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संत पापा फ्रांसिस मृत विश्वासियों के पर्व दिवस पर मिस्सा अर्पित करते हुए संत पापा फ्रांसिस मृत विश्वासियों के पर्व दिवस पर मिस्सा अर्पित करते हुए 

संत पापाः “कब” हमारे हाथों में “अभी” है

संत पापा फ्रांसिस ने सभी मृत विश्वासियों के पर्व का मिस्सा बलिदान वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर में अर्पित किया और वर्तमान समय को “कब” का जवाब कहा।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 02 नबम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने मृत विश्वासियों के पर्व दिवस पर दिवांगत कार्डिनलों और धर्माध्यक्षों के लिए, संत पेत्रुस के महागिरजाघर में मिस्सा बलिदान अर्पित किया।

मिस्सा बलिदान के दौरान अपने प्रवचन में संत पापा ने दो बातों- प्रतीक्षा और आश्चर्य पर अपना चिंतन प्रस्तुत किया।

प्रतीक्षा जीवन के अर्थ की अभिव्यक्ति

उन्होंने कहा कि प्रतीक्षा हमारे लिए जीवन के अर्थ को व्यक्त करती है क्योंकि हम ईश्वर से अपने मिलन की राह देखते हैं। यह आज की हमारी मध्यस्थ प्रार्थना का मुख्य उद्देश्य है जिसके लिए हम एकत्रित हुए हैं।

हम सभी एक दिन येसु के उन वचनों को सुनने की प्रतीक्षा में अपना जीवन जीते हैं, “आओ,मेरे पिता के कृपापात्रों” (मत्ती.25.34)। हम स्वर्गराज्य में प्रवेश करने हेतु इस दुनिया की प्रतीक्षालाय में हैं, तथा सभों के संग उस “स्वर्गीय भोज” में शामिल होने की प्रतीक्षा में जिसके बारे में नबी इसायस कहते हैं। हृदय को सुकून देने वाले उनके वचन हमारी प्रतीक्षा भरी आशा को परिपूर्ण करेगी, “ईश्वर सदा के लिए मृत्यु समाप्त करेगा” और “सब के मुख से आँसू पोंछ डालेगा” (25.6-8)। तब हम कहेंगे, “देखो, यही है हमारा ईश्वर, इसका भरोसा हमें था, हम उल्लसित होकर आनंद मनायें क्योंकि यह हमें मुक्ति प्रदान करता है।” हम उन अति सुन्दर और महान उपहारों को पाने की आशा करते हैं जिनके बारे में हमने कभी सोच भी नहीं है क्योंकि संत पौलुस हमें इसकी याद दिलाते और कहते हैं, “यदि हम ईश्वर की संतान हैं तो हम मसीह के साथ उनकी विरासत के भागी हैं” (रोम.8.17)। हम ईश्वर की संतान बनने और अपने शरीर की मुक्ति की राह देख रहे हैं (23)।

मानव का मोह

प्रिय भाइयो और बहनों, संत पापा ने कहा कि हम इस स्वर्ग का आनंद लें, हम स्वर्गीय चाह को अपने में देखें। यह हमारे लिए जरुरी है क्योंकि हम निरंतर इस दुनिया की क्षणभंगुर चीजों में अपने को दिग्भ्रमित पाते हैं, ईश्वर की चाह रखने के बदले अपने को दुनियावी चीजों से भरा पाते हैं। दुनिया में लुप्त होने वाली चीजों की ओर भागना हमारी ओर से सबसे बड़ी गलती होगी। संत पापा ने सभी विश्वासियों को सचेत कराते हुए कहा, “इस दुनिया की चीजें, हमारा सर्वोतम कैरियर, सबसे बड़ी प्रसिद्धि, प्रतिष्ठित उपहार, हमारे द्वारा जमा किया गया धन, पृथ्वी में कमाई गयी प्रसिद्धि ऊपर नहीं जायेगी बल्कि वे एक ही क्षण में लुप्त हो जायेंगी।” उन सारी चीजों में निहित हमारी चाह हमेशा हमें निराश करती है। इसके बावजूद हम अपनी शक्ति और प्रयास को उन चीजों में अधिक खर्च करते हुए अपने को चिंतित और उदास पाते हैं, इस भांति जिस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हमें जीवन मिला है हमारी निगाहें उससे भटक जाती हैं। संत पापा ने कहा, “हम अपने आप से पूछें क्या मैं धर्मसार को जीता हूँ- मृतकों के पुनरूत्थान और अनंत जीवन की प्रतीक्षा करता हूँ।” मेरी प्रतीक्षा कैसी हैॽ क्या मैं जरुरी चीजों पर ध्यान क्रेन्दित रखता हूँ या व्यर्थ की बहुत सारी चीजों में खो जाता हूँॽ क्या मैं आशा बनाये रखता हूँ या शिकायत करते रहता हूँ क्योंकि मैं उन चीजों को अत्यधिक महत्व देता हूँ जो महत्वपूर्ण नहीं हैं।

