मेरे सचिव और मेरे सलाहकार हम सभी एक साथ बैठे। हमने रोटी ली, उसे तोड़ा और एक दूसरे को बांटा। रोटी बांटना एक मित्रता का भाव था। हमने बहुत अच्छी तरह खाना खाया, अत्यन्त भाईचारापूर्ण। उसके बाद मुझे ख्याल नहीं है कि किसने यह विचार लाया। हमने कहा, क्यों न हम इस मुलाकात के बारे एक पेपर बनायें? इस तरह अबूधाबी के दस्तावेज का जन्म हुआ। दोनों सचिव एक मसौदे पर एक साथ काम करने लगे और अंत में, हमने इसे प्रकाशित करने के लिए अबू धाबी बैठक का लाभ उठाया। यह कुछ ऐसा था जो ईश्वर से आया। आप इसे दूसरा नहीं समझ सकते, क्योंकि हममें से किसी के मन में यह नहीं था। यह एक दोस्ताना मध्याहन भोजन के दौरान सामने आया, और यह एक बड़ी बात है।

तब मैं विचार करता रहा और अबू धाबी दस्तावेज फ्रतेल्ली तूत्ती का आधार बना। मैंने फ्रतेल्ली तूती में मानव मित्रता के बारे जो लिखा है वह अबूधाबी दस्तावेज पर आधारित है। मैं मानता हूँ कि इस तरह के रास्ते के बारे कोई नहीं सोच सकता जब तक कि उसे ईश्वर की ओर से विशेष प्रेरणा न मिली हो। मैं कहना चाहता हूँ कि आप जानें कि प्रभु ने किस तरह इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। मैं ग्रैंड ईमाम का नाम तक नहीं जानता था और हम किस तरह मित्र बन गये, हमने दो मित्रों के रूप में काम किया है और अब हम जब कभी मिलते, बातें करते हैं। दस्तावेज़ आज प्रासंगिक है, और इसका प्रचार करने के लिए काम किया जा रहा है।

लेबनान के संबंध में...लेबनान के लिए मुझे दुःख है। क्योंकि यह अपने आपमें एक देश नहीं रह गया है, एक धर्मगुरू ने मेरे सामने कहा। लेबनान एक देश नहीं है, यह एक संदेश है। लेबनान का हम सभी के लिए एक बड़ा अर्थ रखता है। और यह इस समय पीड़ित है। मैं प्रार्थना करता हूँ और इस अवसर पर लेबनान के राजनीतिज्ञों से उसके लिए विशेष अपील करता हूँ कि वे अपने फायदे को छोड़ें, इसे एक देश के रूप में देखें एवं सहमत हों। पहले ईश्वर, उसके बाद देश, और उसके बाद लाभ। मैं अभी यह नहीं कहना चाहता कि लेबनान को बचायें क्योंकि हम इसे बचानेवाले नहीं हैं, लेकिन आपको इसका समर्थन करना होगा, मदद करें ताकि लेबनान इस पतन की ओर जाने से रूके, ताकि यह अपनी महानता को फिर प्राप्त कर सकें। लेबनान के साधन...उसकी उदारता बड़ी है। कितने राजनीतिक शरणार्थी लेबनान में हैं। यह बहुत उदार है एवं कष्ट झेल रही है। मैं इस अवसर पर लेबनान के लिए प्रार्थना करता हूँ, प्रार्थना एक मित्रता भी है। आप पत्रकार हैं, लेबनान को देखें और जागरूकता बढ़ाने के लिए इसपर बात करें। धन्यवाद।

