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संत पापाः आगमन ईश्वर की उपस्थिति का एहसास कराये

संत पापा फ्रांसिस ने आगमन के प्रथम रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व ईश्वर की निकटता पर प्रकाश डालते हुए आगमन की तैयारी का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 28 नवम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के लिए एकात्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को आगमन काल में ईश्वर के स्वागत हेतु सचेत रहते हुए तैयार रहने का आहृवान किया। उन्होंने संत प्रेत्रुस के प्रांगण में जमा हुए सभों संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात, शुभ रविवार।

उन्होंने कहा कि आज की धर्मविधि हेतु लिया गया सुसमाचार एक सुन्दर प्रतिज्ञा का जिक्र करता है जो हमें आगमन काल- “ईश्वर के आने” का संदर्भ प्रस्तुत करता है। यह हमारे लिए आशा की नींव है, यह हमें अपने जीवन की अति कठिन और दुःखद परिस्थितियों में सहायता प्रदान करती है। ईश्वर हमारे निकट हैं वे हमारे बीच आते हैं। हम इस बात को न भूलें। ईश्वर सदैव आते हैं वे हमसे मुलाकात करने आते हैं, वे अपने को हमारे निकट लाते हैं। वे जीवन के अंत में हमारे बीच लौट कर आयेंगे और हमारा स्वागत करते हुए हमें आलिंगन करेंगे। हम अपने आप से यह पूछें- ईश्वर कैसे आयेंगेॽ हम उन्हें कैसे पहचानेंगे और उनका स्वागत करेंगेॽ आइए हम इन दो सवालों पर थोड़ा चिंतन करें।

ईश्वर के आने का रुप

संत पापा ने पहले सवाल ईश्वर कैसे आयेंगे के बारे में कहा कि बहुत बार हम यह कहते हुए सुनते हैं ईश्वर हमारे जीवन की राह में उपस्थित रहते हैं, वे हमारे साथ चलते और हमसे बातें करते हैं। लेकिन शायद बहुत-सी बातों से विचलित यह सच्चाई हमारे लिए सिर्फ एक सिद्धांत समान रह जाती है, हम जानते हैं कि येसु आ रहे हैं लेकिन इस सच्चाई के अनुरूप जीवन नहीं जीते हैं या हम इस बात की आशा करते हैं कि वे हमारे बीच में धूम-धड़ाके के साथ आयेंगे, शायद वे अपने को कुछ चमत्कारिक निशानियों में प्रकट करेंगे। इसके विपरीत येसु कहते हैं कि वे नूह के दिनों की तरह आयेंगे। उन दिनों में लोगों ने क्या कियाॽ उन्होंने अपने को, अपने दैनिक जीवन की साधारण चीजें में संलग्न किये रखा जैसे कि सदैव होता है, “खान-पान, शादी व्याह में लेन-देन”। संत पापा के कहा कि हम इस बात को याद रखें, ईश्वर हमारे जीवन में गुप्त रहते हैं, वे हमारे साथ सदैव रहते हैं- वे अपने को हमारे जीवन की सबसे सामान्य और अति साधारण चीजों में छुपाये रखते हैं। वे हमारे रोज दिन के कार्य, मिलन के क्षणों, किसी जरुरत में पड़े व्यक्ति के जीवन में, यहाँ तक कि हमारे जीवन के उन क्षणों में जहाँ हम बहुत थकान और ऊबाऊ महसूस करते हैं, अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों में हम ईश्वर की उपस्थिति को पाते हैं, वे हमें बुलाते, बातें करते हुए अपने कार्यों को करने के लिए प्रेरित करते हैं।

तैयार रहें

हम कैसे ईश्वर को पहचानते और उनका स्वागत करते हैंॽ इसके बारे में संत पापा ने कहा कि इसके लिए हमें सजग, सचेत और तैयार रहने की जरुरत है। येसु हमें चेतावनी देते हैं-हम अपने बीच में उनके आने को अनुभव नहीं करते और उनके लिए अपने में तैयार नहीं पाते हैं जो हमारे लिए एक खतरा है। संत पापा ने संत आगुस्टीन के विचारों को दुहराते हुए कहा, “मुझे ईश्वर के गुजर जाने का भय है”, कहने का अर्थ है कि वे आकर चले जायेंगे लेकिन मुझे इसका पता तक नहीं चलेगा। वास्तव में, येसु कहते हैं कि नूह के दिनों में लोग अपने में खाते-पीते रहे उन्हें प्रलय आने का पता तक नहीं चला जो उन्हें बहा ले गया। हम इस बात पर ध्यान दें, उन्हें किसी चीज का एहसास नहीं हुआ। वे अपने में इतने खोये हुए थे कि उन्हें पता तक नहीं चला की प्रलय आने वाला है। येसु आगे कहते हैं, कि जब वे आयेंगे उस समय दो व्यक्ति जो खेतों में होंगे एक उठा लिया जायेगा और एक छोड़ दिया जायेगा।” इसका अर्थ क्या है, इसमें हम क्या पाते हैं, एक व्यक्ति जो तैयार होगा ईश्वर की उपस्थिति को अपने जीवन में अनुभव कर पायेगा, वहीं दूसरा अपने में खोया कुछ भी एहसास नहीं करेगा।

सचेत रहें

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि आगमन के समय में हम अपनी नींद से जागें। हम अपने आप से पूछें, “मेरे जीवन का अर्थ क्या हैॽ क्या मैं सतर्क हूँ, क्या मैं जगा हुआ हूँॽ क्या मैं अपने दैनिक जीवन में ईश्वर की उपस्थिति को पहचानता हूँॽ” या मैं चिंतित औऱ दूसरी चीजों में खोया हुआ हूँ”, यदि हम आज उनके आने के बारे में अनुभव नहीं करते हैं तो हम अंतिम दिनों में भी उनके आने के समय में अपने को तैयार नहीं पायेंगे। अतः हम सजग रहें। उनके आने की प्रतीक्षा करें, हम उनके निकट आने की राह देखें क्योंकि वे हमारे बीच उपस्थित हैं।

माता मरियम जो उनकी प्रतीक्षा में रही, वह ईश्वर की उपस्थिति को दैनिक जीवन की घटनाओं में देख पायीं, वे ऐसा करने में हमारी मदद करें जिससे हम अपनी सतर्कता में ईश्वर को देख सकें जो हमारे बीच से होकर गुजरते हैं। इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने सभों के संग मिलकर देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। 

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28 November 2022, 12:31