खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना ˸ अच्छाई, प्रार्थना और सेवा में धीर बने रहें

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि धीरज जिसके बारे येसु आज सुसमाचार में बतलाते हैं, हमें अपनी दैनिक प्रार्थना, भले कार्यों, दूसरों की सेवा और जीवन की महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, उनकी अच्छाई में बने रहने का आह्वान करता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 13 नवम्बर 2022 (रेई) – वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 13 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ हमें येरूसालेम ले जाता है, सबसे पवित्र स्थल : मंदिर में। वहाँ येसु के आसपास कुछ लोग भव्य मंदिर के विषय में कह रहे थे कि वह सुन्दर पत्थरों एवं मनौती के उपहारों से सजा हुआ है। (लूक.21,5) लेकिन प्रभु ने उनसे जोरकर कहा, "उसका एक पत्थर भी दूसरे पत्थर पर पड़ा नहीं रहेगा – सब ढा दिया जाएगा।" (लूक.21,6)

तब उन्होंने आगे बतलाया कि किस तरह इतिहास में सब कुछ ढा दिया जाएगा। लोगों को क्रांति, भूकम्प, महामारी, अकाल और अत्याचार का कामना करना पड़ेगा। (पद.9-17) मानो कि वे कह रहे हों कि हमें दुनिया की उन वास्तविकताओं पर अधिक भरोसा नहीं करना चाहिए जो समाप्त हो जायेंगे। संत पापा ने कहा कि ये बुद्धिमानी के शब्द हैं जो हमें कड़वे लग सकते है : जब स्थिति पहले से ही ठीक नहीं चल रही हैं तो प्रभु क्यों इस तरह की नकारात्मक घोषणा करते हैं? वास्तव में उनका मकसद अलग है। इसके द्वारा वे हमें एक मूल्यान शिक्षा देना चाहते हैं, यानी इस अनिश्चितता से निकलने का रास्ता। और वह रास्ता क्या है?   

धीरज रखना   

संत पापा ने कहा, "ये शब्द हमें हैरान कर सकते हैं। किन्तु ख्रीस्त आज के पाठ के अंतिम भाग में इसे प्रकट करते हैं, "अपने धर्य से तुम अपनी आत्माओं को बचा लोगे।” (पद. 19) धर्य शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए संत पापा ने कहा, "शब्द संकेत देता है, "बहुत सख्त" होने का; किन्तु किस अर्थ में सख्त होना है? अपने आपको मानक अनुरूप में नहीं समझने के द्वारा? नहीं। दूसरों के साथ कठोर और कड़ा होने के द्वारा? ये भी सही नहीं है। येसु हमें उन चीजों के लिए सख्त होने को कहते हैं जो महत्वपूर्ण हैं, उनके लिए अपने दिल में समझौता नहीं करना और दृढ़ बने रहना है। क्योंकि जो महत्व रखता वह बहुत बार हमें आकर्षित करनेवाली चीज से अलग होता है। मंदिर के उन व्यक्तियों की तरह बहुधा हम भी अपने हाथ के कामों, अपनी सफलताओं, हमारे धार्मिक एवं सामाजिक परम्पराओं तथा हमारे पवित्र एवं सामाजिक प्रतीकों को महत्व देते हैं। वे अवश्य महत्वपूर्ण चीजें हैं किन्तु समाप्त हो जायेंगे। दूसरी ओर येसु उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते हैं जो बने रहेंगे। ताकि हम उन चीजों में अपना जीवन न लगायें रखें जो बाद में उसी मंदिर की तरह नष्ट हो जाएँगे और हम ऐसी चीजों का निर्माण करना भूल जायेंगे जो ध्वस्त नहीं होते, प्रभु के शब्दों में प्रेम और अच्छाई का निर्माण।

महत्वपूर्ण चीज पर ध्यान केंद्रित करना

संत पापा ने कहा यही धैर्य है ˸ यह हर अच्छाई का निर्माण करना है। धीरज रखने का अर्थ है अच्छाई में लगातार बने रहना, खासकर, उस समय जब आसपास की चीजें हमें दूसरी चीजें करने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "मैं जानता हूँ कि प्रार्थना महत्वपूर्ण है लेकिन हर व्यक्ति की तरह मैं भी बहुत सारे कामों के बीच उसे छोड़ देता हूँ अथवा क्या मैं उन धूर्त लोगों को देखता हूँ जो परिस्थिति का लाभ उठाते, जो नियमों को धोखा देते, पर मैं उन्हें देखना छोड़कर न्याय एवं वैधता पर धीर बना रहता हूँ।" दूसरा उदाहरण ˸ मैं कलीसिया में, समुदाय के लिए और गरीबों के लिए सेवा देता हूँ लेकिन देखता हूँ कि दूसरे अपने बाकी समय में सिर्फ मस्ती करने की बात सोचते हैं और इसलिए मैं भी उसे छोड़कर उनकी तरह करना चाहता हूँ।

अच्छाई में बने रहना

संत पापा ने कहा कि इसके विपरीत, धीरज रखने का अर्थ है, अच्छाई में बने रहना। आइये हम अपने आप से पूछें ˸ मेरा धैर्य कैसा है? क्या मैं सुदृढ़ हूँ अथवा क्या मैं अपने विश्वास, न्याय और भलाई के कार्यों को समय के अनुसार करता हूँ। क्या मैं तभी प्रार्थना करता जब मुझे प्रार्थना करने की इच्छा होती है, क्या मैं तभी निष्पक्ष, तत्पर और मददगार होता हूँ जब मुझे ऐसा करने का मन होता है, उसी तरह जब मैं संतुष्ट नहीं होता, जब मुझे कोई धन्यवाद नहीं देते, तो क्या मैं रूक जाता हूँ? क्या मेरी प्रार्थना और सेवा परिस्थिति पर निर्भर करती है या उस हृदय के अनुसार है जो प्रभु पर सुदृढ़ है। यदि हम धीर बने रहते हैं – प्रभु हमें याद दिलाते हैं – कि हमें डरने की कोई बात नहीं है, जीवन के दुखद और उदास भरे समय में, अथवा हमारे आसपास बुराई हो क्योंकि हम अच्छे पर स्थापित हैं। डोस्तोवस्की ने लिखा ˸ "लोगों के पाप से डरो मत। पाप के बावजूद व्यक्ति को प्यार करो, क्योंकि यह ईश्वरीय प्रेम के समान है और पृथ्वी पर सबसे महान प्रेम है।" (द ब्रादर्स कारामाजोव, II, 6, 3जी) धीरज दुनिया में ईश्वर के प्रेम का प्रतिबिम्ब है क्योंकि ईश्वर का प्रेम वफादार है, वह कभी नहीं बदलता।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "माता मरियम, प्रभु की सेविका, प्रार्थना में धीर बने रहनेवाली, हमारे धैर्य को मजबूत करे।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीवाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संदेश देते हुए संत पापा फ्राँसिस

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

13 November 2022, 15:40