कारोल ग्लाज, सीएनएस ˸ संत पिता, आपने बहरीन की यात्रा के दौरान मौलिक अधिकार के बारे चर्चा की, जिसमें महिलाओं के अधिकार, उनकी प्रतिष्ठा, समाज और सार्वजनिक स्थलों में उनके लिए स्थान आदि शामिल हैं और आपने युवाओं को आवाज करने के लिए प्रोत्साहित किया, उन्हें एक ऐसे विश्व की ओर बढ़ने का बढ़ावा दिया जो अधिक न्यायपूर्ण है। ईरान की स्थिति पर गौर करते हुए जहाँ महिलाओं और अनेक युवाओं के द्वारा प्रदर्शन हो रहे हैं, जो अधिक स्वतंत्रता चाहते हैं, क्या आप उन महिलाओं और पुरूषों के मौलिक अधिकार की मांग के प्रयास का समर्थन करते हैं, जो मानव बंधुत्व के दस्तावेज में भी पाया जाता है? 

पोप फ्राँसिस ˸ हमें एक दूसरे को सच्चाई बतानी पड़ेगी। महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्ष इसलिए जारी नहीं है क्योंकि कुछ स्थानों में महिलाओं को पुरूष के बराबर अधिकार प्राप्त हैं और कुछ स्थानों में नहीं। मैं याद करता हूँ कि 1950 के दशक में मेरे देश में, महिलाओं के नागरिक अधिकार के लिए संघर्ष हो रहे थे, कि वे वोट दे सकें। क्योंकि 1950 के दशक तक सिर्फ पुरूष वोट डाल सकते थे। मैं अमरीका के संघर्ष के बारे भी यही सोचता हूँ। पर मैं अपने आप से सवाल करता हूँ कि महिलाओं को क्यों इस तरह अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है?

मैं नहीं जानता कि यह किंवदंती है, महिलाओं के गहनों की उत्पत्ति के बारे में। शायद यह एक किंवदंती है जो महिलाओं के खिलाफ क्रूरता की व्याख्या करता है। कहा जाता है कि महिलाएँ इतना आभूषण इसलिए पहनती हैं क्योंकि एक देश में - मुझे याद नहीं, कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है - एक रिवाज था कि जब पति महिला से तंग आ जाता था, तो वह उससे कहता था, 'बाहर निकलो !' और वह वापस अंदर जाकर कुछ भी नहीं ले सकती थी। उसे अपने पास जो था उसी से बाहर निकल जाना पड़ता था। यही कारण था कि वे सोना इकट्ठा करती थीं, ताकि जाते समय अपने साथ कुछ लेकर जा सकें। कहा जाता है कि यही अभूषण की शुरूआत थी। मैं नहीं जाना कि यह सच है अथवा नहीं, लेकिन यह तस्वीर हमें मदद देती है।

अधिकार मौलिक है। लेकिन आज दुनिया में कैसे हम युवा लड़कियों के अंतर्मन की त्रासदी को नहीं रोक सक रहे हैं? यह भयांकर है। तथ्य यह है कि आज यह प्रथा मौजूद है, कि मानव इस अपराध, एक आपराधिक कृत्य को नहीं रोक सकता। टिप्पणियों के अनुसार मैंने सुना, कि महिलाएँ या तो "डिस्पोजेबल" सामग्री हैं - यह बुरा है - अथवा वे 'एक संरक्षित प्रजाति' हैं। लेकिन पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता अभी भी सार्वभौमिक रूप से नहीं आ पाई है, और ऐसे उदाहरण हैं, जहाँ महिलाएँ दूसरे दर्जे की नागरिक या उससे कम समझी जाती हैं।

