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संत पापाः हम प्रेम करें, सबसे प्रेम करें

संत पापा फ्राँसिस ने बहरीन के राष्ट्रीय खेल मैदान में मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए ख्रीस्तीय समुदाय को सदैव प्रेम करने का संदेश दिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 5 नवम्बर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने बहरीन की अपनी प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन बहरीन के राष्ट्रीय स्टेडियम में यूख्रारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।

मिस्सा बलिदान में संत पापा ने शांति के राजकुमार के प्रेम पर अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे हमें प्रेम की शक्ति प्रदान करते हैं जिससे हम उनके नाम में उनकी तरह ही दूसरों को सदैव प्रेम कर सकें।

प्रेम करने का निमंत्रण

उन्होंने कहा कि वे आज हमें सदैव प्रेम करने का निमंत्रण देते हैं चाहे हमारे जीवन की परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो। येसु ख्रीस्त के जीवन दर्शन की सत्यता के बारे में जिक्र करते हुए संत पापा ने कहा कि वे हमें यह नहीं कहते कि ऐसा करना सहज है और न ही वे इसे संवेदनापूर्ण या रोमांचकारी प्रेम ही कहते हैं। वे इसे आदर्श नहीं लेकिन जीवन की एक वास्तविक परिस्थिति में रखते जहाँ हम अपने लिए “बुराइयों” और शत्रुओं को पाते हैं। येसु जानते हैं कि हमें अपने संबंधों को लेकर दैनिक जीवन में प्रेम और घृणाओं के एक कठिन दौर से होकर गुजरना होता है। हम अपने हृदय में ज्योति और अंधकार को पाते हैं जहाँ हम जीवन की दृढ़ निश्चय और चाहतों के बावजूद पापमय कमजोरियों के कारण बुराई का शिकार हो जाते हैं।

दुनिया की स्थिति

संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त यह भी जानते हैं कि हमारी उदारतापूर्ण प्रयास हमारे लिए सदैव अच्छाई नहीं लाते और कभी-कभी तो हम आशातीत बुराइयों के शिकार हो जाते हैं। वे स्वयं दुनिया में शक्ति के दुरूपयोग से जो हिंसा, सतावट का कारण बनती, शक्ति जो दूसरों पर रोक लगाते हुए अपने को प्रसारित तथा स्थापित करने हेतु कमजोरों का दमन करती है, उनके लिए दुःख का कारण बनती है। अतः येसु कहते हैं कि संघर्ष, सतावट और शत्रुता हमारे बीच में व्याप्त हैं। 

संत पापा ने कहा “जीवन की ऐसी परिस्थिति में हम क्या कर सकते हैंॽ” येसु का उत्तर हमें आश्चर्यचकित करता है, वे अपने शिष्यों को उस बात के लिए साहस की खोज करने को कहते हैं जो निश्चित रुप में असफल होगा। वे अपने शिष्यों को सदैव प्रेम के संबंध में निष्ठावान बने रहने को कहते हैं, चाहे परिस्थिति कुछ भी क्यों न हो। वे हमारे लिए उन बातों की सलाह देते हैं जो अपने में नया, अलग, हमारी विचारों से एकदम भिन्न है क्योंकि यह उनकी कार्य शैली है। वे आर्दश भ्रातृत्वमय दुनिया का सपना देखने को नहीं कहते हैं बल्कि स्वयं से शुरू करते हुए वैश्विक भ्रातृत्व का अभ्यास ठोस रूप में, साहसपूर्वक, बुराई की स्तिथि में भी अच्छाई हेतु आहृवान करते हैं।

शांति के अनुपालक बनें

संत पापा ने कहा कि उनकी बातें जिन्हें वे आज हमें कहते केवल मानवता की समस्या नहीं हैं बल्कि यह हमारे व्यक्तित जीवन में, हमारे संबंधों, परिवार, समुदायों, कार्यस्थलों और पूरे समाज में व्याप्त हैं। हमारे जीवन में टकराव होंगे, तनाव के क्षण आयेंगे, संघर्ष और विचारों में भिन्नताएँ होगीं लेकिन जो शांति के राजकुमार का अनुसरण करते, उन्हें सदैव शांति में बने रहने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि कठोर वचनों का जवाब अधिक कठोरता में देना,एक तमाचे का उत्तर दूसरे तमाचे से दिया जाये तो यह शांति स्थापना को कठिन बना देती है। हमें हिंसा के चक्र को तोड़ने की जरुरत है, हमें क्रोध, शिकायत और स्वयं पर रोना रोने को खत्म करना है। वहीं हमें सदैव प्रेम करने की जरुरत है जिसके द्वारा हम ईश्वर की महिमा करते और दुनिया में शांति की स्थापना करते हैं।

हमारे प्रेम का दायरा

संत पापा ने सभों को प्रेम करने का आहृवान करते हुए कहा कि हम अपने प्रेम करने के दायरे से बाहर निकलते हुए सभों को, येसु की भांति प्रेम करने हेतु बुलाये गये हैं। उन्होंने कहा कि अपने निकट रहने वालों, एक ही समुदाय, विचार या चाह रखने वालों को प्रेम करना हमारे लिए सहज है लेकिन क्या अपने से दूर रहने वालों को हम अपने पड़ोसियों की तरह प्रेम करते हैं। येसु के विचार जो हमें अपने शत्रुओं को भी प्रेम करने का आहृवान करता है, अपने में चुनौतीपूर्ण है लेकिन यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

संत पापा ने कहा, “अपने शत्रुओं को प्रेम करना इस पृथ्वी को स्वर्ग के प्रति रूप बनाना है।” यह ईश्वर पिता की आंखों और हृदय से विश्व को देखना है जो किसी के साथ भेदभाव नहीं करते और अच्छे तथा बुरे, न्यायी और अन्यायी सभों के लिए सूरज उगाते और वर्षा भेजते  हैं।

प्रेम येसु की शक्ति

येसु की शक्ति उनका प्रेम है। वे कृपा स्वरूप हमें अपनी उस शक्ति रूपी प्रेम को प्रदान करते हैं। संत पापा ने इसी कृपा के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया क्योंकि हमारे लिए उनका सबसे बड़ा उपहार प्रेम करने की योग्यता है। अपनी प्रार्थना में ईश्वर की ओर अभिमुख होना हमें उनकी इसी कृपा से भर देता है। इस भांति हम अपने जीवन से कठोर दीवार को टूटता पाते हैं जो हमें करूणा के कार्यो को आनंदपूर्वक सबों के लिए करने हेतु प्रेरित करता है। यह हमें इस बात की अनुभूति प्रदान करती है कि जीवन की खुशी ईश्वर के धन्यवचनों को जीने और निरंतर शांति का माध्यम बनने में, हमारे लिए आती है।

संत पापा ने ख्रीस्तीय समुदाय के भ्रातृत्वमय साक्ष्य हेतु कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए कहा कि आप सुसमाचार की चुनौती को निरंतर शांति और प्रेम के प्रर्वतक स्वरुप धारण करें, आप के इस प्रेरितिक कार्य में माता मरियम आपकी सहायता करें। 

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बहरीन ख्रीस्तयाग की एक झलक
05 November 2022, 11:50