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संत पापा फ्रांसिस क्लारेतसियानुम ईशशास्त्रीय संस्थान के संदस्यों संग संत पापा फ्रांसिस क्लारेतसियानुम ईशशास्त्रीय संस्थान के संदस्यों संग 

संत पापाः नये रूपों में ईश्वरीय सेवा की खोज करें

संत पापा फ्रांसिस ने क्लारेतसियानुस संस्थान की 50वीं वर्षगाँठ के अवसर पर उन्हें अपने आर्दश में बने रहने को प्रोत्साहित किया।

दिलीप संजय एक्का-विटाकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 7 नवम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने क्लारेतसियानुम ईशशास्त्रीय संस्थान के स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर संस्थान में अध्ययनरत सदस्यों के मुलाकात की और उन्हें अपना संदेश दिया।

संत पापा ने कहा कि इन पचास वर्ष की सेवा में आपने संत आंतोनी मेरी क्लारेट के आदर्शों के अनुरूप समर्पित जीवन में सेवा हेतु ईशशास्त्रीय ज्ञान की सेवाएं प्रदान कीं और कलीसिया में समर्पित जीवन के समुदायों को आगे बढ़ने में मदद की है। आप क्लारेटशियन प्रेरित आध्यात्मिक सहचर्य, सैद्धान्तिक ज्ञान और इससे भी बढ़कर कानूनी सलाह के विश्व विख्यात हैं। आपके प्रकाशन और पत्रिकाएँ हमारे लिए इसका साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं।

समर्पित जीवन की प्रेरिताई

संत पापा ने कलीसियाई सिंद्धातों के प्रसार में संस्थान द्वारा किये कार्यों के लिए उन्हें विशेष रुप से धन्यवाद देते हुए कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा का अनुसारण करते हुए आप ने इन दशकों में समर्पित जीवन में धर्मशास्त्र की समझ और उसमें विकास के लिए एक उपयोगी सेवा प्रदान की है। आप की उपस्थिति स्थानीय कलीसियाओं में स्वभाविक रुप में देखी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय कलीसिया सिनोडलिटी को और अधिक गहराई में जीना चाहती है अतः समर्पित जीवन की सेवा क्लारेटशियन आदर्शों के अनुरूप करते रहें। आप बौद्धिकता से पहले समर्पित जीवन का चुनाव किये भाई-बहनों को इस बात का साक्ष्य दें कि येसु ख्रीस्त ही प्रभु हैं। आप सबसे पहले उन्हें अपने संस्थान में स्वागत, प्रशंसा और कृतज्ञता की अनुभूति प्रदान करें। “आप उनमें गरीबों के प्रति एकतात्मकता, भ्रातृत्व के भाव उत्पन करने में मदद करें क्योंकि इन मनोभावों के द्वारा समर्पित जीवन की प्रेरिताई कलीसिया और विश्व में सराही जायेगी।”

येसु जीवन के निर्देशक

संत पापा ने कहा कि समर्पित जीवन उम्र के ढ़लान और बुलाहट की कमी के आधार पर निरूत्साहित नहीं की जा सकती है। वे जो ऐसा करते अपने विश्वास से अपने को अलग कर लेते हैं। “येसु हमारे जीवन इतिहास की देख-रेख करते और हमें निष्ठावान और फलहित होने का निमंत्रण देते हैं।” उन्होंने कहा कि जितना अधिक हम अपने जीवन को ईशवचनों के अनुसार संचालित करते उतना ही हम भविष्य को आशा भरी निगाहों से देखने में सक्षम होते हैं। हम अपने समर्पित जीवन को आत्मा के कार्यों द्वारा समझते हैं जिसे वे व्यक्तिगत रुप में हमारे लिए करते हैं।

संत पापा ने संस्थान की चुनौतियों के समक्ष विद्यार्जन सद्स्यों को येसु ख्रीस्त के प्रति निष्ठावान बने रहने का आहृवान किया। “आप अपने सामुदायिक जीवन का ख्याल करें और भ्रातृत्व में जीवनयापन करते हुए पीढ़ियों के बीच मिलन को प्रोत्साहित करें।” उन्होंने संस्थान को नये रूप में ईश्वर औऱ उनकी प्रजा की सेवा करने हेतु प्रेरित किया। आप भयभीत हुए बिना ईश्वरीय शैली - निकटता, करूणा औऱ कोमलता का आलिंगन करें। आप हाशिये में जाने से, नये मार्ग का चुनाव करने, साथ चलने और येसु ख्रीस्त में जुड़े रहने से न थकें, जिससे आपकी प्रेरिताई और भी सहासिक हो।

भविष्य चुनौतीमय

संत पापा ने संस्थान के अध्यापन, अध्ययन और शोध की गुणवत्ता हेतु संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्तमान समय की समस्याओं के लिए नए विश्लेषण और नए संश्लेषण जरूरी है। आपके संस्थान, प्रध्यापकों, छात्रों और आपको आगे जाने की एक बड़ी चुनौती है।

संत पापा ने कहा कि गरीबी एक ओर हमें अपमानित करती है लेकिन वहीं गरीबी हमें येसु ख्रीस्त में मुक्त करती औऱ खुशी से भर देती है। “समर्पित व्यक्तियों के रुप में गरीबी आप के लिए उपहार है।” उन्होंने कहा कि येसु के शरीर का सच्चे रुप में स्पर्श करना हमें गरीबों के घायल शरीर को स्पर्श करने का आहृवान देता हैं। दुनिया में कितने ही समर्पित धर्मसमाजों के संस्थापक, संस्थापिकाओं ने इस तरह का जीवनयापन किया है।

अपने संबोधन के अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित लोगों को अपने संग प्रभु से प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया जिससे वे आत्मनिर्भरता के विचार, सांसारिक आलोचना, आत्म-संदर्भितता और ध्रुवीकरण की भावना से मुक्त रह सकें। 

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07 November 2022, 15:23