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संत पापा फ्रांसिस  विवाह और परिवार हेतु गठित जोन पॉल द्वितीय परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय संस्थान के सदस्यों संग संत पापा फ्रांसिस विवाह और परिवार हेतु गठित जोन पॉल द्वितीय परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय संस्थान के सदस्यों संग 

संत पापाः परिवार आदर्श नहीं सच्चाई है

संत पापा फ्रांसिस ने विवाह और परिवार हेतु गठित जोन पॉल द्वितीय परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय संस्थान के सदस्यों को उनकी प्रेरिताई में मजबूत रहने का आहृवान करते हुए परिवार हेतु एक ठोस धर्मशास्त्र की आवश्यकता की बात कही।

दिलीप  संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 अक्तूबर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने विवाह और परिवार हेतु गठित जोन पॉल द्वितीय परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय संस्थान के सदस्यों से मुलाकात करते हुए उन्हें अपना संदेश दिया।

नया जोश और व्यापक दायरा

संत पापा ने कहा कि मोल्तू प्रोपियो सूम्मा फमिलिया कूरा के प्रकाशित हुए पांच वर्ष हो गये, “मेरा इरादा आप सभों में नया जोश भरने का था जिससे आप तीसरी सहस्राब्दी में आने वाली चुनौतियों का जवाब देने के लिए अपने को सक्षम पायें, क्योंकि यह पारिवारिक मूल्यों को समझने के लिए आवश्यक कौशल को एकीकृत करता है।” ईशशास्त्र ख्रीस्तीय पितृत्व, बन्धुत्व, बंधुत्व हेतु ख्रीस्तीय जीवन दर्शन को विस्तृत करने की मांग करती है। यह हमारे लिए बुजुर्गों की संस्कृति की महत्वपूर्णतः को देखने में मदद करती है। संत पापा ने कहा कि विश्वास की संस्कृति पुरुष और महिला के बीच, प्रेम और पीढ़ी के बीच, परिवार और समुदाय के बीच संबंधों की वर्तमान जागरूकता को चिह्नित करने की मांग करती है।

संत पापा ने संस्थान के कार्य की प्रशंसा करते हुए इसकी परियोजना को “सुसंगतता और रचनात्मकता के साथ” पूरा करने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “संस्थान को दी गई “परमधर्मपीठीय” उपाधि इसे संत पेत्रुस के पदचिन्हों में चलते हुए कलीसिया की सेवा करने का एक उपहार प्रदान करती है।

परिवार हेतु एक ठोस धर्मशास्त्र 

संत पापा ने जोर देते हुए कहा कि कलीसिया को अपनी प्रेरिताई के संदर्भ में “वैवाहिक बंधन का धर्मशास्त्र” की तत्काल आवश्यकता है जो “ठोस पारिवारिक स्थिति से संबंधित धर्मशास्त्र” पर प्रकाश डालता हो, जो हमें परिवारों में “अभूतपूर्व अशांति”, सभी पारिवारिक संबंधों पर दबावों के कारणों को जानने में मदद करती हो, जिससे परिवारों में “ईश्वर के ज्ञान, करुणा और निशानियों का निरिक्षण सावधानी से किया जा सके। उन्होंने कहा, “हम दुर्भाग्य के नहीं, बल्कि आशा के नबी हैं। अतः संकट के कारणों पर विचार करते हुए, हम कभी भी सांत्वना की दृष्टि न खोए, जो पारिवारिक संबंधों विश्वास, नागरिक समाज और मानव सह-अस्तित्व से समुदाय को लाभान्वित करते हैं।”

“मानवशास्त्रीय व्याकरण"

इस संबंध में संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि परिवार समाज का एक अपरिहार्य “मानवशास्त्रीय व्याकरण” है। “जब इस व्याकरण की उपेक्षा की जाती है या इसके साथ छेड़-छाड़ किया जाता तो सम्पूर्ण मानव और सामाजिक संबंधों की पूरी व्यवस्था को इसका भुक्तभोगी होना पड़ता है।” उन्होंन कहा “विवाह और परिवार की गुणवत्ता एकल व्यक्ति के प्यार की गुणवत्ता और मानव समुदाय के बंधनों की गुणवत्ता तय करती है।” इसलिए “राज्य और कलीसिया दोनों को चाहिए कि वे परिवारों को सुनें और उनका समर्थन करें” वे उनकी बुलाहट को प्रोत्साहित करें, “एक मानवीय विश्व को जो अधिक सहायक और अधिक भ्रातृत्वपूर्ण है।”

परिवार आदर्श नहीं बल्कि एक सच्चाई

संत पापा ने कहा,“परिवार एक आदर्श नहीं अपितु एक सच्चाई है।” एक परिवार वास्तविकता की जीवन शक्ति के साथ बढ़ता है। लेकिन जब परिवार को समझाने या चित्रित करने के लिए विचारधाराएं आती हैं तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। एक परिवार में स्त्री और पुरुष कृपा की भांति हैं जो एक दूसरे से प्यार करते हैं और एक दूसरे के निर्माण में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा, “विचारधाराएं परिवार को बर्बाद करती हैं, विचारधाराओं से सावधान रहें।”

परमधर्मपीठ की प्रेरिताई को प्रोत्साहित करते हुए संत पापा ने कहा कि हमें आदर्श विवाह औऱ परिवारों की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। हम स्वर्ग जाने तक अपने अपने में सदैव अपूर्ण और अयोग्य रहेंगे। 

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24 October 2022, 16:55