हमें इसके लिए संघर्ष करते रहना होगा क्योंकि महिलाएँ एक उपहार हैं। ईश्वर ने मनुष्य की सृष्टि करने के बाद, उसके मनोरंजन के लिए एक छोटा कुत्ता नहीं दिया। उन्होंने स्त्री और पुरूष को एक समान बनाया। संत पौलुस ने अपने एक पत्र में पुरुष-महिला संबंधों के बारे में जो लिखा है, वह आज हमें पुराने जमाने का लगता है। उन्होंने कहा है कि पुरुष को स्त्री की देखभाल अपने ही शरीर के समान करनी चाहिए। यह, उस समय, एक क्रांतिकारी बात थी। किन्तु सभी महिलाओं के अधिकार इसी समानता से आते हैं। और जो समाज स्त्री को उसका स्थान नहीं दे पाता, वह आगे नहीं बढ़ता। हमारे पास (इसका) अनुभव है। मैंने जो किताब लिखी है, तोर्नियामो अ सोग्न्यारे, उसमें अर्थशास्त्र के बारे उदाहरण है, दुनिया में वर्तमान में महिला अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने आर्थिक दृष्टि को बदल दिया है और इसे आगे बढ़ाने में सक्षम हैं। क्योंकि उनके पास एक अलग वरदान है। वे चीजों को दूसरे तरीके से चलाना जानती हैं, जो हीनता नहीं है, पूरक है।

मैंने एक बार शीर्ष सरकारी अधिकारियों से बात की थी, एक कई बच्चों की माता से जो कठिन परिस्थिति में समस्याओं का सामना करने में अत्यन्त कुशल थी। मैंने उनसे कहा, "मुझे बतलाइये माताजी, आपने इस कठिन परिस्थिति को किस तरह हल कर दिया?"

वह मौन रहकर अपने हाथ घुमाने लगी। तब मुझसे कहा, "(इसी तरह हम) माताएँ करती हैं।"

समस्याओं का हल करने का महिलाओं का अपना तरीका है, जो पुरूषों का तरीका नहीं है। और दोनों तरीकों को एक साथ होना है ˸ महिला अपने दृष्टिकोण से पुरूष के बराबर ही सार्वजनिक भलाई का कार्य करती है। मैंने इसे वाटिकन में देखा है, जब कभी एक महिला काम करने आती है चीजें बेहतर हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, वाटिकन की उप-राज्यपाल एक महिला हैं और इससे बेहतर बदलाव आया है। अर्थव्यवस्था की समिति में 6 कार्डिनल और 6 लोकधर्मी पुरूष थे। मैंने लोकधर्मी पुरूषों को बदल दिया, उनके स्थान पर एक पुरूष और पाँच महिलाओं को रखा। और यह एक क्रांति है क्योंकि महिलाएँ सही रास्ता खोजना जानती हैं वे जानती हैं कि किस तरह आगे बढ़ना है। अभी मैंने मरियाना माजूकातो को जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी में लिया है। वे अमेरिका की एक महान अर्थशास्त्री हैं, मैंने उसे थोड़ी और मानवता देने के लिए वहाँ रखा है।

महिलाएँ अपने आपसे करती हैं, उन्हें पुरूषों के समान बनने की जरूरत नहीं है। वे महिलाएँ हैं जिनकी हमें जरूरत है। एक समाज जो महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से दूर रखता, वह खुद को गरीब बनाता है। अधिकारों की समानता, ठीक है, लेकिन अवसरों की भी समानता जरूरी है। अवसरों की समानता ताकि एक साथ आगे बढ़ सकें, अन्यथा हम दरिद्र हो जाएँगे।

संत पापा ने "मर्दानगी" का जिक्र किया, जिसको उन्होंने अर्जेंटीना में देखा था, कहा कि यह अर्जेंटीना में पाया जाता है। और यह बुरा है लेकिन हम अपनी माताओं की ओर मुड़ते हैं जो समस्याओं का समाधान करते। मर्दानगी मानवता को नष्ट कर देती है। मुझे यह अवसर देने के लिए धन्यवाद। आइये हम न केवल अधिकारों के लिए लड़ें, बल्कि इसलिए भी क्योंकि हमें समाज में महिलाओं की आवश्यकता है जो समाज को बदलने में हमारी मदद करें।

अंतोनियो पेलायो, विदा नोएवा ˸ संत पापा आपने इस यात्रा में एक ही बार स्वभाविक रूप से "पीड़ित यूक्रेन" एवं "शांति समझौते" के बारे कहा। मैं आप से पूछना चाहता हूँ कि ये समझौते वाटिकन में किस तरह चल रहे हैं। और दूसरा सवाल ˸ क्या आपने फिलहाल पुतिन से बात की है या क्या आप निकट भविष्य में उनसे बात करना चाहते हैं?

