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फिल्म "द लेटर" का वाटिकन में ग्लोबल प्रीमियर, कार्डिनल परोलिन, सिस्टर स्मेरिल्ली और पर्यावरण के समर्थक उपस्थित फिल्म "द लेटर" का वाटिकन में ग्लोबल प्रीमियर, कार्डिनल परोलिन, सिस्टर स्मेरिल्ली और पर्यावरण के समर्थक उपस्थित 

पोप फ्राँसिस की विशेषता पर फिल्म 'द लेटर' का वैश्विक प्रीमियर

कार्डिनल परोलिन, सिस्टर स्मेरिल्ली और पर्यावरण के समर्थकों ने 4 अक्टूबर को संत फ्राँसिस असीसी के पर्व दिवस पर, पोप फ्राँसिस की विशेषता को दर्शाने करनेवाली फिल्म 'द लेटर' के ग्लोबल प्रीमियर में भाग लिया। डोक्यूमेंटरी को आमघर की देखभाल एवं सुरक्षा हेतु समर्पित किया गया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

'द लेटर' फिल्म का विश्वस्तर पर पहला प्रदर्शन पोप फ्राँसिस की उपस्थिति में मंगलवार को वाटिकन के न्यू सिनॉड हॉल में किया गया जिसमें कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन, कार्डिनल माईकेल चरणी, वैज्ञानिक समुदाय, राजदूत और प्रेस के साथ-साथ कलीसिया के धर्मगुरूओं ने भाग लिया।

डोक्यूमेंटरी 'द लेटर ˸ हमारी धरती के लिए एक संदेश' की स्क्रीनिंग 4 अक्टूबर को संत फ्राँसिस असीसी के पर्व दिवस पर किया गया, उसका निर्माण ऑस्कर विजेता 'ऑफ द फेंस प्रोडक्शन' ने किया है तथा इसे यूट्यूब ओरिजिनल्स ने प्रस्तुत किया है। इसी दिन परमधर्मपीठ ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में आधिकारिक रूप से प्रवेश किया।  

विश्षज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक करीब 1.2 बिलियन लोग जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक स्तर पर विस्थापित होंगे।

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने पेरिस समझौते के कार्यान्वयन में तेजी लाने के तरीके पर चर्चा करने हेतु राजदूतों और अन्य नेताओं के साथ 4 अक्टूबर को ही दिन में एक कार्यक्रम की मेजबानी की।

उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कार्डिनल परोलिन ने संत फ्राँसिस असीसी के पर्व के अनुकूल इन दोनों कार्यक्रमों पर चर्चा की।  

इस परिस्थिति के लिए प्रार्थना का आह्वान करते हुए एवं इसे संत फ्राँसिस के सिपूर्द करते हुए कार्डिनल ने एक अपील की कि पर्यावरण की रक्षा हेतु ठोस कारर्वाई, वार्ता एवं एक साथ काम करते हुए किया जाए।

पर्यावरण के लिए प्रार्थना

अर्थशास्त्री एवं वाटिकन के समग्र मानव विकास को प्रोत्साहन देनेवाले विभाग की सचिव सिस्टर अलेसांद्रा स्मेरिल्ली ने सभा को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र लौदातो सी में ग्रह की देखभाल हेतु प्रार्थना की याद दिलायी।

लौदातो सी आंदोलन के कार्यकारी निदेशक और संचार विभाग के सलाहकार टॉमस इंसुआ ने एकत्रित लोगों का स्वागत किया, यह देखते हुए कि घटना दो पत्रों को याद करने के लिए है, पहला फिल्म (द लेटर) और दूसरा पोप का विश्व पत्र।

उन्होंने जोर देकर कहा कि पारिस्थितिक संकट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करना हमेशा जरूरी है, क्योंकि यह दुनियाभर में अधिक जलवायु तबाही को भड़का रहा है।

'द लेटर' फिल्म के निर्देशक निकोलस ब्राऊन चार इम्मेस, दो बीएएफटीए पुरस्कार एवं विश्व भर में करीब 50 बड़े उत्सव पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा किया।

