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पूर्वी असीरियन कलीसिया के प्रमुख प्राधिधर्माध्यक्ष मार आवा तृतीय के साथ संत पापा फ्राँसिस पूर्वी असीरियन कलीसिया के प्रमुख प्राधिधर्माध्यक्ष मार आवा तृतीय के साथ संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा ने काथलिकों, असीरियाई ख्रीस्तियों से सामान्य यात्रा जारी रखने का आग्रह किया

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार की सुबह पूर्वी असीरियन कलीसिया के प्रमुख प्राधिधर्माध्यक्ष मार आवा तृतीय के साथ मुलाकात की, दोनों कलीसियाओं के सदस्यों से "प्रार्थना करने और बहुप्रतीक्षित दिन की तैयारी में लगन से काम करने" का आग्रह किया। संत पापा ने मध्य पूर्वी ख्रीस्तियों से उनके अधिकारों की गारंटी "विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और पूर्ण नागरिकता” देने की भी अपील की।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 19 नवम्बर 2022 (वाटिकन न्यूज) : "विदेशी या अतिथि नहीं, बल्कि एक साथी नागरिक," वास्तव में, आप प्यारे भाई है।” संत पापा फ्राँसिस ने इन शब्दों का उच्चारण कथोलिकोस और पूर्वी असीरियन कलीसिया के संरक्षक, प्राधिधर्माध्यक्ष अवा तृतीय, से मुलाकात के दौरान किया। संत पापा ने "हाल के दशकों में बने संबंधों के लिए" अपना आभार व्यक्त किया और इराक की अपनी यात्रा के दौरान युखारिस्तीय समारोह के अंत में कथोलिकोस मार गेवार्गिस तृतीय के साथ "एरबिल में गर्मजोशी से गले मिलने" को याद किया। संत पापा फ्राँसिस विशेष रूप से प्राधिधर्माध्यक्ष मार आवा तृतीय को "ईस्टर मनाने के लिए एक सामान्य तिथि खोजने की इच्छा को आवाज देने के लिए" धन्यवाद दिया।

उस समय संत पापा पॉल षष्टम ने कहा था: ‘हम किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह सब एक साथ करें।’ और इसे मैं फिर से दोहराना चाहूंगा - जो (20) 25 एक महत्वपूर्ण तिथि है: हम पहली परिषद की वर्षगांठ मनाते हैं, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण तिथि भी है क्योंकि उस वर्ष हम उसी तिथि को ईस्टर मनाएंगे। लेकिन, हमारे पास इस विभाजन को समाप्त करने का साहस है, जो कभी-कभी हमें हंसाता है... "आपका मसीह कब जी उठेगा? आपका मसीह कब जी उठेगा? नहीं। हम सभी के लिए एक मसीह है: आइए हम साहसी बनें और एक साथ खोज करें। मैं तैयार हूँ, संत पापा पॉल षष्टम ने जो कहा है, काथलिक कलीसिया उसका पालन करने को तैयार है। आप अपना कार्य एक साथ करें और हम वहां जाएंगे।

मध्य पूर्वी कलीसिया के लिए अपील

संत पापा फ्राँसिस कहा कि, दुर्भाग्य से, मध्य पूर्वी कलीसिया "हिंसा, अस्थिरता और असुरक्षा से अभी भी घायल है" और विश्वास के कारण हमारे बहुत से भाइयों और बहनों को अपनी भूमि छोड़नी पड़ी है। कई लोग वहां रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और मैं प्राधिधर्माध्यक्ष के साथ उनके अधिकारों, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और पूर्ण नागरिकता का आनंद लेने की अपील को नवीनीकृत करता हूँ। इस संदर्भ में, हमारी कलीसिया के पुरोहित और विश्वासी कठिन परिस्थितियों में मसीह के सुसमाचार के लिए एक आम गवाही देने की कोशिश करते हैं और पहले से ही कई जगहों पर लगभग पूर्ण एकता में रह रहे हैं।

पूर्वी असीरियन कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष के साथ संत पापा फ्राँसिस की मुलाकात
पूर्वी असीरियन कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष के साथ संत पापा फ्राँसिस की मुलाकात

ख्रीस्तीय एकता वर्धक मार्ग

संत पापा ख्रीस्तीय एकता वर्धक यात्रा पर भी ध्यान देते हैं: "यह महत्वपूर्ण है कि हम और भी करीब आएं, न केवल अपनी सामान्य जड़ों की ओर लौटें, बल्कि जीवन की गवाही और जीवन के शब्दों के साथ आज की दुनिया में,  ख्रीस्त के प्रेम का रहस्य और उनकी दुल्हन, कलीसिया का एक साथ घोषणा करें।

 तब संत पापा फ्राँसिस भी एक सपना व्यक्त करते हैं: प्रिय पूर्वी असीरियन कलीसिया के साथ अलगाव, कलीसिया के इतिहास में स्थायी भी हो सकता है - ईश्वर की इच्छा पर - सबसे पहले हल किया जाए।

पूर्वी असीरियन कलीसिया

पूर्वी असीरियन एक प्राचीन कलीसिया है। प्रेरितों के कार्य कलाप में हम पाते हैं कि "पारती, मेदी, एलमीति और मेसोपोटामिया के निवासी" पेंतेकोस्ट के दिन अंतिम भोज के पास मौजूद थे। वे फारस के पहले ख्रीस्तीय थे, जहाँ, परंपरा के अनुसार, प्रेरित संत थॉमस और उनके शिष्य अडाई और मारी ने बाद में प्रचार किया। अपने सदियों पुराने इतिहास में, पूर्वी असीरियन कलीसिया ने एक मूल धर्मशास्त्रीय और आध्यात्मिक परंपरा विकसित की है जो मुख्य रूप से सेमिटिक और सिरिएक सांस्कृतिक संदर्भ में पहले ख्रीस्तीय समुदायों के बहुत करीब है। प्रारंभिक मध्य युग में, पूर्वी असीरियन कलीसिया ने मध्य एशिया, भारत और यहां तक ​​कि चीन के माध्यम से विभिन्न मार्गों का अनुसरण करके एक असाधारण मिशनरी गतिशीलता विकसित की। इसमें खलदेई कलीसिया और भारत की सिरो-मालाबार कलीसिया की समान धर्मशास्त्रीय और साहित्यिक विरासत है, दोनों ने 16 वीं शताब्दी में रोम की कलीसिया के साथ एकता में प्रवेश किया। इसकी उत्पत्ति के बाद से, पूर्वी असीरियन कलीसिया के इतिहास को उत्पीड़न द्वारा दुखद रूप से चिह्नित किया गया, जो फ़ारसी साम्राज्य, फिर मंगोल साम्राज्य और अंत में उस्मानी साम्राज्य की अवधियों से जुड़े हुए हैं।

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19 November 2022, 16:25