पोप फ्राँसिस ˸ ठीक है। सबसे पहले, वाटिकन हमेशा सचेत है, वाटिकन राज्य सचिव काम कर रहे हैं और वे अच्छा काम करते हैं। मैं जानता हूँ कि विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष गल्लाघर अच्छा काम करते हैं।

तब, थोड़ा इतिहास। युद्ध (शुरू) होने के दूसरे दिन- मैं सोचता हूँ कि ऐसा नहीं किया जा सकता, असामान्य बात है – मैं रूसी राजदूतावास गया, राजदूत से बातें कीं, जो एक अच्छे व्यक्ति हैं। मैं उन्हें 6 सालों से जानता हूँ, जब से वे यहाँ आये हैं। वे एक मानववादी व्यक्ति हैं। मैं याद करता हूँ कि उन्होंने उस समय सभ्यता के बारे बात करते हुए एक बात कही थी ˸ "नू सोम तोम्बे दू ला दिकतातूर द अर्जों" (हम पैसे की तानाशाही में गिर गए हैं)। एक मानववादी, समानता के लिए संघर्ष करनेवाला। मैंने उन्हें बतलाया कि मैं पुतिन से बातें करने के लिए मोस्को जाना चाहता हूँ, यदि आवश्यकता पड़े, तो लावरोव (विदेशमंत्री) से भी। उन्होंने बड़े विनम्र भाव से कहा, धन्यवाद, लेकिन इस समय इसकी जरूरत नहीं है।      

उसी समय से हम रूचि रख रहे हैं। मैंने फोन में दो बार राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात की; उसके बाद राजदूत से भी बातें कीं। और काम किये जा रहे हैं कि नजदीक आ सकें, समाधान खोज सकें। परमधर्मपीठ ने भी कैदियों के लिए जो बन सका सो किया है, ये ऐसी चीजें हैं जो हमेशा किये गये हैं, परमधर्मपीठ ने उन्हें हमेशा किया है। 

और (उसके बाद) शांति का प्रचार। जो मुझे अधिक प्रभावित करता है – इसलिए मैं यूक्रेन के लिए "संतप्त" शब्द का प्रयोग करता हूँ – यह क्रूरता है, रूसी लोगों का नहीं, शायद...क्योंकि रूसी महान लोग हैं। यह भाड़े के सैनिकों का है, जो एक साहसिक कार्य के रूप में युद्ध करने जाते हैं, भाड़े के सैनिक ... मैं इसे इस तरह से सोचना पसंद करता हूँ क्योंकि मुझे रूसी लोगों के लिए, रूसी मानवतावाद के लिए बहुत सम्मान है। जरा दोस्तोवस्की के बारे में सोचें, जो आज तक हमें प्रेरित करते हैं, ख्रीस्तीयों को ख्रीस्तीय धर्म के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करते हैं।

मुझे रूसी लोगों के लिए काफी स्नेह है और मुझे यूक्रेनी लोगों से भी स्नेह है। जब मैं 11 साल का था, मेरे नजदीक एक पुरोहित रहते थे जो यूक्रेनी में मिस्सा किये और कोई वेदी सेवक नहीं थे। उन्होंने मुझे यूक्रेनी मिस्सा में सेवक का काम करना  सिखाया, और मैं यूक्रेनी भाषा में उनके भजनों को जानता हूँ क्योंकि मैंने अपने बचपन में उन्हें सीख लिया था। इसीलिए मुझे यूक्रेनी मिस्सा के प्रति बड़ी भक्ति है। मैं दो लोगों के बीच में हूँ जिन्हें मैं प्यार करता हूँ।