हमारा आश्चर्य

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि कल की प्रतीक्षा में आज का सुसमाचार हमारी मदद करता है। उन्होंने संत मत्ती के सुसमाचार अध्याय 25 के संदर्भ में आश्चर्य की चर्चा करते हुए कहा कि हम उन नायकों की भांति कहेंगे,“प्रभु हमने कब आपको भूखा देखा और खाने को दिया, प्यास देखा औऱ पीने को दिया। कब हमने आप को परदेशी देखा और स्वागत किया या नंगा देखा और पहनायाॽ कब हमने आपको बीमार या बंदीगृह में देखा और आप से मिलने आयेॽ इस भांति हम “कब” के रूप में अपने को आश्चर्यचकित होता पायेंगे।

मानव का मापदंड करूणामय कार्य

संत पापा ने कहा कि हमारे करूणा के कार्य के आधार पर दिव्य सिहांसन में हम सभों का न्याय होगा। “जो कुछ तुमने मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों के लिए किया वह मेरे लिये किया”। सर्वशक्तिमान ईश्वर जो स्वर्ग में निवास करते सबसे छोटे, तुच्छ लोगों के बीच में रहने का चुनाव करते हैं। यह कितनी आश्चर्य की बात है। हमारे लिए न्याय इसी तर्ज पर होगा कि हमने येसु ख्रीस्त के करूणामय नम्र प्रेम को, जो दरिद्र के रुप में जन्मे और मरे, जिन्होंने सेवक का जीवन व्यतीत किया, किसी रुप में जीया। उनके न्याय का मापदंड प्रेम होगा जो हमारे मापदंड से परे जाता है और उनका मापक उदारता होगी। संत पापा ने कहा कि अपनी तैयारी में हम जानते हैं कि हमें क्या करने की जरुरत है, हमें उन्हें मुफ्त में देने और पाने की आशा किये बिना प्रेम करने की जरुरत है, जो हमें कुछ नहीं दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हम भी अपने को आश्चर्यचकित होने से वंचित न होने दें। लेकिन हम बहुधा अपने को सुसमाचार की बातों से तोल-मोल करता पाते हैं। येसु के सरल शिष्य होने के बदले हम अपने तर्क-वितर्क और सवालों से अपने को जटिल बना लेते हैं। हम कार्य कम और सवाल-जवाब अधिक करने लगते हैं।

“कब” का सवाल

संत पापा ने कहा कि न्याय के दिन न्यायी और अन्यायी दोनों अपने में बड़े आश्चर्य का अनुभव करेंगे। “कबॽ का उत्तर हमारे लिए अभी, आज के रुप में इस मिस्सा बलिदान में आता है।” यह हमारे ऊपर, हमारे करूणा के कार्यों में निर्भर करता है, न की हमारे स्पष्टीकरण और सटीक विश्लेषणों में, हम स्वयं के लिए उत्तरदायी हैं। आज प्रभु हमें याद दिलाते हैं कि मृत्यु जीवन की सच्चाई को प्रकट करती है और करूणा को कम करने वाली परिस्थितियों को बदल देती है। “सुमसमाचार हमें अपनी प्रतीक्षा को जीने में मदद करता है, हम प्रेम में ईश्वर से मिलन हेतु जाते हैं क्योंकि वे स्वयं प्रेम हैं।” अपने प्रवचन के अंत में संत पापा ने कहा कि आश्चर्य हमें खुशी से भर देगा यादि हम अपने को ईश्वर की उपस्थिति से आश्चर्यचकित होने दें, जो वर्तमान समय में गरीबों और घायलों के रुप में हमारी प्रतीक्षा करते हैं। हम इस आश्चर्य से भयभीत न हों, बल्कि उन कार्यों के लिए आगे बढ़ें जिसकी मांग सुसमाचार करता है जिससे हम अपने को न्याय के दिन न्यायी घोषित कर सकें। उन्होंने कहा कि सुसमाचार शब्दों में नहीं बल्कि कार्यों के माध्यम हमें आश्चर्यचकित करने की प्रतीक्षा करता है। 

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02 November 2022, 15:50