जागरूकता बढ़ाना

डॉक्यूमेंट्री के मुख्य पात्रों में से एक, अरौना कांडे ने लोगों को फ्रेंच में संबोधित किया कि जागरूकता बढ़ाना क्यों इतना महत्वपूर्ण है।

अरौना को युवा अवस्था में ही मरुस्थलीकरण के कारण सेनेगल से अपना घर छोड़ना पड़ा। वे एक तटीय शहर गये, जहाँ समुद्र की सतह बढ़ रही हैं। पर निराश होने के बदले अरौना दृढ़ बने रहे। वर्तमान में वे एक विश्वविद्यालय के छात्र हैं और अपने देश में सतत् विकास हेतु आनेवाले युग का नेतृत्व करने के लिए एक नया एनजीओ विकसित कर रहे हैं।

अरौना ने सुझाव दिया कि वे उन लाखों लोगों में से एक हैं जिनके पास जलवायु संकट का प्रत्यक्ष अनुभव है, और इस बारे में जानकारी रखते हैं कि इसे हल करने के लिए क्या करना होगा।

उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन हाल के दशक में मानव द्वारा सामना की जा रही सबसे बड़ी चुनौती है।"

"मैं इसके बारे कुछ जानता हूँ क्योंकि मैं एक जलवायु शरणार्थी रहा हूँ। मैंने ग्लोबल वार्मिंग के कारण अपने क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में शरण ली है। आज हमें इस बात पर सहमत होना चाहिए कि आनेवाली पीढ़ियों को उन गलतियों का भुगतान नहीं करना चाहिए जिनके लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं।"

उन्होंने बतलाया कि किस तरह स्कूल पानी से बहा गया और कितने लड़कों के सोने के लिए जगह ही नहीं थी, और वे खड़े होकर सोने के लिए मजबूर थे।

अमाजोन का शोषण

अमाजोन पर संत पापा फ्राँसिस के सिनॉड के मद्देनजर, फिल्म में क्षेत्र के चीफ कासिक दादा को दिखाया गया है, जिन्होंने इस क्षेत्र के शोषण और तबाही की ओर ध्यान आकर्षित किया, और दुनिया को दिखाया कि आदिवासी किस तरह लगभग 80 प्रतिशत जैव विविधता की रक्षा करते हैं।

डॉ. असनर ने अपनी आशा व्यक्त की कि फिल्म कैसे प्रभाव डालेगी, भले ही उनकी पत्नी ने फिल्म में चेतावनी दी हो कि भले ही वैज्ञानिकों के पास उपकरण हों, लेकिन वे उपकरण पर्याप्त नहीं हैं।

"जलवायु संकट का समाधान तकनीकी से नहीं किया जा सकता। इसे हम सभी की जरूरत है।"

बच्चे और भावी पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित होंगे

अगली वाक्ता थीं रिधिमा पांडे, एक 14 वर्षीय हाईस्कूल की छात्रा, वह जमीनी मुकदमों के मामले की सदस्य है और सरकारों को उनकी जलवायु निष्क्रियता के लिए जवाबदेह ठहराने की शिकायतें करती है। उन्होंने युवा महिलाओं को जलवायु कार्यकर्ता बनने में मदद करने के लिए एक एनजीओ की स्थापना की है और सभा में उपस्थित होने के लिए अपनी स्कूल परीक्षा रोक दी थी।

रिधिमा ने अफसोस जताया कि कैसे युवा और आनेवाली पीढ़ियाँ दुनिया भर में पृथ्वी के दुरुपयोग और लापरवाही से पीड़ित होंगी।

उसने कहा, "हमारी पीढ़ी - युवा - सबसे कमजोर है, और सबसे दुर्बल होगी।" उसने भारत में जो देखा है, उसके आधार पर कहा कि मुझे 'बुरे सपने' आते हैं।

वास्तव में, फिल्म प्रत्येक पात्र की कल्पना या व्यक्ति के 'बुरे सपने' को प्रदर्शित करती है, क्योंकि उन्होंने अपनी वास्तविक जीवन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखा है।

उन्होंने सभी राष्ट्रों के आकार, जलवायु तबाही के कारण विनाश, बाढ़ या आग लगने की हैरान करनेवाली सूची पेश की।

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05 October 2022, 16:57