यह सिर्फ मैं नहीं हूँ। परमधर्मपीठ ने कई सभाएँ की हैं, जिनके कई अच्छे परिणाम मिले हैं। क्योंकि हम युद्ध से इन्कार नहीं कर सकते, शायद शुरू में हमें साहसी बनाता। लेकिन बाद में थकाता और चोट देता है और हम उन बुराईयों को देखते हैं जिनको युद्ध लाता है। यह मानव के अधिक निकट का हिस्सा है।   

उसके बाद इस सवाल का लाभ उठाते हुए, मैं तीन विश्व युद्धों के लिए खेद प्रकट करना चाहता हूँ ˸ एक ही शताब्दी में तीन विश्व युद्ध ! एक 1914 से 1918, एक 1939 से 1945 और एक यह। यह विश्व युद्ध है क्योंकि यह सच है कि जब साम्राज्य, चाहे एक तरफ का या दूसरे तरफ का कमजोर पड़ता, उन्हें युद्ध करने की आवश्यकता पड़ती है ताकि वे शक्तिशाली महसूस कर सकें। और साथ ही हथियारों को बेच सकें। मेरा मानना है कि आज दुनिया की सबसे बड़ी आपदा हथियार उद्योग है। मुझे बताया गया है, मुझे नहीं पता कि यह सच है या नहीं, कि अगर एक साल तक हथियार नहीं बनाया जाए, तो हम दुनिया की भूख मिटा सकते हैं। हथियार उद्योग भयानक है।

कुछ साल पहले, तीन या चार, हथियारों से भरा एक जहाज एक निश्चित देश से जेनोआ आया था और उन्हें यमन ले जाने के लिए हथियारों को एक बड़े जहाज पर पास करना था। जेनोआ के कार्यकर्ता ऐसा नहीं करना चाहते थे... यह एक इशारा था। यमन दस साल से अधिक समय तक युद्ध झेल रहा है। यमन के बच्चों के पास खाना नहीं है। रोहिंग्या, एक तरफ से दूसरी तरफ जा रहे थे क्योंकि वे हमेशा युद्ध में निष्कासित कर दिये गये थे। म्यांमार में जो हो रहा है वह भयानक है... अब मुझे आशा है कि आज इथियोपिया में एक संधि के साथ कुछ रुक जाएगा...

लेकिन हम सब ओर युद्ध से घिरे हैं और हम इसे नहीं समझते। इस समय हम यूरोप में इससे नजदीक से प्रभावित हो रहे हैं, रूसी-यूक्रेन युद्ध के कारण। लेकिन यह वर्षों से सभी ओर चल रहा है। सीरिया में 12-13 सालों से युद्ध जारी है और कोई नहीं जानता कि वहाँ कैदी हैं और वहाँ क्या हो रहा है। उसके बाद लेबनान में हम इस त्रासदी की बात करते हैं।

मैं किसी की बुराई करना नहीं चाहता लेकिन यह मेरे हृदय को छूता है। जब नॉरमैंडी लैंडिंग का स्मरणोत्सव हुआ। इसे मनाने के लिए कई सरकारों के मुखिया वहां मौजूद थे। यह नाज़ीवाद के पतन की शुरुआत थी, यह सच है। लेकिन कितने लड़कों को नॉरमैंडी के समुद्र तटों पर छोड़ दिया गया? कहते हैं तीस हजार... कौन सोचता है उन लड़कों के बारे में? युद्ध यह सब बोता है। इसलिए आप, जो पत्रकार हैं, कृपया शांतिवादी बनें, युद्धों के खिलाफ बोलें, युद्ध के खिलाफ लड़ें। मैं आपसे एक भाई के रूप में आग्रह करता हूँ। शुक्रिया।

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07 November 2022, 17:25